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वाराणसी सीट से PM मोदी के सामने चुनावी मैदान में उतरे 6 उम्मीदवार कौन हैं?

इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय इस सीट से चौथी बार चुनावी मैदान में हैं, जहां वह पीएम मोदी के लिए सबसे मजबूत चुनौती बने हुए हैं.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>वाराणसी सीट से PM मोदी के साथ चुनावी मैदान में उतरे अन्य छह उम्मीदवार कौन? यहां जानें</p></div>
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वाराणसी सीट से PM मोदी के साथ चुनावी मैदान में उतरे अन्य छह उम्मीदवार कौन? यहां जानें

फोटो- क्विंट हिंदी

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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव अपने आखिरी चरण में हैं. सात में से छह चरणों के चुनाव हो चुके हैं, आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होने वाला है. अंतिम चरण में बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ की कुल 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इन सीटों में से यदि किसी सीट की चर्चा सबसे अधिक है तो वह है वाराणसी (Varanasi) लोकसभा सीट की. इस सीट से पीएम नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. उनके साथ ही इस सीट से अन्य छह उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं. वहीं कॉमेडियन श्याम रंगीला ने भी यहां से नामांकन दाखिल किया था, हालांकि उनका नामांकन खारिज कर दिया गया.

आईए आज पीएम मोदी समेत इन सातों उम्मीदवार के बारे में जानते हैं, यह कौन हैं और किस पार्टी से चुनावी मैदान में हैं.

PM मोदी ने 2014 में पहली बार यहां से लड़ा था चुनाव

पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से पहली बार 2014 में चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की थी. जहां पीएम मोदी को 5,81,022 लाख (56.37 प्रतिशत) वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 लाख (20.30 प्रतिशत) वोट मिले थे.

पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 में दूसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ा, जहां उन्होंने ना सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि वोट प्रतिशत में भी काफी वृद्धि हुई. 2019 में पीएम मोदी को 6,74,664 (63.62 प्रतिशत) वोट मिले. वहीं इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव दूसरे नंबर पर रही, जहां उन्हें 1,95,159 लाख (18.40 प्रतिशत) वोट मिले.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी रण में उतरे पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा अन्य छह उम्मीदवारों के बारे में एक- एक कर जानते हैं.

1. अजय राय

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय इस सीट से चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. अजय राय वाराणसी सीट से 2009 (एसपी के टिकट से), 2014 और 2019 (कांग्रेस के टिकट से) में चुनाव लड़ चुके हैं. हालंकि यह एक बार भी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो सके हैं. हर बार वह तीसरे स्थान पर रहे हैं. लेकिन इस बार के चुनाव में अजय राय, पीएम मोदी के लिए सबसे मजबूत चुनौती बने हुए हैं.

53 वर्षीय अजय राय, पांच बार विधायक भी रहे हैं. वह चार बार कोलासला सीट से विधायक चुने गए हैं. जहां उन्होंने तीन बार बीजेपी से और एक बार निर्दलीय से चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की. इसके बाद वह साल 2012 में कांग्रेस में शामिल हो गए. जहां वह 2012 से 2017 तक वाराणसी की पिंडरा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रहे.

चल संपत्ति- 6.66 लाख

अचल संपत्ति- 1.25 करोड़

जीवनसाथी- चल संपत्ति- 45.37 लाख

अचल संपत्ति- 80 लाख

अजय राय पर 18 मामले दर्ज हैं.

2. अतहर जमाल लारी

अतहर जमाल लारी, बहुजन समाज पार्टी की टिकट से चुनावी मैदान में है. वाराणसी के निवासी जमाल लारी एक करघे (कपड़े बुनाई की मशीन) के मालिक हैं. यह 1960 के दशक से समाजवादी राजनीति से जुड़े हुए हैं और कई चुनाव भी लड़े, हालांकि इन्हें कभी जीत हासिल नहीं हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अतहर जमाल लारी ने साल 1971 में गोरखपुर के डीएवी इंटर कॉलेज में यूनियन चुनाव जीता था. वह उन राजनीतिक नेताओं में शामिल थे जिन्हें इमरजेंसी के दौरान "अंडरग्राउंड" होने के लिए मजबूर किया गया था.

साल 1977 में, वह जनता पार्टी की स्थापना के समय इसमें शामिल हुए और पार्टी में कई पदों पर रहे.

अतहर जमाल लारी ने 1984 में जनता पार्टी के टिकट पर वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी शुरुआत की और हार गए. फिर साल 1991 में, उन्होंने जनता दल से वाराणसी कैंट, विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, जहां वह बीजेपी की ज्योत्सना श्रीवास्तव से 5,000 वोटों से हारकर दूसरे स्थान पर रहे.

जनता दल के विघटन के बाद लारी 1995 में सोने लाल पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल में शामिल हो गये जहां उन्हें राज्य प्रभारी बनाया गया.

