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चारा घोटाला: तीसरे मामले में भी लालू प्रसाद को पांच साल की जेल

देवघर कोषागार मामले में लालू यादव पहले ही सजा काट रहे हैं और फिलहाल वो जेल में बंद हैं.

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चारा घोटाला मामले में जेल में कैद हैं आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव
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चारा घोटाला मामले में जेल में कैद हैं आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव
(फोटो: PTI)

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लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार मामले में भी सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई है. सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा है. इस मामले की सुनवाई 10 जनवरी को पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. देवघर कोषागार मामले में लालू यादव पहले ही सजा काट रहे हैं और फिलहाल वो जेल में बंद हैं.

चारा घोटाले में ये तीसरा मामला था, इससे पहले दो मामलों में लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं. लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को भी 5 साल की सजा सुनाई गई है.

सीबीआई की एक विशेष अदालत के न्यायाधीश एसएस प्रसाद ने चाइबासा खजाने से 1992-1993 में धोखे से 33.67 करोड़ रुपये निकाले जाने के मामले में फैसला सुनाया. लालू प्रसाद यादव और दूसरे दोषियों पर नकली आवंटन पत्रों के माध्यम से चाइबासा खजाने से 33.67 करोड़ रुपये निकाले का आरोप था.

कोर्ट का फैसला आने के बाद लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला.

क्या था चाईबासा कोषागार मामला

चाईबासा कोषागार से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी. इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कुल 76 आरोपी थे, जिनमें लालू प्रसाद और डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के नाम भी शामिल हैं.

क्या था चारा घोटाला

90 के दशक में चारा घोटाले का खुलासा होते ही बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था. 1996 में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो इसकी लपटों ने तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव को भी झुलसा दिया. चारा घोटाले का दाग उनकी जिंदगी पर ऐसा लगा कि उन्हें सलाखों के पीछे तक जाना पड़ा.

लालू यादव 1990-97 तक 7 साल बिहार के मुख्यमंत्री रहे, उन्हीं के कार्यकाल के दौरान चारा घोटाले का खुलासा हुआ. 1996 का साल था जब बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था. झारखंड के चाईबासा में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था.

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ये पूरा मामला बिहार सरकार के खजाने से गलत ढंग से पैसे निकालने का था. कई वर्षों में करोड़ों की रकम पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ निकाली. जिसमें जानवरों को खिलाये जाने वाले चारे और पशुपालन से जुड़ी चीजों की खरीदारी के नाम पर करीब 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए.

(फोटो: द क्विंट) 

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Published: 24 Jan 2018,09:08 AM IST

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