Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019COVID 19 के खिलाफ जंग में डॉ शेट्टी के प्लान पर डॉ वर्गीज का जवाब

COVID 19 के खिलाफ जंग में डॉ शेट्टी के प्लान पर डॉ वर्गीज का जवाब

देश में हजार से ज्यादा बेड वाले कितने हॉस्पिटल हैं? क्या हर शहर के पास ये उपलब्ध हैं?

डॉ. मैथ्यू वर्गीज
भारत
Updated:
कोविड 19 के इलाज के लिए अस्पतालों को ठीक करने की जरूरत है.
i
कोविड 19 के इलाज के लिए अस्पतालों को ठीक करने की जरूरत है.
(फोटोः PTI)

advertisement

डॉ देवी शेट्टी भारतीय कार्डिएक सर्जन और नारायणा हेल्थ के चेयरमैन हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित अपने एक वैचारिक आलेख में वे कोविड-19 महामारी से बेहतर तरीके से लड़ने के लिए भारत के सभी संबद्ध पक्षों को कई मानदंडों को अपनाने के सुझाव देते हैं. नीचे डॉ मैथ्यू वर्गीज के विचार उनसे आगे की कड़ी है जो वेटरन ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं और जिनकी ख्याति पोलियो उन्मूलन और देश के आखिरी पोलियो वार्ड सेंटर स्टीफन्स हॉस्पिटल, दिल्ली से जुड़ी है.

1. डॉ शेट्टी : हर बड़े शहर को हजार बेड वाले दो बड़े सरकारी अस्पतालों समर्पित कर देना चाहिए और उन्हें कोविड-19 अस्पताल में बदल दिया जाना चाहिए जहां पाइप गैस वाले ऑक्सीजन, सक्शन और उच्च दबाव पर एअर सप्लाई की सुविधा हो ताकि हजार वेंटीलेटर चल सकें.

डॉ वर्गीज : देश में हजार से ज्यादा बेड वाले कितने हॉस्पिटल हैं? क्या हर शहर के पास ये उपलब्ध हैं? वेंटीलेटर्स कहां हैं? न ये हैं और न ही इन्हें वार्ड और बेड की तरह रातों रात बनाया जा सकता है. पाइप से ऑक्सीजन की आपूर्ति और सक्शन ये सभी दीर्घकालिक बेहतरीन समाधान हैं लेकिन तुरंत की जरूरत के लिए ये आवश्यकताएं किसी सपने की तरह है.

2. डॉ शेट्टी : सभी कोविड-19 अस्पतालों को केन्द्रीय पाइपयुक्त ऑक्सीजन की जरूरत होती है. पश्चिम यूरोप में ऑक्सीजन की आपूर्ति खत्म हो जाने से एक मरीज की मौत हो गयी.

डॉ वर्गीज : 20 या 30 से अधिक बेड के लिए पाइप के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति ज्यादातर अस्पतालों में नहीं है. ऑक्सीजन सिलिंडर की भी अपनी सीमा है. क्या किसी ने स्टॉक चेकिंग की है कि कितने ऑक्सीजन की सप्लाई उपलब्ध है? बड़े क्षेत्रों में पाइप के जरिए ऑक्सीजन के लिए लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की आवश्यकता है जिसके लिए व्यवस्था बनाने में और अधिक समय चाहिए.

3. डॉ शेट्टी : स्वास्थ्य मंत्रालय को डॉक्टरों की दो टीमें गठित करनी चाहिए- एक स्क्रीनिंग और फैसले के लिए और दूसरी आईसीयू टीम गम्भीर बीमारियों की सेवाओं को व्यवस्थित करने के लिए.