लारी ने 2004 में अपना दल से वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा. जहां वह 14.73% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. इसके बाद साल 2012 में, लारी ने मुख्तार अंसारी के नेतृत्व वाले कौमी एकता दल से वाराणसी (दक्षिण) विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, जहां वह एक बार फिर तीसरे स्थान पर रहे.

2022 के विधानसभा चुनाव में लारी ने एसपी का समर्थन किया, लेकिन चुनाव के बाद वह बीएसपी में शामिल हो गए.

चल संपत्ति- 6.52 लाख

अचल संपत्ति- 1.8 करोड़

जीवनसाथी- चल संपत्ति- 3.31 लाख

अतहर जमाल लारी पर एक मामला दर्ज है.

3. कोलिसेट्टी शिव कुमार

कोलिसेट्टी शिव कुमार, युग तुलसी पार्टी से वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी दांव अजमा रहे हैं. शिव कुमार, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व बोर्ड सदस्य हैं. यह ट्रस्ट आंध्र प्रदेश में तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर सहित अन्य मंदिरों का प्रबंधन करता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शिव कुमार ने जीवन भर गाय संरक्षण पर काम किया है. वह हैदराबाद में तीन गौशालाओं के मालिक हैं, जिनमें 1,500 गायों को आश्रय दिया गया है.

शिव कुमार का वाराणसी चुनाव अभियान में मुख्य मुद्दा यह है कि केंद्र सरकार गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित करे. उन्होंने कहा कि बीजेपी सनातन धर्म के बारे में बात करती है, लेकिन वे कुछ भी लागू नहीं कर रहे हैं.

चल संपत्ति- 36.19 लाख

अचल संपत्ति- 2.02 करोड़

जीवनसाथी- चल संपत्ति- 45.90 लाख

अचल संपत्ति- 1.97 करोड़ रुपये

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4. गगन प्रकाश यादव

गगन प्रकाश यादव, विधायक पल्लवी पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (कमेरावादी) के उम्मीदवार हैं. पल्लवी ने हाल ही में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदायों को प्रतिनिधित्व की कमी का दावा करते हुए एसपी से नाता तोड़ लिया है.

वाराणसी शहर से 4 किमी दूर भट्टी गांव के मूल निवासी, गगन प्रकाश यादव लोकसभा स्तर पर अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं.

कुछ दिन पहले एक सड़क दुर्घटना में अपने भाई को खोने के बाद से गगन प्रकाश यादव का चुनावी अभियान रुका हुआ है. वाराणसी के अपना दल (कमेरावादी) के जिला प्रमुख दिलीप सिंह पटेल ने कहा, "हम उनसे संपर्क नहीं कर पाए हैं."

पटेल ने कहा कि यादव कई वर्षों से अपना दल के साथ हैं और उन्होंने हमेशा छात्रों और किसानों के हितों का प्रतिनिधित्व किया है. पटेल ने कहा, “वह अपने छात्र जीवन से ही नेता रहे हैं, जबकि उनकी पत्नी वाराणसी में जिला पंचायत सदस्य हैं.”

चल संपत्ति- 19.16 लाख

अचल संपत्ति- 66 लाख

जीवनसाथी- चल संपत्ति- 14.25 लाख

अचल संपत्ति- 10 लाख

यादव पर पांच मामले दर्ज हैं.

5. दिनेश कुमार यादव

दिनेश कुमार यादव निर्दलीय की टिकट से चुनावी मैदान में हैं. दिनेश कुमार वाराणसी के सिकरौल से तीन बार के पार्षद हैं और पिछले 15 वर्षों से राजनीति में एक्टिव हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिनेश कुमार ने कहा कि वह वाराणसी से नामांकन दाखिल करने तक बीजेपी के साथ थे और उन्होंने "देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के तहत" चुनाव लड़ने का फैसला किया. उन्होंने आगे कहा, ''मैं लड़ रहा हूं क्योंकि देश में लोकतंत्र है.''

हालांकि बीजेपी के क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी (काशी क्षेत्र) नवरतन राठी ने इस बात से इन्कार किया कि दिनेश कुमार कभी पार्टी में थे. राठी ने कहा, ''मैंने यह नाम नहीं सुना है.''

चल संपत्ति- 16.40 लाख

अचल संपत्ति- 10 लाख

6. संजय कुमार तिवारी

नई दिल्ली के रहने वाले संजय कुमार तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता. उन्होंने दावा किया कि वह श्रमिकों और कामगारों के कल्याण के लिए आंदोलनों का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, "मैं सीधे तौर पर किसी पार्टी से नहीं जुड़ा हूं, लेकिन मैंने एक बुद्धिजीवी के तौर पर उनके साथ काम किया है."

वहीं चुनाव लड़ने के फैसले पर संजय कुमार तिवारी ने कहा, "मैं गांधीवादी दर्शन का पालन करता हूं. मैंने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला किया क्योंकि मैं पीएम मोदी का आलोचक हूं."

चल संपत्ति- 11.46 लाख

अचल संपत्ति- 29 लाख

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