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कोरोना (COVID 19) की दूसरी लहर से प्रभावित होने वाले राज्यों में उत्तराखंड भी एक है. जहां अप्रैल और मई में हजारों मामले सामने आए और सैकड़ों मौतें हुईं. जिसके बाद भले ही देर से लेकिन सख्त कर्फ्यू लगाया गया. लेकिन प्रशासन के लचीले रवैये से इस सख्ती में भी लगातार सेंध लगती रही. भले ही राज्य में पिछले कुछ महीनों से कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के बाद ही एंट्री दी जाने की बात कही जा रही हो, लेकिन इस नियम का जमकर उल्लंघन और गलत इस्तेमाल हुआ.
अब देहरादून और मसूरी में कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट को लेकर सख्ती बरती जा रही है और रिपोर्ट की पूरी जांच शुरू हो चुकी है. जिसका नतीजा ये है कि रोजाना कुछ टूरिस्ट नकली कोरोना रिपोर्ट के साथ पकड़े जा रहे हैं.
उत्तराखंड में कोरोना को लेकर कागज पर सख्त नियम तो बनाए गए, लेकिन जमीन पर उनका पालन होता नहीं दिखा. तमाम चेक पोस्ट पर कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट और बाकी चीजों की जांच सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है. कर्मिशियल व्हीकल में अलग-अलग गांव के लोग दिल्ली और बाकी शहरों से उत्तराखंड पहुंच रहे हैं, इनमें से ज्यादातर लोगों के पास या तो रिपोर्ट नहीं होती, या फिर वो फर्जी पीडीएफ एडिट वाली रिपोर्ट लेकर आ रहे हैं. चेक पोस्ट पर सिर्फ औपचारिकता के तौर पर रिपोर्ट को देखा जा रहा है और सवारियों से भरी पूरी गाड़ी को एंट्री दे दी जाती है.
देहरादून एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि कुछ पर्यटक कोरोना की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट बनवाकर देहरादून आ रहे हैं. चेकिंग के दौरान जब संदेह के आधार पर दो गाड़ियों को रोककर उनमें बैठे पर्यटकों से पूछताछ की गई तो उनके पास से कोरोना की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट मिली है. जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने दो अलग-अलग गाड़ियों में आए चार लोगों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाने और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. उन्होंने बताया कि अब तक 100 फर्जी आरटी पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट का पता चला है.
नियम की अगर बात करें तो उत्तराखंड में एंट्री के लिए कोरोना आरटी पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लाना जरूरी है, जो 72 घंटे से पुरानी नहीं होनी चाहिए. वहीं उत्तराखंड के स्मार्ट सिटी पोर्टल पर भी रजिस्ट्रेशन जरूरी है. बता दें कि कोरोना नियमों में ढील के बाद हजारों की संख्या में पर्यटक हिल स्टेशनों की तरफ रुख कर रहे हैं.
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