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दक्षिणपंथी संगठन हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों के खिलाफ उत्तराखंड के देहरादून में एक केस दर्ज किया गया है. ये मामला 20 और 21 मार्च को 150-200 मंदिरों में 'गैर-हिंदुओं की एंट्री बैन' घोषित करने वाले पोस्टर लगाने के सिलसिले में है.
यूपी के गाजियाबाद में एक मंदिर में पानी पीने गए एक मुस्लिम लड़के की पिटाई के कुछ दिन बाद संगठन ने देहरादून में ये पोस्टर लगाए थे.
SHO कोतवाली शिशुपाल सिंह नेगी ने 21 मार्च की शाम को संगठन के लोगों से बात करके इन विवादित पोस्टर को उतारने की कोशिश की. बैठक के कुछ देर बाद हिंदू युवा वाहिनी के महासचिव जीतू रंधावा ने इस रिपोर्टर को बताया कि पुलिस ने उन्हें शहर में ऐसे पोस्टर न लगाने की चेतावनी दी है. जीतू ने गुस्से में कहा, "वो मुसलमानों का ऐसे पक्ष क्यों ले रहे हैं? मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि उत्तराखंड जैसी जगह पर ऐसा हो रहा है. मुझे फर्क नहीं पड़ता कि वो मेरे खिलाफ केस कर दें, लेकिन मैं सुनिश्चित करूंगा कि ऐसे पोस्टर उत्तराखंड के सभी मंदिरों के बाहर लगाए जाएं."
इससे पहले क्विंट ने एसएसपी देहरादून के ऑफिस के PRO से संपर्क करने को किया था. प्रदीप सिंह रावत ने कहा कि पोस्टर लगाए जाने की खबर सामने आई थी लेकिन इन्हें 21 मार्च की दोपहर तक हटा दिया गया था.
सभी पोस्टर्स उतारे जाने की जानकारी की पुष्टि के लिए हमने रंधावा से जब बात की तो उन्होंने कहा कि कुछ पोस्टर हटा दिए गए हैं, जबकि कुछ अभी भी हैं. जीतू रंधावा ने कहा, "मैं अपने खिलाफ केस की परवाह नहीं करता, हम सुनिश्चित करेंगे कि पोस्टर नहीं हटाए जाएं. मेरे समुदाय के लोग मेरे साथ खड़े होंगे, पूरा हिंदू समुदाय मेरे साथ खड़ा होगा. आप देखना!"
बैनर में लिखा है, “ये तीर्थ हिंदुओं का पवित्र स्थल है, इसमें गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है.”
संगठन के उत्तराखंड अध्यक्ष गोविंद वाधवा ने कहा कि कैंपेन 20 मार्च को शुरू हुआ था. वॉलंटियर्स ने स्थानीय लोगों की मदद से कथित रूप से 150-200 मंदिरों में पोस्टर लगा दिए हैं और ये संख्या आने वाले हफ्ते में बढ़ने की संभावना है. वाधवा ने कहा, "कभी हमारी मूर्तियां तोड़ी जाती हैं या लोग शिव मूर्ति पर पेशाब करते हैं, आपने ये सब देखा होगा और ये सब होता रहता है. ये सब हिंदू समुदाय के लोग नहीं, गैर-हिंदू करते हैं. ऐसे गैर-हिंदुओं से खुद की रक्षा के लिए ये बैनर लगाए गए हैं, जिससे ये लोग न आएं और मंदिरों की पवित्रता बनी रहे."
जब उनसे पूछा गया कि क्या ऐसी घटनाएं हाल ही में हुई हैं, तो देहरादून में एक छोटी सी दुकान चलाने वाले वाधवा ने कहा, "ये भारत में सब जगह होता है, सिर्फ यहां ही नहीं." जब उनसे दोबारा पूछा गया कि गैर-हिंदुओं ने क्या कभी आपत्तिजनक हरकत की है और क्या इसकी FIR लिखी गई, तो वाधवा ने कहा, "नहीं, देहरादून या उत्तराखंड में हाल ही में ऐसा कुछ नहीं हुआ. हमने ये सुरक्षा के इरादे से किया है और कुछ गलत नहीं किया."
जिन मंदिरों पर पोस्टर लगाए हैं, वो सभी देहरादून के चकराता रोड, सुद्धोवाला और प्रेम नगर, घंटाघर, सिद्धूवाला इलाके में स्थित हैं.
क्या पोस्टर को लगाने के लिए इजाजत लेने की जरूरत है? वाधवा ने कहा, "मैडम क्या मुझे अपने घर की रक्षा के लिए पुलिस से इजाजत लेने की जरूरत है?"
जब उनसे पूछा गया कि ये मंदिर किसके हैं और क्या ये सरकारी हैं या प्राइवेट ट्रस्ट के, तो उन्होंने कहा, "ये हिंदू समुदाय की संपत्ति है और किसी एक व्यक्ति की नहीं. यहां इजाजत को लेकर कोई मुद्दा नहीं है."
गाजियाबाद में हुई घटना के बाद BSP के धौलाना असलम चौधरी ने कहा था कि डासना का मंदिर उनके पुरखों का था और वो बोर्ड हटवाएंगे. इस दावे के बाद वाधवा ने कहा कि वो ऐसे पोस्टर उत्तराखंड के और भी मंदिरों के बाहर लगवाएंगे.
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