advertisement
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित मानसिक अस्पताल में पिछले 5 दिनों में 3 पुरुष और 2 महिला मनोरोगियों की मौत के बाद मामला तूल पकड़ता दिख रहा है. बुधवार की सुबह एक और महिला मरीज की मौत हो गई. इसके अलावा एक बंदी यहां की सुरक्षा व्यवस्था को धता देकर भाग चुका है. साथ ही, एक बंदी कर्मचारियों की पिटाई से गंभीर रूप से घायल हो चुका है. मंगलवार को एक मरीज की मौत पर हुए हंगामे के बाद जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जांच के आदेश दिए थे. जिसमें कुछ कमियां पाई गई हैं.
अस्पताल की लापरवाही की जांच के लिए सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी और एडीएम प्रोटोकाल बच्चू सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. मंगलवार को दोनों अधिकारी निरीक्षण करने गए भी थे. आज भी जाना था, लेकिन बुधवार सुबह एक महिला ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, जिससे मानसिक चिकित्सालय प्रशासन अब संदेह के दायरे में आ गया है. जिलाधिकारी ने मामले में जांच कर सख्त कार्रवाई की बात कही है.
वाराणसी के पांडेयपुर स्थित मानसिक चिकित्सालय में भर्ती मनोरोगियों की मौतों का सिलसिला जारी है. बुधवार सुबह एक और महिला मरीज की मौत हो गई. इस तरह से बीते पांच दिन में पांच मरीजों की जान जा चुकी है. एक बंदी यहां की सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर भाग चुका है. वहीं एक रोगी कर्मचारियों की पिटाई से गंभीर रूप से घायल हो चुका है. इन घटनाओं से वाराणसी का मानसिक चिकित्सालय दुर्व्यवस्थाओं का शिकार दिखता है. और यहां के कर्मचारियों की कार्यशैली भी गंभीर सवालों के घेरे में नजर आती हैं.
मानसिक चिकित्सालय में भर्ती महिला के बारे में अस्पताल प्रशासन की ओर से बताया गया कि महिला को वाराणसी के सीजेएम के आदेश से भर्ती किया गया था. मंगलवार रात महिला की तबीयत खराब हुई तो अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. उसे किसी अन्य अस्पताल के लिए भी रेफर नहीं किया गया. उचित उपचार के अभाव में महिला की मौत हो गई
वाराणसी के मानसिक चिकित्सालय में भर्ती सारनाथ क्षेत्र की श्रेया (34) की मंगलवार को मौत हो गई थी. श्रेया की मौत की सूचना मिलने पर उसके परिजनों ने मानसिक अस्पताल की निदेशक डॉ. लिली श्रीवास्तव और इलाज करने वाले डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया था. इसके कुछ देर बाद ही आजमगढ़ से आए एक अन्य मरीज की मौत हो गई थी. उसकी उम्र लगभग 50 वर्ष थी. मानसिक स्थिति सही न होने के कारण वह अपना नाम और पता नहीं बता पाया था. उसे आजमगढ़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश से भर्ती कराया गया था.
मानसिक अस्पताल में भर्ती बांदा जिले का कैदी हरिशंकर बीती 8 जून को सुरक्षा कर्मियों को चकमा देकर भाग गया था. इसके बाद अस्पताल कर्मियों द्वारा एक बंदी की पिटाई की गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गया. 9 जून को बांदा से आए हुए बंदी राहुल उपाध्याय की मौत हो गई थी. इसके एक ही दिन बाद बस्ती जिले के प्राइवेट मरीज दिलीप मिश्रा की मौत हो गई थी.
मानसिक चिकित्सालय में मरीजों की मौतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने मंगलवार को एडीएम प्रोटोकॉल बच्चू सिंह और सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी की जांच समिति गठित की थी. दोनों अधिकारी जांच करने पहुंचे तो उन्हें अस्पताल में तमाम खामियां मिली थीं. दोनों अफसरों का कहना है कि उन्होंने अस्पताल में मिली खामियों के संबंध में अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है.
वाराणसी मानसिक चिकित्सालय की चिकित्सा अधीक्षक और निदेशक डॉक्टर लिली श्रीवास्तव ने बताया की अस्पताल में वार्ड बॉय और नर्स की संख्या बहुत कम है. अस्पताल में गर्मी के हिसाब से जरूरी साधनों का भी बेहद अभाव है. इसके लिए उनके द्वारा विभाग को पत्र लिखा गया है. हालांकि उस पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है. डॉक्टर लिली के मुताबिक प्रथम दृष्टया पांचों मरीज की मौत अत्यधिक गर्मी से हुई प्रतीत होती है. असली वजह तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगी.
वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी बुधवार को मानसिक चिकित्सालय में महिला की मौत के बाद पांडेपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय पहुंचे. वहां के दर्जनभर चिकित्सकों के साथ मानसिक अस्पताल में भर्ती मरीजों की सेहत का जायजा लिया. लगभग 2 घंटे तक अस्पताल में भर्ती ढाई सौ मरीजों के स्वास्थ्य की जांच हुई. इसके बाद टीम लौट गई.
इनपुट- चंदन पांडेय
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)