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उत्तर प्रदेश सरकार पर एक बार फिर अल्पसंख्यकों के साथ पक्षपात करने का आरोप लग रहा है. 17 सितंबर को अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्रालय ने संसद में बताया कि यूपी सरकार ने अल्पसंख्यक-बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए दिए गए 16,207 लाख में से सिर्फ 10 फीसदी ही खर्च किया है. ये पैसा केंद्र के प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) के तहत यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को दिया गया था. राज्य सरकार को इन क्षेत्रों में रहने की स्थिति और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना था.
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि यूपी के सांसदों ने इस बात पर चिंता जताई है. यूपी के अमरोहा, मुरादाबाद और कई जिलों के सांसदों ने अखबार से कहा कि 'पैसे का कम इस्तेमाल यूपी सरकार का मुस्लिम समुदाय की तरफ भेदभाव दिखाता है.'
योगी आदित्यनाथ की सरकार से पहले 2015-16 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान राज्य को इस स्कीम के तहत 32,462 लाख रुपये मिले थे, जिसमें से 62% खर्च किए गए थे.
2016-17 में यूपी ने 14,364 लाख में से 39% खर्च किए. वहीं, 2017-18 में 15,182 लाख में से 40% खर्च हुए और 2018-19 में 37,653 लाख में से सिर्फ 31% ही खर्च किए गए.
इकनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए अमरोहा के सांसद दानिश अली ने कहा कि मुस्लिम इलाकों में बुनियादी प्राथमिक देखभाल के लिए अस्पताल बनाने तक का फंड नहीं है. अली ने कहा, "जब केंद्र पैसा जारी कर रहा है तो राज्य सरकार क्यों रोक रही है? यूपी सरकार को बिना किसी भेदभाव के फंड का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए."
यूपी सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ 'भेदभाव' करने का आरोप लगता रहा है. यूपी में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी के नेताओं पर 'मुस्लिम-विरोधी' भाषण देने के आरोप लगे हैं. यहां तक कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सुल्तानपुर में एक रैली के दौरान बीजेपी नेता मेनका गांधी ने मुस्लिमों से कहा था, "मुझे वोट दो या फिर मेरे पास काम के लिए मत आना."
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी सरकार के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें फंड के कम इस्तेमाल के बारे में नहीं पता था. अधिकारियों ने कहा कि वो 'केंद्र की स्कीमों को राज्य में लागू करने वाली संस्थाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार' को कम करने की व्यवस्था कर रहे हैं.
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