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इराक के मोसुल में ISIS के हाथों मारे गए 39 भारतीयों के शव भारत लाने के लिए विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह रविवार को इराक रवाना हो गए हैं. जून 2014 में इराक में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने 40 भारतीयों को अगवा कर लिया था. इनमें से आतंकवादियों के हाथों मारे गए 39 भारतीयों में से 38 भारतीयों के पार्थिव अवशेष लेने राज्य मंत्री बगदाद रवाना हो गए. लेकिन 20 मार्च को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में 39 लोगों के मारे जाने की जानकारी दी.
मारे गए कुछ लोगों के परिवारों ने 26 मार्च को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी. इस महीने, विदेश मंत्री ने संसद को बताया था कि आतंकी समूह आईएसआईएस ने जून 2014 में इराक के मोसूल से 40 भारतीयों का अपहरण कर लिया था लेकिन उनमें से एक खुद को बांग्लादेश का मुस्लिम बताकर भाग निकला था. उन्होंने कहा था कि बाकी 39 भारतीयों को बदूश ले जाया गया और उनकी हत्या कर दी गई.
भारतीय मजदूरों के अपहरण के बाद आईएस ने 55 बांग्लादेशी मजदूरों को छोड़ दिया. इन लोगों के साथ मिलकर एक भारतीय हरजीत मसीह भी आईएस के चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा. देखें वीडियो
मसीह ने दावा किया था कि उसे छोड़कर सभी भारतीयों को आईएस आतंकवादियों ने मार डाला है. लेकिन उस वक्त सरकार ने मसीह के दावों पर यकीन नहीं किया. उस वक्त विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि छह दूसरे सूत्र कह रहे हैं कि वो भारतीय अभी भी जिंदा हैं.
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स्वराज के मुताबिक, जनरल वीके सिंह, भारतीय राजदूत और इराक के एक अफसर ने बलूच में जाकर लापता भारतीयों की खोज की. जहां, जानकारी मिली कि एक पहाड़ के नीचे कई शवों को एक साथ दफनाया गया है.
स्वराज ने बताया कि मिली जानकारी के आधार पर डीप पेनिट्रेशन रडार के जरिए पहाड़ में दफनाए गए लोगों का पता लगाया गया. इसके बाद पहाड़ खोदकर सभी शव निकाले गए. शवों के साथ कुछ आईकार्ड और कुछ जूते मिले.
विदेश मंत्री ने कहा कि पहाड़ से जो शव मिले थे. उन पर विशेष ध्यान इसलिए भी था क्योंकि हमारे 39 लोग लापता थे और पहाड़ से जो शव बरामद हुए वो भी 39 ही थे. सुषमा ने बताया कि मार्टिअस फाउंडेशन ने शवों के साथ भेजे गए डीएनए का मिलान किया. इसमें सबसे पहला डीएनए संदीप नाम के लड़के का मिला. इसके बाद बाकी लोगों के भी डीएनए मिले.
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