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उत्तरकाशी: "बेटा टनल से निकल गया, सुनने को बेचैन" मजदूरों के परिवार ने क्या कहा?

Uttarkashi Tunnel Collapse: फंसे हुए कुल मजदूरों में 5 बिहार के रहने वाले हैं. क्विंट हिंदी ने इनमें से 2 के परिवार वालों से बाती की.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>उत्तरकाशी: "बेटा टनल से निकल गया, सुनने को बेचैन" मजदूरों के परिवार ने क्या कहा?</p></div>
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उत्तरकाशी: "बेटा टनल से निकल गया, सुनने को बेचैन" मजदूरों के परिवार ने क्या कहा?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल (Uttarkashi Tunnel Collapse) में 41 मजदूरों को फंसे हुए 13 दिन बीत गए हैं. हर गुजरते दिन के साथ मजदूरों के परिवारों में घबराहट और बेचैनी बढ़ती जा रही है. फंसे हुए कुल मजदूरों में 5 बिहार के रहने वाले हैं. क्विंट हिंदी ने इनमें से 2 श्रमिकों के परिवार से बातचीत की. टनल में फंसे मजूदरों की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं, पिता के माथे पर चिंता की लकीर है पर दिल में उम्मीद लगाए, वो अपने बेटे के सकुशल आने का रास्ता देख रहे हैं.

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सबाह अहमद के 3 बच्चों को पिता का इंतजार 

भोजपुर जिले के आरा में रहने वाले 33 साल के सबाह अहमद और बांका के वीरेंद्र किस्कू का परिवार बेटे के वापस लौटने की दुआ कर रहा है. रेस्क्यू में बार-बार आ रही दिक्कतों से परिवार घबरा रहा है.

आरा में सहार थाना इलाके के पेऊर गांव में रहने वाले मिसबाह अहमद के बेटे सबाह अहमद टनल में फंसे हुए हैं. सबाह करीब 14 सालों से नवयुगा प्राइवेट कंपनी के साथ काम कर रहे हैं. वो कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर हैं.

अहमद की 2017 में गजरआज गंज थाना इलाके के रामपुर गांव में सिबा खातून से शादी हुई थी. उनके बेटे, 4 साल के मोकर्रम जाहेदी, 1 साल का अर्श और बेटी फातमा जिसकी उम्र 2 साल है. बच्चे पिता के घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं. सबाह दो महीने पहले छुट्टी पर अपने घर पेऊर आए थे. 2 साल से वो उत्तराखंड के उत्तरकाशी में काम कर रहे हैं.

पिता बोले-ऊपर वाले पर भरोसा है

सबाह के बुजुर्ग पिता मिसबाह ने कहा...

"बेटे के बिना कुछ खाने-पीने का मन नहीं करता. दिनभर एक ही खबर सुनने को बेचैन रहता हूं कि बेटा टनल से निकल गया है. अब तो सिर्फ एक ही सहारा है ऊपर वाला. जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा है, मन घबरा रहा है. सुनने में आया था कि आज सुबह टनल से बाहर आ जाएगा, लेकिन फिर सुना कि कोई बात है. जिसकी वजह से टाइम लगेगा.

मिसबाह आगे कहते हैं...

"दिल बहुत परेशान है. सब्र की भी सीमा होती है, जो मेरा टूट रहा है. बहुत ज्यादा टाइम लग गया है. हम लोग बहुत परेशान हैं. दिल एक दम बैठा जाता है. अगर सबाह बाहर आ जाता है, तो क्या कहने. जिसका लड़का टनल में फंसा हो और बाहर आ जाए तो खुशी तो होगी ही और मेरी किसी से कोई शिकायत नहीं है, ऊपर वाला मेरे साथ है."

बांका के वीरेंद्र किस्कू का भी इंतजार

दीपावली के दिन यानी 12 नवंबर को उत्तराखंड में टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों में बांका के वीरेंद्र किस्कू भी शामिल हैं. परिजन उनकी सलामती के लिए हर दिन दुआ कर रहे हैं. "मेरा बेटा वीरेंद्र किस्कू उत्तराखंड की सुरंग में फंसा हुआ है. उसी से घर चलता है और अब वही फंसा हुआ है. मैं सरकार से गुजारिश करती हूं कि जैसे ही मेरा बेटा बाहर आ जाता है तो उसे घर पहुंचा दें."

सुषमा अपनी बात कहते हुए आंसुओं को रोक नहीं पाईं और फूट-फूटकर रोने लगीं. सभी मजदूरों के परिवार का कमोबेश यही हाल है.

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