पतंजलि भ्रामक विज्ञापन (Patanjali Misleading Ad) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद ने कहा कि उसने 67 अखबारों में माफीनामा प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि वह अदालत का पूरा सम्मान करता है और उनकी गलतियों को दोहराया नहीं जाएगा. कोर्ट ने पूछा कि "क्या पतंजलि द्वारा अखबारों में दी गई माफी का आकार उसके उत्पादों के लिए पूरे पेज के विज्ञापनों के समान था".
कोर्ट में सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्णऔर रामदेव भी मौजूद थे.
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच पतंजलि आयुर्वेद, उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और सह-संस्थापक बाबा रामदेव के खिलाफ पिछले साल नवंबर में दिए गए एक भ्रामक चिकित्सा विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए अवमानना मामले पर सुनवाई कर रही है.
इसी क्रम में बीते दिन पतंजलि आयुर्वेद ने कल कुछ अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर माफी मांगी. जिसमें लिखा था, 'हमारे वकीलों द्वारा शीर्ष अदालत में बयान दिए जाने के बाद भी विज्ञापन प्रकाशित करने और संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने की गलती' के लिए माफी मांगते हैं."
माफीनामे की विज्ञापन को लेकर कोर्ट ने क्या कहा?
पतंजलि की ओर से विज्ञापन छपवाने की बात पर जस्टिस कोहली ने पूछा, "क्या आपने माफीनामा भी अपने पुराने विज्ञापनों जितना बड़ा छपवाया है?"
पतंजलि की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने जवाब दिया, "इसकी छपने की लागत दसियों लाख हैं,"
रोहतगी ने बताया कि माफी 67 अखबारों में प्रकाशित हुई है. इसके बाद जस्टिस कोहली ने पूछा, "क्या आपके द्वारा प्रकाशित पूरे पेज के विज्ञापनों के लिए लाखों रुपये खर्च होते हैं?"
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि की ओर से अखबार में छपे माफीनामे को लेकर कहा, "आप हमें अखबार की कतरनों को काटें और हमें लाकर दें. आपके तरफ माफीनामे का विज्ञापन को फोटोकॉपी करके बड़ा दिखाने का प्रभाव हम पर नहीं पड़ेगा. हम विज्ञापन का वास्तविक आकार देखना चाहते हैं. जब आप माफी मांगते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा."
सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से कहा कि वह पतंजलि पर उंगली उठा रहा है, जबकि चार उंगलियां खुद उन पर इशारा कर रही हैं.
बेंच ने कहा, "आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आपकी (आईएमए) ओर रोशनी क्यों नहीं घुमाना चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय से सह-प्रतिवादी (मामले में) के रूप में सवाल पूछ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश भर में राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को भी पार्टियों के रूप में जोड़ा जाएगा और उन्हें भी कुछ सवालों के जवाब देने की जरूरत है.
इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि भ्रामक विज्ञापन को लेकर कहां चूक हो रही है. इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली तारीख 30 अप्रैल सुनवाई के लिए तय की है.
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