बिहार के चर्चित चारा घोटाले से जुड़े एक केस में सुनवाई के दौरान सीबीआई कोर्ट के जज ने बड़ा खुलासा किया है. जज शिवपाल सिंह ने कहा कि घोटाले के दोषी लालू प्रसाद के लोगों ने उन्हें फोन किया था.
जज ने आगे ये भी बताया कि उन्होंने फोन करने वाले से कहा कि उन्हें भी नहीं पता कि अदालत में क्या होने वाला है.
बता दें कि बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को सीबीआई की विशेष अदालत चारा घोटाले के एक मामले में शुक्रवार को सजा सुना सकती है. पहले सजा पर फैसला बुधवार को आना था, लेकिन एक वकील के निधन की वजह से इसे अगले दिन के लिए टाल दिया गया. बाद में गुरुवार को भी उन पर फैसला नहीं आ पाया.
अदालत ये तय करेगी कि लालू को कितने साल जेल की सजा होगी. आगे उन्हें हाईकोर्ट से आसानी से जमानत मिल पाएगी या नहीं, ये भी बहुत कुछ सजा पर निर्भर है.
बिरसा सेंट्रल जेल में कैद लालू
यह मामला देवघर के जिला कोषागार से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये निकालने से जुड़ा हुआ है. इस पूरे मामले में कुल 34 आरोपी थे, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है. जबकि एक आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और सीबीआई का गवाह बन गया.
इस मामले में अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित 7 लोगों को निर्दोष करार देते हुए मामले से बरी कर दिया.
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लालू यादव समेत 16 लोगों को सीबीआई कोर्ट ने 23 दिसंबर 2017 को दोषी करार दिया था. इसके बाद से लालू बिरसा सेंट्रल जेल में है और उन्हें कैदी नंबर 3351 मिला हुआ है.
चारा घोटाले में कैसे-कैसे आरोप
- 1990 के दशक के चारा घोटाले ने बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाला. इसमें पैसे के गबन और फर्जीवाड़े के जो मामले सामने आए, वो चौंकाने वाले थे. आरोप ये भी थे:
- गाय-भैंस और सांडों की ढुलाई के नाम पर फर्जी तरीके से पैसे बनाए गए.
- जिन गाड़ियों से मवेशियों की ढुलाई कागज पर दिखाई गई थी, उनमें से ज्यादातर के नंबर स्कूटर-मोटरसाइकिल के निकले.
- मवेशियों की दवा के नाम पर फर्जी बिल लगाए गए.
- कई दवा कंपनियों का तो कहीं कोई अता-पता नहीं था. कुछ कंपनियां तो सचमुच की थीं, लेकिन उन्होंने केवल बिल बनाकर फायदा पहुंचाया.
- पशुओं के चारा के नाम पर कोषागार से पैसे की निकासी की गई.
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