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उत्तर प्रदेश के शामली में 5 फरवरी को महापंचायत हुई, जिसमें बड़ी संख्या में किसान जुटे और नारे लगाए. ये महापंचायत सेक्शन 144 लागू किए जाने के बाद भी आयोजित की गई. सेक्शन 144 भारी तादाद में लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगाता है. यूपी में ये 3 अप्रैल तक लागू है.
किसानों का ये कदम जिला प्रशासन के आदेश को चुनौती देता है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस आदेश में गणतंत्र दिवस पर हुई ट्रैक्टर रैली को किसानों का 'उपद्रवी बर्ताव' और COVID-19 प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन बताया गया.
पांचवी महापंचयत राष्ट्रीय लोक दल (RLD), भारतीय किसान यूनियन (BKU) और अन्य कई किसान यूनियनों ने आयोजित की थी ताकि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के लिए समर्थन जुटाया जा सके.
RLD प्रवक्ता सुनील रोहटा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि आयोजक पीछे नहीं हटेंगे चाहे पुलिस 'हम पर गोली चला दे या हमें जेल में डाल दे.'
RLD उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने 4 फरवरी को प्रशासन की इजाजत नहीं मिलने को चुनौती देते हुए ट्वीट किया, "144 वजहें क्यों मैं कल शामली जाऊंगा!"
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में ऐसी छोटी-छोटी बैठकें हो रही हैं. हरियाणा के जींद में 3 फरवरी को ऐसी ही एक महापंचायत हुई थी. इसमें हजारों किसानों ने हिस्सा लिया था. जींद महापंचायत में तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने को लेकर एक प्रस्ताव पास किया गया था. इस दौरान BKU नेता राकेश टिकैत भी मौजूद रहे.
कंडेला गांव में महापंचायत को संबोधित करने के लिए पहुंचे टिकैत का जोरदार स्वागत हुआ था. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर कानून वापस नहीं लिए गए तो ऐसी ही पंचायत 'देश स्तर' पर की जाएगी.
जींद महापंचायत उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई ऐसी ही एक महापंचायत के बाद हुई थी. मुफ्फरनगर में यूपी के कई जिलों से किसान आए थे.
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