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उत्तराखंड: प्लास्टिक बोतलों पर QR रिफंड सिस्टम में लौटीं सिर्फ 12% बोतलें

Uttarakhand Bottle Return Policy | इस साल इस योजना के तहत QR कोड वाले 4 लाख बोतल दुकानदारों को दिए गए.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p> पाॅल्यूशन से निपटने के लिये प्लास्टिक की बोतलों पर कस्टमर्स से एक्स्ट्रा पैसे वसूले जाएंगे.</p></div>
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पाॅल्यूशन से निपटने के लिये प्लास्टिक की बोतलों पर कस्टमर्स से एक्स्ट्रा पैसे वसूले जाएंगे.

(फोटोः iStock)

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उत्तराखंड (Uttarakhand) में डिजिटल रिफंड सिस्टम (Digital Refund System) के जरिए प्लास्टिक की बोतलों पर रिफंड पाने की पॉलिसी से लोग लाभ तो उठा रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या में कोई भारी इजाफा नहीं हुआ है. दुकानदारों को जितनी बोतलें दी गईं उसमें 12 फीसदी ही अभी तक लौट पाई हैं.

प्लास्टिक बोतलों पर 10 रुपये रिफंड की पॉलिसी पिछले साल उत्तराखंड के केदारनाथ और चोपटा में शुरू की गई थी. इस साल इसे बढ़ाकर गंगोत्री और यमुनोत्री तक लागू किया गया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल इस योजना के तहत QR कोड वाले 4 लाख बोतल दुकानदारों को दिए गए. इसमें से करीब 1 लाख यानी 25 फीसदी बोतल ही बिक पाए.

इन बोतलों में से 47,000 यानी जो दुकानदारों को दिए गए उसका केवल 12 फीसदी ही लौट कर वापस आई हैं.

हालांकि, अधिकारियों को उम्मीद है कि जैसे-जैसे चारधाम यात्रा आगे बढ़ेगी ये योजना और रफ्तार पकड़ेगी.

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क्या है बोतलों पर रिफंड की पॉलिसी?

दरअसल उत्तराखंड सरकार ने पहाड़ों में प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने और निप्टारन के लिए ये योजना लागू की है. इसके तहत अगर कोई दुकानदार से क्यूआर कोड वाली बोतल खरीदता है तो उसे रिटर्निंग सेंटर पर लौटाने के बाद 10 रुपये रिफंड के तौर पर मिलते हैं. इसके लिए बोतल पर लगे क्यूआर को सेंटर पर स्कैन किया जाता है.

योजना में कमियां कहां दिख रहीं?

  • पहाड़ों में इंटरनेट की व्यापक समस्या है, इसलिए लोग इसका इस्तेमाल ठीक से नहीं कर पा रहे.

  • कई बार दुकानदार खुद ही क्यूआर कोड वाला रैपर निकाल कर रख लेते हैं और बोतल बेच देते हैं. बाद में स्कैन कर के खुद मुनाफा कमा लेते हैं.

  • कई बार दुकानदार 20 रुपये की बोतल 30 रुपये में भी बेचते दिखाई दिए. ये ग्राहकों को समझा देते हैं कि आपके 10 रुपये वापस आ जाएंगे.

  • कई बार दुकानदार लोगों को पूरी प्रक्रिया समझाने में रूचि नहीं दिखाते, जिससे जानकारी के अभाव में लोग बोतलों को इधर-उधर डाल जाते हैं.

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