डॉ वर्गीज : आपको इलाज का फैसला करने के लिए डॉक्टरों की जरूरत नहीं है. यह स्वास्थ्य से जुड़े पेशेवर लोगों के द्वारा किया जा सकता है जो इन्टेन्सिव केयर यानी गहन चिकित्सा या लैब वर्कर की मुख्य धारा का हिस्सा नहीं हैं. डॉक्टरों और नर्सों को गहन इन्टेन्सिव केयर और वेन्टीलेटर केयर के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. केवर चार सवाल ही जरूरी हैं : क्या आप उस इलाके में गये है जहां कोविड-19 के मरीज पाए गये हैं? क्या आपको बुखार है? क्या आपको लगातार खांसी या सूखी खांसी है? क्या आपको सांस लेने में तकलीफ है?

4. डॉ शेट्टी : वे मरीज जिसे संभवत: क्रिटिकल केयर सपोर्ट की जरूरत ना हो, उनसे कोविड-10 मरीज के तौर पर व्यवहार किया जाना चाहिए. गंभीर रूप से बीमार मरीज जिनके श्वसन तंत्र फेल हो गये हों, उन्हें आधुनिक आईसीयू, ऊंचे स्तर पर दक्ष स्टाफ और ईसीएमओ जैसे उपकरणों से युक्त निजी अस्पतालों में भेजा जाना चाहिए.

डॉ वर्गीज : क्यों गम्भीर रूप से बीमार मरीजों को केवल निजी सुविधाओं के लिए जाना चाहिए? उनका इलाज सरकारी केयर सेंटर पर किया जाना चाहिए. लॉकडाउन के समय का इस्तेमाल सभी क्षेत्रों में उपकरण, पाइप से ऑक्सीजन और दूसरी आवश्यक दवाओं से सुसज्जित आईसीयू को अपग्रेड करने में होना चाहिए.

लॉकडाउन काल का इस्तेमाल सभी थियेटरों आईसीयू स्टाफ, एनेस्थेसिया और सर्जिकल स्टाफ को इंटेंसिव केयर और वेंटिलेटर मैनेजमेंट में प्रशिक्षित करने के लिए होना चाहिए. रूम टेक्नीशियन और फिजियोथेरेपिस्ट का काम करने वालों को भी इस काम में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. तीन स्तर पर बैक तैयार किए जाने चाहिए ताकि जब एक असफल हो जाए तो दूसरा स्तर पर मौजूद हो.

प्लान ए, प्लान बी और प्लान सी के पास स्टाफ उपलब्ध होने चाहिए और आईसीयू केयर के सभी पहलुओं के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. एनेस्थेसिया के सभी विशेषज्ञों को इकट्ठा नहीं होना चाहिए. इसके बजाए उन्हें प्लान ए, बी और सी का नेतृत्व करने के लिए आगे आना चाहिए.

एक ईसीएमओ पर खर्च और उसके प्रयासों को देखते हुए ईसीएमओ संसाधन की बर्बादी है. इतने खर्च में हमारे पास 10 वेटिलेटर हो सकते हैं. ईसीएमओ से निकलने वाला नतीजा बहुत अच्छा नहीं है हालांकि उनका उपयोग अंतिम स्तर पर वेंटीलेटर के फेल हो जाने के मौके पर होता है. ये बिकने के रूप में भी उपलब्ध नहीं होते. वे केवल संस्थाओं में उपलब्ध होते हैं जो कार्टिएक सर्जरी और इंटरनेशनल कार्डियोलॉजी के दायरे में आता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

5. डॉ शेट्टी : शहर भर में ऑनलाइन सलाह के साथ फीवर क्लीनिक जहां वायरल स्क्रीनिंग के बारे में गाइडलाइन हो और उसका फॉलोअप भी किया जाता हो.

डॉ वर्गीज : आपको केवल फीवर के लिए क्लानीक नहीं चाहिए क्योंकि ‘चार सवाल’ बीमारी पर फैसला करने के ख्याल से कोई दिमाग वाला काम नहीं है. कई मरीज, जो बीमारी हो जाने की वजह से चिंतित होते हैं और वे केवल तभी खुश होंगे जब भौतिक रूप से बीमारी के लक्षणों को सत्यापित कर दिया जाए और कोविड-19 का टेस्ट कर लिया जाए.

