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उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल (Uttarkashi Tunnel Collapse) में 41 मजदूरों को फंसे हुए 13 दिन बीत गए हैं. हर गुजरते दिन के साथ मजदूरों के परिवारों में घबराहट और बेचैनी बढ़ती जा रही है. फंसे हुए कुल मजदूरों में 5 बिहार के रहने वाले हैं. क्विंट हिंदी ने इनमें से 2 श्रमिकों के परिवार से बातचीत की. टनल में फंसे मजूदरों की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं, पिता के माथे पर चिंता की लकीर है पर दिल में उम्मीद लगाए, वो अपने बेटे के सकुशल आने का रास्ता देख रहे हैं.
आरा में सहार थाना इलाके के पेऊर गांव में रहने वाले मिसबाह अहमद के बेटे सबाह अहमद टनल में फंसे हुए हैं. सबाह करीब 14 सालों से नवयुगा प्राइवेट कंपनी के साथ काम कर रहे हैं. वो कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर हैं.
अहमद की 2017 में गजरआज गंज थाना इलाके के रामपुर गांव में सिबा खातून से शादी हुई थी. उनके बेटे, 4 साल के मोकर्रम जाहेदी, 1 साल का अर्श और बेटी फातमा जिसकी उम्र 2 साल है. बच्चे पिता के घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं. सबाह दो महीने पहले छुट्टी पर अपने घर पेऊर आए थे. 2 साल से वो उत्तराखंड के उत्तरकाशी में काम कर रहे हैं.
सबाह के बुजुर्ग पिता मिसबाह ने कहा...
मिसबाह आगे कहते हैं...
दीपावली के दिन यानी 12 नवंबर को उत्तराखंड में टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों में बांका के वीरेंद्र किस्कू भी शामिल हैं. परिजन उनकी सलामती के लिए हर दिन दुआ कर रहे हैं. "मेरा बेटा वीरेंद्र किस्कू उत्तराखंड की सुरंग में फंसा हुआ है. उसी से घर चलता है और अब वही फंसा हुआ है. मैं सरकार से गुजारिश करती हूं कि जैसे ही मेरा बेटा बाहर आ जाता है तो उसे घर पहुंचा दें."
सुषमा अपनी बात कहते हुए आंसुओं को रोक नहीं पाईं और फूट-फूटकर रोने लगीं. सभी मजदूरों के परिवार का कमोबेश यही हाल है.
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