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बच्चों को लगने वाली कोरोना वैक्सीन पर वो हर बात जो माता-पिता को जानना जरूरी है

जायकोव-डी की वैक्सीन को 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए इमरजेंसी यूज के लिए मंजूर की गई है.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>3 साल तक के बच्चों के लिए अगले 6 महीने में आएगी कोरोना वैक्सीन- अदार पूनावाला</p></div>
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3 साल तक के बच्चों के लिए अगले 6 महीने में आएगी कोरोना वैक्सीन- अदार पूनावाला

प्रतीकात्मक फोटो- Pixabay

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देशभर में कई जगह पर छोटे बच्चों के लिए या तो स्कूल खुल चुके हैं या तो अब खोले जा रहे हैं ऐसे में बच्चों की कोरोना से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैक्सीन ही एक मात्र उपाय है खासकर तब जब देश में ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ रहा है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार 12 से 17 साल के बच्चों को लगने वाली वैक्सीन को लेकर जल्द गाइडलाइन जारी करेगी.

इस बीच भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) अगले 6 महीने में बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन- Covovax- लॉन्च करने की योजना बना रही है. यह जानकारी सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने मंगलवार, 14 दिसंबर को भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में दी है. लेकिन जिस वैक्सीन की बात पूनावाला कर रहे हैं उसकी अभी क्या स्थिति है और इससे जुड़े अहम सवालों के जवाब क्या हैं?

भारत में बच्चों के लिए कितनी वैक्सीन पर परीक्षण चल रहा है?

SII के अदार पूनावाला ने बताया है कि वो अगले 6 महीनों में बच्चों की वैक्सीन को लॉन्च कर सकते हैं. लेकिन 18 वर्ष से कम उम्र वालों के लिए कोविशील्ड की अनुमति नहीं मिली है इसलिए बच्चों को लगने वाली वैक्सीन- कोवोवैक्स का फिलहाल परीक्षण किया जा रहा है जिसका रिजल्ट अच्छा देखने को मिल रहा है.

साथ ही सरकार ने बच्चों के लिए जायकोव-डी वैक्सीन को अमुमति दी है. जायकोव-डी को जायडस कैडिला ने बनाया है. इसे अगस्त में DCGI ने अप्रूवल दिया था.

इसके अलावा अक्टूबर में नेशनल ड्रग्स रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने कोवैक्सिन को भी बच्चों के लिए इमरजेंसी यूज की सिफारिश की थी. हालांकि वैक्सीन को अब तक DCGI से अनुमति मिलना बाकी है.

किस उम्र के बच्चों को लग सकती है वैक्सीन?

अदार पूनावाला द्वारा कोवोवैक्सीन की बात करें तो ये कम से कम 3 साल के बच्चे को भी लगाई जा सकेगी. यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चों कोवोवैक्स लगाई जा सकेगी.

वहीं जायडस कैडिला की जायकोव-डी को 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (EUI) की मंजूरी दी गई है.

इसके अलावा अगर कोवैक्सी को मंजूरी मिलती है तो इसे 2-18 साल के बच्चों को लगाया जा सकेगा.

बच्चों की वैक्सीन पर चल रहे ट्रायल पर क्या जानकारी है?

जुलाई 2021 में सीडीएससीओ के एक विशेषज्ञ पैनल ने कुछ शर्तों के साथ 2 से 17 साल के बच्चों पर कोवोवैक्स का दूसरा और तीसरा फेज का ट्रायल करने के लिए SII को अनुमति देने की सिफारिश की थी. SII वर्तमान में 3-17 आयु वर्ग के 920 बच्चों पर दूसरा और तीसरा फेज का ट्रायल कर रहा है.

वहीं 2-18 साल के 920 कैंडिडेट पर कोवैक्सिन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं. कोवैक्सिन के 2-6, 6-12 और 12-18 साल तक के बच्चों पर अलग-अलग ट्रायल चल रहे हैं.

साथ ही जायडस कैडिला ने बताया कि उसने 50 सेंटर पर 28 हजार से भी ज्यादा कैंडिडेट पर वैक्सीन का ट्रायल किया है. इसमें 1 हजार बच्चों की उम्र 12 से 18 साल के बीच की थी. कंपनी ने बताया कि उनका ट्रायल सफल रहा है.

इसके अलावा बायोलॉजिकल-ई की वैक्सीन कोर्बेवैक्स के भी दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं. कंपनी 5-18 साल उम्र के 920 कैंडिडेट पर ट्रायल कर रही है और अमेरिकी वैक्सीन कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन भी दुनियाभर में बच्चों पर अपनी वैक्सीन का ट्रायल कर रही है. भारत में भी 12-17 साल के लोगों पर ये ट्रायल चल रहा है.

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क्या हर बच्चे को वैक्सीन लेने की जरूरत होगी?

हर बच्चे को वैक्सीन लेनी है या नहीं या फिर कितने डोज लेने हैं ये तो सरकार की गाइडलाइन आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. लेकिन हो सकता है कोमोरबिडिटी वाले बच्चों को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी जाए लेकिन यहां फिर वहीं सवाल खड़ा होगा कि इसमें कौन सी बीमारी को शामिल किया जाएगा. ये भी सरकार का गाइडलाइन आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.

क्या बच्चों को वैक्सीन देना जरूरी है?

बच्चों को वैक्सीन देने पर खुद एक्सपर्ट भी बंटे हैं अधिकतर विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों को भी वैक्सीनेट करने की जरूरत है.

वहीं भास्कर के अनुसार महामारी एक्सपर्ट डॉ चंद्रकांत लेहरिया का मानना है कि वैक्सीन का प्राइमरी काम संक्रमण से रोकना नहीं बल्कि हॉस्पिटलाइजेशन और गंभीर लक्षणों को रोकना है. चूंकि बच्चों में ओमिक्रॉन या कोरोना की किसी भी वैरिएंट की वजह से गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं, इस लिहाज से बच्चों को वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है. फिलहाल हाई-रिस्क कैटेगरी के बच्चों के अलावा किसी को भी वैक्सीन की जरूरत नहीं है. एक बार देश में ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन होने के बाद बच्चों के वैक्सीनेशन पर विचार किया जा सकता है. वैक्सीन कहीं न कहीं बच्चों को प्रोटेक्ट करेगी ही.

साथ ही बता दें कि दुनियाभर के 30 देशों में बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है. जिसमें इजरायल, चीन,अमेरिका, सऊदी अरब समेत कई देश शामिल हैं. वहीं कई देशों में बच्चों पर होने वाले साइड इफेक्ट को भी देखा गया है. इजराइल में फाइजर की वैक्सीन लगवाने के बाद कई बच्चों के दिल की मांसपेशियों में सूजन की शिकायतें आई थीं. इसी तरह अमेरिका में फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन लेने के बाद दिल की मांसपेशियों में सूजन आ गई थी. लेकिन इनमें किसी को भी गंभीर बीमारी नहीं हुई.

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