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वाराणसी: घाटों के पार बन रही 'टेंट सिटी', एक्सपर्ट्स ने क्या सवाल उठाए?

टेंट सिटी में रिवर कॉटेज के साथ रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल, योग सेंटर, आर्ट गैलरी सहित कई अन्य सुविधाएं होंगी.

चंदन पांडे
भारत
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<div class="paragraphs"><p>टेंट सिटी बनने से गंगा की आंचल हो रही है मैली.</p></div>
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टेंट सिटी बनने से गंगा की आंचल हो रही है मैली.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) को टूरिज्म हब बनाने की दिशा में एक और बड़ा काम आखिरी चरण में है. गंगा के प्रमुख घाटों के पार रेत पर टेंट लगाकर रहने और समय बिताने की सैलानियों की हसरतें अब जल्द पूरी होगी. लेकिन टेंट सिटी के बसने से पूर्व ही इसके ढांचे और रहन सहन को लेकर नदी विज्ञानी प्रशासन को घेरने में लगे हैं.

बीएचयू (Banaras Hindu University) के नदी विज्ञानी मानते हैं कि टेंट सिटी के बसने के पूर्व सॉलिड वेस्ट और लिक्विड वेस्ट के पूर्ण इंतजाम नहीं हैं तो इससे गंगा और प्रदूषित होंगी. वहीं गंगा के साथ नित्य हो रहे नए नए प्रयोग को लेकर भी नदी विशेषज्ञों में नाराजगी है.

क्या है पूरा मामला

बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस (Varanas) में गंगा पार रेत पर टेंट सिटी का काम तेजी से जारी है. नए साल यानी जनवरी महीने के पहले सप्ताह में पर्यटक ऐतिहासिक घाटों के सामने 'टेंट सिटी' (Tent city) में लग्जरी सुविधाओं का आनंद ले सकेंगे. इसके लिए निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. अस्सी से दशाश्वमेध घाट के सामने उस पार बसाई जा रही टेंट सिटी के लिए 100 एकड़ जमीन पर सुविधाएं विकसित की जा रही हैं.

बता दें कि वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) सहित 13 विभाग इसे मूर्त रूप देने में जुटे हुए हैं. 'टेंट सिटी' को बसाने का काम दो फर्मों को दिया गया है, जो कुल 600 टेंट्स का निर्माण करेंगी.

इस टेंट सिटी में रिवर कॉटेज के साथ रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल, योग सेंटर, आर्ट गैलरी, क्राफ्ट बाजार सहित कई अन्य सुविधाएं होंगी. इसके अलावा यहां पर्यटक वॉटर स्पोर्ट्स, कैमल और हॉर्स राइडिंग का मजा भी ले सकेंगे. इस टेंट सिटी में कई तरह के टेंट लगाए जाएंगे और सुविधाओं के हिसाब के किराया होगा.
अभिषेक गोयल, प्राधिकरण के उपाध्यक्ष
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बताया जा रहा है कि, 5 हजार से लेकर 20 हजार तक का किराया इसे तैयार करने वाली फर्में पर्यटकों से वसूलेंगी. बता दें की वाराणसी में ऑफ सीजन में भी पर्यटकों की अच्छी संख्या इस बार देखने को मिली. माना जाता है कि, जनवरी के महीने में पर्यटन और ज्यादा बढ़ जाते हैं लिहाजा नये साल में इस टेंट सिटी के तैयार होने के बाद लोग यहां आसानी से रूम की बुकिंग करा सकेंगे.

लिक्विड वेस्ट और सॉलिड वेस्ट का इंतजाम न होने पर बढ़ा गंगा में प्रदूषण

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महामना मालवीय शोध संस्थान के अध्यक्ष और नदी वैज्ञानिक प्रोफेसर बी डी त्रिपाठी ने कहा कि कई शहरों में नदी के दोनों किनारे शहर बसे हुए हैं लेकिन वाराणसी में ऐसा नहीं है. बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी उत्तरवाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकर स्वरूप के एक किनारे पर ही बसी है. ऐसे में गंगा के स्वरूप से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है.

गंगा अपनी दाहिनी तरफ बालू डिपॉजिट (जमा) करती हैं, जिसके कारण नदी के जलचर उस क्षेत्र को अपना मानते हैं, टेंट सिटी बसने के कारण उस क्षेत्र में हलचल बढ़ेगी इससे जलचरों के लिए समस्या और खतरा बढ़ेगा.
प्रोफेसर बी डी त्रिपाठी

गंगा के प्रदूषण को लेकर भी उन्होंने कहा कि वाराणसी शहर से प्रतिदिन निकलने वाले लिक्विड वेस्ट को गंगा में गिरने से रोकने में प्रशासन अभी भी असफल है. ऐसे में उस पार बिना लिक्विड वेस्ट और सॉलिड वेस्ट का ठोस इंतजाम किए बगैर टेंट सिटी बसाना गंगा के जीवन से खिलवाड़ जैसा है.

"काजल आंख में लगाया जाता है, चेहरे में लगाने से इंसान कुरूप हो जाता है"

संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष और आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विसंभर नाथ मिश्रा ने काशी की गंगा को लेकर हो रहे नए-नए प्रयोग पर आपत्ति जताई. उन्होंने प्रशासन पर तंज कसते हुए कहा है कि काजल को आंख में लगाया जाता है, अगर चेहरे पर लगा लिया तो वो कुरूप हो जाता है.

टेंट सिटी का कॉन्सेप्ट प्रयाग के लिए है, न की काशी के लिए. प्रयाग में सदियों से माघ मेला लगता है, वहां कल्पवास लेकर कल्पवासी बैठते हैं. प्रयाग का मॉडल काशी में और काशी का मॉडल प्रयाग में करने से जिला प्रशासन पारंपरिक और आध्यात्मिक सौंदर्य को नष्ट कर रहा है.
विसंभर नाथ मिश्रा, प्रोफेसर आईआईटी बीएचयू

उन्होंने कहा कि गंगा पार में पार्शियल शहरीकरण करके गंगा को और प्रदूषित करने की दिशा में काम जोरों से चल रहा है. उस पार का रेत गंगा का है जो वो अपने चैनल के लिए इस्तेमाल करतीं हैं. इस टेंट सिटी के कुप्रभाव दिखाई देंगे. पहले भी गंगा में 11 करोड़ रूपए खर्च करके एक नहर बनाया गया था, जो प्रशासन ने आम जनता का पैसा पानी में बहा दिया था. काशी प्रयोग का क्षेत्र बनता जा रहा है. हाय रे बनारस अभी क्या क्या देखना बाकी है.

उन्होंने कहा कि गंगा पार में स्वच्छ बालू का क्षेत्र है. वह जलचरों का सुरक्षित इलाका है. इसे भी जिला प्रशासन बरबाद करने में लगा है. कमर्शियल एक्सप्लायटेशन से जलचारों को खतरा है. इसपर सरकार का ध्यान नहीं है. विसंभर नाथ मिश्रा ने कहा कि, महंत ने गंगा पार में बने 'टेंट सिटी' से हो रहे प्रदूषण का एक वीडियो भी ट्वीट किया है.

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