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Uttarkashi: टनल में फंसीं 41 जिंदगियां, बाहर ड्रिलिंग के साथ दुआ, देखें Photos

Uttarkashi Tunnel Accident: केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह बचाव अभियान का जायजा लेने  सिल्क्यारा पहुंचे.

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Uttarkashi: टनल में फंसीं 41 जिंदगियां, बाहर ड्रिलिंग के साथ दुआ, देखें Photos

फोटो ः PTI 

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उत्तरकाशी के सिलक्यारा स्थित निर्माणाधीन सुरंग (Uttarkashi Tunnel Accident) से आज (26 नवंबर) को अच्छी खबर सामने आने वाली है. सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाले का अभियान अंतिम चरण में है. प्रधानमंत्री मोदी रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की खबर ले रहे हैं.

उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर DM अभिषेक रूहेला ने बताया, "अभी जो बचाव कार्य चल रहा है, उसमें कुछ चुनौतियां आ रही हैं. उससे निजात पाने के लिए कुछ विशेषज्ञों को बुलाया गया है. उनके सलाह के आधार पर बचाव कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है. काम करने वाले लोगों की सुरक्षा भी आवश्यक है.

(फोटो ः PTI)

PMO के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा-  उत्तरकाशी सुरंग बचावकर्मियों को ड्रिलिंग पूरी करने और श्रमिकों तक पहुंचने में 12 से 14 घंटे अधिक लगेंगे.

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केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह बचाव अभियान का जायजा लेने  सिल्क्यारा पहुंचे.

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घटनास्थल से मजदूरों को हॉस्पिटल ले जाने के लिए टनल के पास एम्बुलेंस की भी व्यवस्था की गई है.  

फोटो ः PTI 

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टनल में फंसे श्रमिकों को गंभीर हालत में जल्दी मेडिकल सुविधाएं देने के लिए AIIMS ऋिषिकेश ले जाया जाएगा.  

फोटो ः PTI 

बचाव दल के अनुसार, ऑपरेशन में फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मलबे के माध्यम से चौड़े पाइप डालने के लिए ड्रिलिंग शामिल थी. बरमा मशीन, जो एक घंटे में लगभग 3 मीटर मलबे में छेद करती है, आज सुबह एक धातु से टकरा गई थी. फिर ब्लॉक को हटाने के लिए मेटल कटर का इस्तेमाल किया गया और ऑपरेशन फिर से शुरू हुआ.

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टनल के बाहर खड़े मजदूरों के परिजन और उनके साथी सुरंग की ओर नजरें गड़ाए बैठे हैं. परिजन दुआ कर रहे हैं. उम्मीद है कि कुछ ही समय में अच्छी खबर आएगी.

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बीते मंगलवार            (22 नवंबर) को मजदूरों की सुरंग के अंदर से वीडियो सामने आने के बाद सभी ने राहत की सांस ली थी. वीडियो में मजदूर सुरक्षित दिखाई दिए थे. मजदूरों को 6 इंच के 'लाइफ सपोर्ट' पाइप के जरिए लगातार खाना, पानी और ऑक्सीजन भी पहुंचाया जा रहा है.

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टनस से करीब चार किलोमीटर दूर हेलिपैड बना है, जहां से श्रमिकों को एयरलिफ्ट करके एम्स ले जाया जा सकता है.

फोटो ः क्विंट हिंदी

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