Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उत्तरकाशी: श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव दल 30 नवंबर तक 86 मीटर तक करेगा ड्रिल|अपडेट

उत्तरकाशी: श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव दल 30 नवंबर तक 86 मीटर तक करेगा ड्रिल|अपडेट

बचाव दल को सुरंग खोदने के दौरान हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे ऑपरेशन में थोड़ा अधिक समय लग रहा है.

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p><strong>Uttarkashi tunnel collapse</strong></p></div>
i

Uttarkashi tunnel collapse

PTI

advertisement

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग के अंदर पिछले 15 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने का अभियान 16वें दिन सोमवार (27 नवंबर) को भी जारी है. हालांकि, बचाव दल को सुरंग खोदने के दौरान हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे ऑपरेशन में थोड़ा अधिक समय लग रहा है.

आइये जानते हैं कि अब तक क्या हुआ?

  • राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने रविवार को बताया कि कुल 19.2 मीटर ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा, "हमें चार दिनों के भीतर यानी 30 नवंबर तक लगभग 86 मीटर की ड्रिलिंग करनी है. उम्मीद है कि आगे कोई बाधा नहीं आएगी और काम समय पर पूरा हो जाएगा."

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने यह भी कहा कि उत्तरकाशी सुरंग की परत तक पहुंचने के लिए 86 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की आवश्यकता है, जहां 41 श्रमिक फंसे हुए हैं.

-
  • जैसे-जैसे ड्रिलिंग आगे बढ़ रही है, जाने का रास्ता बनाने के लिए 700 मिमी चौड़े पाइप डाले जा रहे हैं. थोड़ी दूरी पर, एक पतली, 200-मिमी जांच को अंदर धकेला जा रहा है. यह 70-मीटर के निशान तक पहुंच गया है.

  • कल, गैस कटर की पूर्ति के लिए हैदराबाद से एक प्लाज़्मा कटर हवाई मार्ग से लाया गया था. शाम तक, मलबे में धकेले गए बरमा शाफ्ट के 47 मीटर में से केवल 8.15 मीटर को काटकर हटाया जाना बाकी था.

-
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
  • मंगलवार से, बचावकर्मी पहाड़ी के किनारे 180 मीटर की वैकल्पिक भागने वाली सुरंग की ड्रिलिंग शुरू करेंगे. इसमें 12-14 दिन लग सकते हैं. एक बार जब बरमा पूरी तरह से हटा दिया जाता है, तो बचावकर्मी मलबे के शेष 10 या 12 मीटर के हिस्से को साफ करने के लिए एक और नया तरीका अपनाएंगे - मैनुअल ड्रिलिंग. एक कर्मचारी अब तक बिछाए गए स्टील शूट में प्रवेश करेगा और ड्रिल संचालित करेगा, और दूसरा व्यक्ति चरखी के माध्यम से मलबे को बाहर भेजेगा.

  • सुरंग के बारकोट-छोर से एक और ड्रिलिंग की जा रही है, और काम 483 मीटर में से लगभग 10 मीटर आगे बढ़ गया है. इस तरीके से ड्रिलिंग में 40 दिन तक का समय लग सकता है.

  • भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के एक इंजीनियर समूह, मद्रास सैपर्स की एक इकाई को साइट पर मैन्युअल ड्रिलिंग के लिए उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में बुलाया गया है.

  • मैनुअल ड्रिलिंग के लिए भारतीय सेना नागरिकों के साथ मिलकर सुरंग के अंदर रैट बोरिंग करेगी. भारतीय सेना नागरिकों के साथ मिलकर हाथ, हथौड़े और छेनी जैसे हथियारों से सुरंग के अंदर के मलबे को खोदेगी और फिर पाइप के अंदर बने प्लेटफॉर्म से पाइप को आगे बढ़ाया जाएगा.

Arun Sharma
  • उत्तराखंड सरकार फंसे हुए श्रमिकों को दवा और नमक के साथ-साथ संतरा, सेब, केला आदि फलों की आपूर्ति कर रही है. SDRF द्वारा विकसित तार कनेक्टिविटी के साथ एक संशोधित संचार प्रणाली का उपयोग नियमित रूप से संचार के लिए किया जा रहा है.

  • केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह ने रविवार को फिर से आपदा स्थल का दौरा किया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टनकपुर में फंसे श्रमिक पुष्कर सिंह ऐरी के परिवार से उनके घर पर मुलाकात की.

बता दें कि 12 नवंबर को, दिवाली त्योहार की पूर्व संध्या पर, उत्तराखंड के चार धाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा भूस्खलन के बाद ढह गया, जिससे अंदर के श्रमिकों के लिए निकास बंद हो गया. मजदूर सुरंग के दो किलोमीटर लंबे हिस्से में हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 27 Nov 2023,09:23 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT