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उत्तराखंड आपदा: रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ तेज, 150 लापता- 10 बड़ी बातें
उत्तराखंड के चमोली जिले में आई आपदा में कई लोग अब तक लापता, सेना-एनडीआरएप का ऑपरेशन जारी
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(फोटो: IANS)
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उत्तराखंड में एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का भयानक मंजर देखने को मिला है. इस बार चमोली जिले में ग्लेशियर टूटा, जिससे नदियों ने खौफनाक रूप ले लिया. जो कुछ भी रास्ते में आया तेज रफ्तार पानी उसे जड़ से उखाड़ता हुआ आगे बढ़ गया. नदी के किनारे बसे कई गांवों को खाली कराया गया और सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया. लेकिन इस तबाही में करीब 150 लोगों के बहने की आशंका है. पीएम और गृहमंत्री समेत तमाम लोगों ने घटना को लेकर ट्वीट किया और हरसंभव मदद पहुंचाने की बात कही. जानिए इस घटना से जुड़ी अब तक की हर बड़ी बात.
उत्तराखंड के चमोली में रैणी गांव के पास अचानक ग्लेशियर टूट गया. इसके टूटने के बाद पहाड़ों से तेज रफ्तार के साथ पानी नीचे उतरने लगा, पानी के साथ मलबा और पत्थर भी नीचे आए, जैसे-जैसे पानी नीचे की ओर बढ़ता गया, तबाही मचाता रहा.
घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि, भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और पूरा देश सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है. मैं लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर रहा हूं और एनडीआरएफ की तैनाती, राहत कार्य की जानकारी ले रहा हूं.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस घटना को लेकर चिंता जताई और कहा कि, सभी लोगों की सलामती की प्रार्थना करता हूं. उनके अलावा गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्विटर पर कहा कि, वो लगातार उत्तराखंड की इस घटना पर नजर बनाए हैं. उन्होंने ये भी जानकारी दी कि एनडीआरएफ की टीमों को एयरलिफ्ट कर घटनास्थल पर भेजा गया है.
इसी इलाके में एनटीपीसी का ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट चल रहा था, जिसमें कई लोग काम कर रहे थे. जब पानी तेज रफ्तार से इस टनल की तरफ बढ़ा तो वहां काम कर रहे लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला. बताया गया है कि यहां करीब 120 लोग काम कर रहे थे.
इस घटना के तुरंत बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि, वो खुद घटनास्थल का दौरा करने जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने हेल्पलाइन नम्बर 1070 या 9557444486 पर संपर्क करने की सलाह देते हुए कहा कि पुराने वीडियो से अफवाह न फैलाएं. रावत ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्य का जायजा लिया.
इस घटना में सेना की टुकड़ियों, आईटीबीपी के जवान, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की मदद से रेस्क्यू किया जा रहा है. सेना की तरफ से बताया गया है कि उनकी मेडिकल और इंजीनियरिंग टीम भी काम कर रही है. साथ ही हेलीकॉप्टर से भी तलाशी अभियान शुरू हो चुका है.
हालांकि उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि अब नदियों के बहाव में कमी आ रही है और पानी का स्तर सामान्य की तरफ बढ़ रहा है. इसीलिए देवप्रयाग जैसे निचले इलाकों में बाढ़ की संभावना कम है और खतरे की कोई बात नहीं है.
आईटीबीपी के डीजी ने जानकारी देते हुए बताया है कि एनटीपीसी की साइट से अब तक करीब 9-10 शवों को निकाला गया है. यहां करीब 100 लोग काम कर रहे थे, जिनकी लगातार तलाश जारी है. इस साइट पर करीब 350 आटीबीपी के जवान मौजूद हैं.
रेस्क्यू ऑपरेशन की तैयारियों की अगर बात करें तो जोशीमठ, रुद्रप्रयाग, तपोवन, औली और उत्तरकाशी जैसे इलाकों में सेना, एनडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें पहुंची हैं. कई टीमों को स्टैंडबाय पर भी रखा गया है.
ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन डैम में भी पानी जमा हो गया. यहां डैम की सुरंग में काम चल रहा था, जिसमें करीब 20-25 लोग फंसे हुए हैं. फिलहाल आईटीबीपी की टीम वहां फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है. इनमें से कई लोगों को निकाल लिया गया है.