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VVPAT वेरिफिकेशन की सभी याचिकाएं खारिज, SC ने फैसला सुनाते हुए कौन से 2 निर्देश दिए?

सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT-EVM से 100% वेरिफिकेशन की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>VVPAT-EVM केस: SC ने कहा-"आंख मूंदकर अविश्वास करने से अनुचित संदेह होता है" </p></div>
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VVPAT-EVM केस: SC ने कहा-"आंख मूंदकर अविश्वास करने से अनुचित संदेह होता है"

(फोटो: मोहन सिंह/क्विंट हिंदी)

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (26 अप्रैल) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) का उपयोग करके डाले गए वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स यानी VVPAT के साथ पूर्ण क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. इसमें बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग वाली याचिका भी शामिल है.

हालांकि, अदालत ने कहा कि अगर उम्मीदवार लिखित अनुरोध करता है तो ईवीएम के अनुपात में "नतीजों की घोषणा के बाद इंजीनियरों द्वारा जांच और सत्यापित" कराने का विकल्प है, लेकिन पूरी प्रक्रिया का खर्च उस प्रत्याशी को देना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा?

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने दो अलग-अलग लेकिन सहमत फैसलों में कहा कि उन्होंने ईवीएम के संबंध में तकनीकी पहलुओं और प्रोटोकॉल पर विस्तार से चर्चा की है.

पीठ ने कहा, " हमें तीन दलीलें दी गई -पेपर बैलेट प्रणाली पर लौटना चाहिए, वीवीपैट मशीन पर प्रिंटिंग स्लिप मतदाता को सत्यापन के लिए दी जानी चाहिए और गिनती के लिए मतपेटी में डाल दी जानी चाहिए, इलेक्ट्रॉनिक काउंटिंग के अलावा वीवीपैट पर्चियों की भी 100 फीसदी गिनती होनी चाहिए. हमने मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं और रिकॉर्ड में मौजूद डेटा का हवाला देकर उन सभी को खारिज कर दिया है."

न्यायमूर्ति दत्ता ने अपने फैसले में कहा कि "सिस्टम या संस्थानों के मूल्यांकन में संतुलित परिप्रेक्ष्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन सिस्टम के किसी भी पहलू पर आंख मूंदकर अविश्वास करना अनुचित संदेह पैदा कर सकता है और प्रगति में बाधा डाल सकता है".

उन्होंंने कहा, "इसके बजाय, सार्थक सुधार के लिए जगह बनाने और सिस्टम की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए साक्ष्य और कारण द्वारा निर्देशित एक महत्वपूर्ण लेकिन रचनात्मक दृष्टिकोण का पालन किया जाना चाहिए. चाहे नागरिक हों, न्यायपालिका हों, निर्वाचित प्रतिनिधि हों या यहां तक कि चुनावी मशीनरी भी, लोकतंत्र अपने सभी स्तंभों के बीच खुले संवाद, प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रथाओं में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से प्रणाली में निरंतर सुधार के माध्यम से सद्भाव और विश्वास बनाने का प्रयास करने के बारे में है."

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कोर्ट ने दो निर्देश दिए

न्यायमूर्ति खन्ना ने ECI से पूछा, "एक सुझाव जो सामने रखा गया है और चुनाव आयोग द्वारा इसकी जांच की जा सकती है - क्या हमारे पास पर्चियों की गिनती के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन हो सकती है और क्या चुनाव चिन्ह के साथ-साथ किस पार्टी के संबंध में बारकोड भी हो सकता है."

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने दो निर्देश दिए हैं.

  • 01.05.2024 को या उसके बाद की गई VVPAT में सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने पर सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को सील कर कंटेनर में सुरक्षित किया जाना चाहिए. उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि मुहर पर हस्ताक्षर करेंगे. एसएलयू वाले सीलबंद कंटेनरों को नतीजों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक ईवीएम के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा.

  • संसद क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5% ईवीएम में जले हुए मेमोरी सेमीकंट्रोलर, यानी बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट की जांच और सत्यापन ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों की एक टीम द्वारा परिणामों की घोषणा के बाद किया जाएगा. ये उन उम्मीदवारों द्वारा किए गए लिखित अनुरोध पर होगा, जो सबसे अधिक मतदान वाले प्रत्याशी के पीछे क्रम संख्या 2 या 3 पर हैं.

7 दिन तक के अंदर करना होगा वेरिफिकेशन की मांग

पीठ ने कहा, "ऐसे उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि मतदान केंद्र या क्रमांक से ईवीएम की पहचान करेंगे. सभी उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों के पास सत्यापन के समय उपस्थित रहने का विकल्प होगा. ऐसा अनुरोध परिणाम घोषित होने की तारीख से 7 दिनों की अवधि के भीतर किया जाना चाहिए. जिला निर्वाचन अधिकारी, इंजीनियरों की टीम की सलाह से, जली हुई मेमोरी माइक्रोकंट्रोलर की प्रामाणिकता और सटीकता को प्रमाणित करेगा."

कोर्ट ने आगे कहा, "सत्यापन प्रक्रिया आयोजित होने के बाद, उस सत्यापन के लिए वास्तविक लागत या खर्च चुनाव आय़ोग द्वारा अधिसूचित किया जाएगा और उसका भुगतान अनुरोध करने वाला उम्मीदवार करेगा. ईवीएम से छेड़छाड़ पाए जाने पर खर्चा वापस कर दिया जाएगा.

वीवीपीएटी मशीन ईवीएम की मतपत्र इकाई से जुड़ी होती है और मतदाता की पसंद के साथ कागज की एक पर्ची प्रिंट करके मतदाता के वोट के लिए वीडियो सत्यापन प्रदान करती है. इसका उपयोग बाद में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच किसी भी चयनित मतदान केंद्रों में डाले गए वोटों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है.

दरअसल, विपक्ष मांग कर रहा है कि सभी वीवीपैट पर्चियों को ईवीएम वोटों के साथ क्रॉस-चेक किया जाए.

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