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विकास दुबे ‘एनकाउंटर’: पुलिस वालों के खिलाफ इस तरह से होगी जांच

साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे दिशा निर्देश

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भारत
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उत्तर प्रदेश में शुक्रवार सुबह गैंगस्टर विकास दुबे की मौत हो गई
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उत्तर प्रदेश में शुक्रवार सुबह गैंगस्टर विकास दुबे की मौत हो गई
(फोटो: Altered by Quint)

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उत्तर प्रदेश में शुक्रवार सुबह पांच लाख रुपये का इनामी बदमाश विकास दुबे एक कथित एनकाउंटर में मारा गया. विपक्षी दलों से लेकर सोशल मीडिया तक से इस 'एनकाउंटर' पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.

'एनकाउंटर' को लेकर यूपी पुलिस का कहना है कि दुबे को जिंदा पकड़ने की पूरी कोशिश की गई थी और दुबे पर आत्मरक्षा में गोलियां चलाई गई थीं.

मगर तमाम सवालों के बीच 'एनकाउंटर' की हकीकत निष्पक्ष जांच से ही पता चल सकती है. ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि क्या भारत में 'एनकाउंटर' में हुई मौतों की जांच के लिए कोई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं?

साल 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने PUCL बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र केस में, अपने फैसले में, पुलिस ‘एनकाउंटर’ में हुई मौतों की जांच के लिए 16 दिशा निर्देश जारी किए थे. इन 16 दिशा निर्देशों की 5 बड़ी बातें इस तरह हैं:

  • जब भी पुलिस को आपराधिक गतिविधियों के बारे में कोई खुफिया जानकारी या सुराग मिले तो इसे लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखा जाए.
  • कोई खुफिया जानकारी या सुराग मिलने के बाद अगर एनकाउंटर होता है, पुलिस फायरआर्म्स का इस्तेमाल करती है और उसमें किसी की जान जाती है तो एक प्राथमिकी दर्ज होगी. इसे संहिता की धारा 157 के तहत अदालत को फॉरवर्ड किया जाएगा.
  • घटना/एनकाउंटर की एक स्वतंत्र जांच सीआईडी से या दूसरे पुलिस स्टेशन की टीम से कराई जाएगी, जिसकी निगरानी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी करेंगे. यह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उस एनकाउंटर में शामिल सबसे उच्च अधिकारी से कम से कम एक रैंक ऊपर हो.
  • पुलिस फायरिंग की वजह से होने वाली सभी मौतों के मामलों में संहिता की धारा 176 के तहत मजिस्ट्रेट जांच होगी और उसके बाद एक रिपोर्ट उस न्यायिक मजिस्ट्रेट को भेजी जानी चाहिए, जो संहिता की धारा 190 के तहत अधिकृत हों.
  • जब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच को लेकर गंभीर संदेह न हो, तब तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की संलिप्तता जरूरी नहीं है.
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बाकी दिशा निर्देश/प्रक्रियाएं

विशेष रूप से ‘मुठभेड़’ हत्याओं पर इन दिशा निर्देशों के अलावा, दो बाकी प्रासंगिक प्रक्रियाएं हैं, जिसका पालन तब होना चाहिए, जब पुलिस कस्टडी में किसी की मौत हो जाती है.

  • दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 (1) (ए) के तहत मजिस्ट्रियल जांच अनिवार्य है. यह एक एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट द्वारा महज औपचारिकता नहीं हो सकती है.
  • एनएचआरसी ने पुलिस कार्रवाई में मरने वाले किसी भी व्यक्ति के पोस्टमॉर्टम एग्जामिनेशन्स की वीडियो रिकॉर्डिंग करने के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं.

कैसे मारा गया दुबे? पुलिस ने क्या-क्या बताया

पिछले शुक्रवार को दुबे ने उसे पकड़ने गए एक पुलिस उपाधीक्षक सहित पुलिसकर्मियों के दल पर कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरु गांव में घात लगाकर हमला कर दिया था. इस गोलीबारी में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. इसके बाद से दुबे फरार चल रहा था.

इस बीच खबरें आई थीं कि दुबे फरीदाबाद में छिपा था लेकिन पुलिस की छापेमारी से पहले ही वह, वहां से भाग निकला. इसके बाद गुरुवार सुबह खबर आई कि मध्य प्रदेश पुलिस ने दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया है. मध्य प्रदेश पुलिस के मुताबिक, पांच लाख रुपये के इनामी दुबे को गुरुवार सुबह उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था. हालांकि गुरुवार पूरे दिन इस तरह की अटकलें भी सामने आती रहीं कि दुबे ने सरेंडर किया है.

उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के एक दल ने गुरुवार को ही उज्जैन पहुंचकर विकास दुबे को अपनी हिरासत में ले लिया था. इसके बाद यह टीम दुबे को कानपुर लेकर आ रही थी. कानपुर पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार सुबह दुबे को ला रही टीम की गाड़ी पलट गई.

एसटीएफ ने एक बयान में कहा, ''विकास दुबे को एसटीएफ के उपाधीक्षक तेज बहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी वाहन से मध्य प्रदेश के उज्जैन से लाया जा रहा था. यात्रा के दौरान कानपुर के सचेंडी थाना क्षेत्र में कन्हैयालाल अस्पताल के सामने अचानक गाय भैंसों का एक झुंड सड़क पर आ गया. लंबी यात्रा से थके चालक ने हादसा टालने के लिए वाहन को अचानक मोड़ा जिससे वह अनियंत्रित होकर पलट गया.''

‘’इस घटना में वाहन में बैठे पुलिस अधिकारी और कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए और क्षणिक रूप से बेहोशी में चले जाने की वजह से उनके साथ बैठा अपराधी विकास दुबे हालात का फायदा उठाते हुए घायल इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल निकालकर भागने लगा.’’

बयान के मुताबिक,दुबे का पीछा किया गया तो उसने पुलिस से छीनी गई पिस्तौल से गोलियां चलाईं.

एसटीएफ ने कहा है, ''अभियुक्त को जिंदा पकड़ने का भरपूर प्रयास करने के उद्देश्य से उसके काफी निकट पहुंच गए, लेकिन विकास दुबे अंतिम क्षणों में पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगा. अन्य कोई विकल्प न होने की दशा में पुलिस दल द्वारा भी आत्म रक्षा और कतर्व्य पालन के लिए नियंत्रित फायर किया गया.''

एसटीएफ ने आगे कहा कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे घायल होकर गिर गया, जिसे तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे परीक्षणोपरांत मृत घोषित कर दिया.

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Published: 11 Jul 2020,02:32 PM IST

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