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वैष्णों देवी में नहीं फंसे हैं श्रद्धालु, प्रशासन ने दिया जवाब

प्रशासन ने कहा कि जम्मू के लॉकडाउन के असर के कारण करीब 406 लोग फंसे हुए हैं, लेकिन ये हिंदू श्रद्धालु नहीं हैं

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प्रशासन ने कहा कि जम्मू के लॉकडाउन के असर के कारण करीब 406 लोग फंसे हुए हैं, लेकिन ये हिंदू श्रद्धालु नहीं हैं
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प्रशासन ने कहा कि जम्मू के लॉकडाउन के असर के कारण करीब 406 लोग फंसे हुए हैं, लेकिन ये हिंदू श्रद्धालु नहीं हैं
(फोटो: फेसबुक/वैष्णों देवी)

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वैष्णों देवी प्रशासन ने लॉकडाउन के कारण वैष्णों देवी में फंसे श्रद्धालुओं की खबरों का खंडन किया है. ऐसी खबरें थीं कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण करीब 400 हिंदू श्रद्धालु वैष्णों देवी में फंस गए हैं. प्रशासन ने कहा कि जम्मू के लॉकडाउन के असर के कारण करीब 406 लोग फंसे हुए हैं, लेकिन ये हिंदू श्रद्धालु नहीं हैं. प्रशासन ने बताया है कि इन सभी लोगों के रहने और खाने की व्यवस्था कर दी गई है.

कैसे शुरू हुई कंफ्यूजन?

22 मार्च को ANI ने एक ट्वीट में दावा किया था कि बिहार से वैष्णों देवी आए करीब 400 लोग बिहार और उत्तराखंड सरकार से ट्रांसपोर्ट का साधन मुहैया कराने की रिक्योस्ट कर रहे हैं.

(फोटो: स्क्रीनशॉट)

इसके बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में इसे मोनिका कोहली ने उठाया. कोर्ट ने प्रशासन को तीर्थयात्रियों को राहत देने का निर्देश दिया. जब क्विंट ने कोहली से कॉन्टैक्ट किया, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ANI के ट्वीट पर अपनी याचिका आधारित की थी.

उनकी याचिका को कई मीडिया चैनल्स ने भी रिपोर्ट किया.

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कटरा प्रशासन ने खबरों का खंडन किया

श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष रमेश कुमार जांगड़ ने इन खबरों का खंडन करते हुए कहा कि श्राइन में श्रद्धालुओं की एंट्री लॉकडाउन से काफी दिन पहले ही रोक दी गई थी. "सोशल मीडिया पर वैष्णों देवी में 400 यात्रियों के फंस होने की खबरें चल रही हैं. ये स्पष्ट किया जाता है कि कटरा या वैष्णों देवी में एक भी यात्री नहीं फंसा है. यात्रा लॉकडाउन से काफी पहले 18 मार्च को ही रोक दी गई थी."

रीजी के डिप्टी कमिश्नर का भी कहना है कि वहां कोई भी यात्री फंसा नहीं है. उन्होंने कहा, "माता वैष्णों देवी यात्रा 18 मार्च 2020 को रोक दी गई थी, लॉकडाउन से काफी पहले. कोई भी यात्री नहीं फंसा है. हालांकि, 7 लोग कटरा में अपनी मर्जी से हैं, क्वॉरन्टीन में."

फंसे 406 लोग कौन हैं?

जम्मू नॉर्थ एसडीएम पवन कोटवाल ने बताया, "406 लोगों में फंसे हुए टूरिस्ट, हिंदू श्रद्धालु, स्टूडेंट और बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर हैं, जो जम्मू से अपने घर नहीं निकल पाए. इनमें से अधिकतर बिहार से हैं, बाकी राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गोवा समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से. ये क्वॉरन्टीन फैसिलिटी नहीं है. ये वो जगह है जहां वो रह रहे हैं और हमने उनके लिए मेडिकल चेकअप का इंतजाम किया है. परेशान होने वाली कोई बात नहीं है."

सभी 406 लोग अभी जम्मू के बन तलब इलाके में राधा स्वामी सतसंग ब्यास में रह रहे हैं. इसमें 273 पुरुष, 125 महिलाएं और 8 बच्चे हैं. उन्हें यहां दो बैचों में शिफ्ट किया गया था. 26 मार्च को दिहाड़ी मजदूरों और 28 मार्च को टूरिस्ट और श्रद्धालुओं को लाया गया.

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