यहां तक कि बड़े बड़े टेरीशियरी केयर हॉस्पिटल में भी पोस्ट ग्रैजुएट डॉक्टरों के बीच भयावह प्रतिक्रिया हुई थी जो इस बात पर रहे थे कि उनकी जांच की जानी चाहिए और आने वाले सभी मरीजों की जांच होनी चाहिए. घबराहट में तर्कहीन मांग है यह. क्या किसी ने देखभाल करने वालों के लिए काउंसिलिंग को इन स्थितियों में रोगियों के लिए उतना महत्वपूर्ण माना है?

6. डॉ शेट्टी : 2000 आईसीयू बेड के लिए 6 घंटों की शिफ्ट के लिए 700 नर्स, 200 रेजिडेंट डॉक्टर और 100 एंथेसियोलॉजिस्ट इन्टेन्सिविस्ट चाहिए. 24 घंटे की देखभाल के लिए 2800 नर्स, 800 रेजिडेंट डॉक्टर और 400 एंथेसियोलॉजिस्ट इन्टेन्सिविस्ट की जरूरत होगी. 24 घंटे तक देखभाल के लिए 2800 नर्स, 800 रेजिडेंट डॉक्टर और 400 एनस्थेटिस्ट्स हैं. 2000 बेड को दूर से व्हाट्सअप के जरिए कवर करने के लिए हमें कम से कम 200 वरिष्ठ इंटेन्सिविस्ट एनस्थेटिस्ट्स चाहिए.

डॉ वर्गीज : एक स्थान पर 2000 आईसीयू बेड तैयार करना असम्भव है जहां कई पाइप वाले ऑक्सीजन वितरण केंद्रों को ऑक्सीजन की आपूर्ति और दूसरे सपोर्टिव मॉनिटर की आवश्यकता होगी. किसी स्टेडियम या कन्वेन्शन सेंटर और वार हाऊस में शायद पल्स ऑक्सीमीटर बनाने के लिए समय लग जाएगा. 30 फीसदीअतिरिक्त (कुछ क्षेत्रो में 45 प्रतिशत) स्टाफ की भी जरूरत होगी ताकि छुट्टियां मिल सके.

ऐसा माना जाता है कि कई रिजर्व स्टाफ और विशेषज्ञ उपलब्ध हैं और मरीजो को दैनिक आधार पर आपातकालीन जरूरतें महूसस नहीं होती जैसे एमआईएस (हार्ट अटैक), कैसेरियन सेक्शन और दूसरी आपातकालीन आवश्यकताएं, जिसमें वेंटीलेटर और एनेस्थेसिया आवश्यक है. इस तरह इन्टेन्सिविस्ट और एनेस्थेशियॉलॉजिस्ट की राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक कमी है.

2000 नियमित कोविड-19 बेड और यहां तक कि वैसे वार्ड भी, जिस पर बहुत ज्यादा निर्भर रहा जाता है, एक हफ्ते के भीतर संभव हैं जैसा कि वुहान में संभव हुआ दिखाया गया.

7. डॉ शेट्टी : कोविड-19 आईसीयू जैसी व्यवस्था अस्पतालों में बड़े पैमाने पर तैयार की जानी चाहिए ताकि स्टाफ को सुरक्षित तरीकों के बारे में प्रशिक्षित किया जा सके. हेल्थ वर्करों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए.

डॉ वर्गीज : कहां हैं आईसीयू जैसी व्यवस्था और प्रशिक्षक? हमें लॉकडाउन काल का इस्तेमाल करना चाहिए और प्रशिक्षण का दायरा बढ़ाकर नियमित सर्जरी और एनेस्थेसिया केयर से स्टाफ को उपलब्ध कराना चाहिए. मैं आश्वस्त नहीं हूं कि हमारे पास प्रशिक्षण का कोई ब्रेन स्टोर्मिंग या तीन दिनों का कोई क्रैश कोर्स जैसा मॉड्यूल भी है.

