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राजस्थान में वसुंधरा राजे BJP या खुद को दे रहीं चुनौती?

Rajasthan Assembly Election 2023: वसुंधरा राजे 4 मार्च को चूरू जिले के सालासर धाम में एक बड़ा आयोजन करने जा रही हैं.

पल्लव मिश्रा
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>राजस्थान में वसुंधरा राजे BJP या खुद को दे रही चुनौती?</p></div>
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राजस्थान में वसुंधरा राजे BJP या खुद को दे रही चुनौती?

(फोटो: PTI)

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असम के राज्यपाल के रूप में गुलाब चंद कटारिया की नियुक्ति के बाद से राजस्थान (Rajasthan) में नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर बीजेपी नेताओं के बीच खींचतान जारी है. इस बीच, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे 4 मार्च को चूरू जिले के सालासर धाम में एक बड़ा आयोजन करने जा रही हैं. हालांकि, राजे का जन्मदिन 8 मार्च को है लेकिन उसी दिन होली है. ऐसे में राजे ने एडवांस में जन्मदिन मनाने की घोषणा की है.

सूत्रों की मानें तो कार्यक्रम में बड़ी भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. राजे ऐसे वक्त में आयोजन करने जा रही हैं जिस दिन भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा पेपर लीक मामले को लेकर विधानसभा का घेराव करेगी. इसमें सभी संगठनों के नेताओं को शामिल होने का निर्देश पार्टी की तरफ से दिया गया है. ऐसे में राजे का यह कार्यक्रम कई सवाल खड़े कर रहा है.

"क्विंट हिंदी" से बात करते हुए राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, "बीजेपी का 4 तारीख का कार्यक्रम पहले से तय था लेकिन वसुंधरा राजे का भी कार्यक्रम उस दिन हो गया है. जिसको जहां जाना होगा वो वहां जाएगा. पेपर लीक मुद्दा बड़ा है, हम सरकार को घेरेंगे."

नई लीडरशिप उभारना चाह रही बीजेपी

वरिष्ठ पत्रकार कुमार पंकज कहते हैं, "बीजेपी आगे का भविष्य देखती हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वसुंधरा राजे राजस्थान में बीजेपी की बड़ी नेता रही हैं लेकिन बदलते हालात और समीकरण में पार्टी नई लीडरशिप को उभारना चाहती है. पार्टी अब ऐसे चेहरे को उभारना चाहती है जो अगले 10 साल तक राजनीति का केंद्र रहे."

BJP नेतृत्व दे रही चुनौती?

कुमार पंकज कहते हैं कि वसुंधरा राजे बीजेपी नेतृत्व को बार-बार चुनौती देती रहती है. पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया लेकिन उन्होंने पद सहजता से स्वीकार नहीं किया. आज वो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं लेकिन उनको लगता है कि वो प्रदेश की सियासत में बड़ा काम कर सकती हैं.

उन्होंने कहा कि जब आप संगठन में काम करते हैं तो आपको उसकी बात माननी होती है लेकिन राजे हमेशा से अपना वर्चस्व दिखाती रही हैं.

कौन होगा बीजेपी का चेहरा?

जानकारों की मानें तो इस लिस्ट में गजेंद्र सिंह शेखावत, सीपी जोशी, राजेंद्र राठौड़,अर्जुन राम मेघवाल और ओम बिरला का नाम शामिल है.

प्रेशर पॉलिटिक्स कर रही वसुंधरा?

पत्रकार विवेक श्रीवास्तव कहते हैं कि बीजेपी संसदीय दल फैसला कर चुका है कि राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा. मतलब साफ है कि पार्टी किसी को चेहरा नहीं बनाएगी ऐसे में वसुंधरा राजे चाहती हैं कि वो दबाव बनाकर नेता विपक्ष या फिर चुनाव कैंपेन कमेटी की चेयरमैन बनें.

उन्होंने कहा कि इतने दिन से नेता विपक्ष का पद खाली है लेकिन मजबूत दिख रही बीजेपी राजे के दांव से कोई निर्णय नहीं कर पा रही है.

हम सभी एकजुट हैं. नेता प्रतिपक्ष, सीएम चेहरा, प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा ये पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा. हम पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ेंगे."
सतीश पूनिया, राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष

राजे और बीजेपी में क्या विवाद?

विवेक श्रीवास्तव बताते हैं कि 2017 में अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष थे और उस वक्त अशोक परनामी की जगह पार्टी गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती थी लेकिन राजे अड़ गई. वो 8-9 मंत्री और सांसद लेकर दिल्ली में डटी रही और 74 दिन तक प्रदेश अध्यक्ष का फैसला नहीं होने दिया. इसके बाद पार्टी ने अंत में 75 साल के मदन लाल सैनी को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया. यही राजे और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच नाराजगी की वजह बनी और इसीलिए अब पार्टी उन्हें स्वीकार नहीं कर रही है.

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जातीय समीकरण साधने में जुटी बीजेपी

विवेक श्रीवास्तव कहते हैं कि बीजेपी अब वसुंधरा राजे के दवाब में नहीं आना चाहती है और इसलिए उनकी कांठ निकाल ली है. पार्टी ने राजस्थान में राजनीतिक समीकरण साधना शुरू कर दिया. इसी के तहत ओम बिरला (वैश्य) को स्पीकर, जगदीप धनखड़ (जाट) को उपराष्ट्रपति, कैलाश चौधरी (जाट) को केंद्र में मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत (राजपूत) को केंद्र में मंत्री, सतीश पूनिया (जाट) प्रदेश अध्यक्ष, अर्जुनराम मेघवाल (SC) को केंद्र में मंत्री बनाया.

राजस्थान मेंं OBC वोटर्स की संख्या ज्यादा है.

(फोटो-क्विंट हिंदी)

राजस्थान में क्या है जातीय समीकरण?

राज्य में SC 18%, ST – 14% (मीणा 7%), मुस्लिम – 9%, ओबीसी की 40 प्रतिशत आबादी हैं जिसमें गुर्जर–5%, जाट –10% और माली–4% हैं. वहीं सवर्णों की आबादी 19 प्रतिशत के करीब हैं जिसमें ब्राह्मण-7%, राजपूत–6% और वैश्य-4% और अन्य 2% हैं.

विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि बजट सत्र के बाद केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार संभव है, उसमें राजस्थान के कुछ नेताओं को प्रमोशन मिलेगा और कुछ नए चेहर शामिल किए जा सकते हैं.

PM मोदी-शाह ने अपने हाथ में ली कमान

बीजेपी कई तरहों से जातीयों की साधने की तैयारी में है. इसी क्रम में पीएम मोदी ने राजस्थान में अभी 2 रैलियां की हैं. एक भीलवाड़ा और दूसरा दौसा.

भीलवाड़ा में गुर्जर समाज का वर्चस्व हैं और वहां के 8 से 9 प्रतिशत गुर्जर सचिन पायलट के साथ है. उसको साधने के लिए पीएम गुर्जर समाज के भगवान के मंदिर में गए. वहीं दौसा में मीणा समाज को साधने की कोशिश है. पीएम मोदी और अमित शाह खुद अपने स्तर पर चीजों को टारगेट कर रहे हैं.

राजस्थान में लागू होगा 'गुजरात फॉर्मूला'?

बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो राजस्थान में दो राउंड सर्वे हो चुका है. पार्टी राजस्थान में भी "गुजरात फॉर्मूला" लागू करेगी यानी कई जगहों पर नए और जीतने वाले उम्मीदवार को टिकट दिया जाएगा. पिछले साल सतीश पूनिया ने कहा था कि यह उनकी निजी राय है कि नेताओं को 70 साल की उम्र में राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए.

दरअसल, दो बार के सीएम को हाल के दिनों में सतीश पूनिया के नेतृत्व वाले प्रदेश नेतृत्व द्वारा पार्टी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज से अलग कर दिया गया है. सालासर धाम राजस्थान के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक है और चूरू पूनिया का गृह जिला है, जो राजे प्रतिद्वंद्वी और सीएम पद के साथी दावेदार हैं. राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष के रूप में पूनिया का तीन साल का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हो गया था, लेकिन वह अभी तक पद पर बने हैं.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजे अपने समर्थकों को जोड़े रखना चाहती हैं. क्योंकि अगर उनको कोई पद नहीं मिला तो समर्थक छिटक सकते हैं, उनको डर सताने लगेगा कि कहीं टिकट नहीं मिला तो? ऐसे में वो 4 मार्च को शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं.

बीजेपी राजे के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं कर सकती, यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि 2003 और 2013 दोनों में, जब उन्हें चुनावों से पहले अध्यक्ष बनाया गया था और पार्टी के चेहरे के रूप में पेश किया गया था, तो पार्टी जीत गई थी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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