8. डॉ शेट्टी : भारत में वेंटीलेटर्स की भारी कमी है. कोई भी देश वेंटीलेटर के निर्यात की अनुमति नहीं दे रहा है. युद्ध सतर पर वेंटीलटरों के उत्पादन के लिए सरकार को स्थानीय कंपनियों की मदद करनी चाहिए.

डॉ वर्गीज : वेंटीलेटर उच्च तकनीकी उपकरण है और इनमें से ज्यादातर भारत में बनने वाले उपकरण हैं. इन्हें विदेश से आयातित नॉक्ट डाउन किट्स से भी बनाया जाता है. कोई भी देश अब इन चीजों के निर्यात की इजाजत नहीं देगा. हो सकता है कि कोई कंपनी (या शायद दो) ऐसी हो जो सौ फीसदी भारतीय उत्पादक है और उस पर भी उनके पास, जैसा कि मुझे बताया गया है, तय मात्रा से अधिक आपूर्ति की सुविधा नहीं है. उन्हें मांग पूरी करने में महीनों लगेंगे. ‘युद्ध स्तर पर’ भी वक्त लगेगा.

9. डॉ शेट्टी : पीजी के छात्रों को यह विकल्प दिया जाना चाहिए कि उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर उन्हें कोविड-19 आईसीयू में काम करना चाहिए. पीजी स्टूडेन्ट्स, इंटर्न्स और अंतिम वर्ष के छात्रों को आईसीयू में तैनात किया जाना चाहिए ताकि वे वेंटीलेटर के मरीजों से परिचित हो सकें.

डॉ वर्गीज : सभी अंतिम वर्ष के छात्रों को छुट्टियों पर भेज दिया गया है. उनमें से कई घर गये हैं क्योंकि होस्टल तक बंद हैं और वे लौट नहीं सकते क्योंकि कोई ट्रेन या फ्लाइट नहीं है. कई पोस्ट ग्रैजुएट पहले से ही मेडिकल कॉलेजों में प्रशिक्षित किए गये हैं और लॉक डाउन काल में उनके स्तर को ऊंचा किया जाना चाहिए.

10. डॉ शेट्टी : नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) को चाहिए कि वे विदेश के मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों में पढ़े युवा डॉक्टरों को अनुमति दें. अंत में ये नर्स और डॉक्टर ही हैं जो जिन्दगियां बचाने जा रहे हैं.

डॉ वर्गीज : विदेश से आए छात्रो को ऐसी अस्थायी मान्यता क्यों? उनमें से ज्यादातर लोग अच्छे तरीके से प्रशिक्षित नहीं हैं. सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्थानीय छात्र कहीं बेहतर हैं और उन्हें प्रशिक्षित करना कहीं अधिक आसान है. ऐस् डॉक्टरों को पिछले दरवाजे से प्रवेश क्यों?

11. डॉ शेट्टी : मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को चाहिए कि वह ऑनलाइन सलाह और ई-प्रेसक्रिप्शन की अनुमति दे ताकि कोविड-19 के मरीज के आंकड़ों को यहां नियंत्रित किया जा सके और मेडिकल रिकॉर्ड को बनाए रखा जा सके. आईएसी को चाहिए कि वह अंतिम वर्ष की नर्स छात्राओं को इजाजत दे कि वे स्थायी आईसीयू के मरीजों की देखभाल करे.

डॉ वर्गीज : ऑनलाइन सलाह और ई-प्रेसक्रिप्शन केवल मरीजों का पुनर्परीक्षण के लिए हो सकता है जिनकी भौतिक रूप से जांच हो चुकी है और जिनका इलाज पहले से शुरू किया जा चुका है. अन्यथा वे आधे-अधूरे इलाज के कारण संदिग्ध जोन में चले जाएंगे. नर्सिंग के सभी विद्यार्थियों छुट्टी पर हैं और वे उपलब्ध नहीं हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 26 Mar 2020,08:48 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT