Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019West Bengal: सरकार ने किया 7 नए जिले बनाने का फैसला, क्या है इसके पीछे की वजह?

West Bengal: सरकार ने किया 7 नए जिले बनाने का फैसला, क्या है इसके पीछे की वजह?

West Bengal में इसके बाद कुल जिलों की संख्या बढ़कर 30 हो जाएगी.

मोहम्मद साक़िब मज़ीद
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>West Bengal: सरकार ने किया 7 नए जिले बनाने का फैसला, क्या है इसके पीछे की वजह?</p></div>
i

West Bengal: सरकार ने किया 7 नए जिले बनाने का फैसला, क्या है इसके पीछे की वजह?

(फोटो- अल्टर्ड बाय क्विंट)

advertisement

पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने सोमवार, 1 अगस्त को कहा कि कैबिनेट ने राज्य में सात नए जिलों के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इससे राज्य में जिलों की कुल संख्या बढ़कर 30 हो जाएगी, जो मौजूदा वक्त में 23 है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम ममता ने कहा कि दक्षिण 24-परगना जिले से एक नया सुंदरवन जिला और उत्तर 24-परगना जिले से दो नए जिले बनाए जाएंगे.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि बोंगांव उपखंड (Bongaon Subdivision) में इछामती जिला और बशीरहाट में एक अन्य जिला (जिसका नाम अभी नहीं तय किया गया है), नादिया जिले का एक शहर और नगर पालिका राणाघाट चौथा नया जिला, मौजूदा बांकुरा जिले से बिष्णुपुर नाम का एक नया जिला और मुर्शिदाबाद जिले से दो नए जिले बहरामपुर और जंगीपुर बनाए जाएंगे.

नए जिले बनाने के पीछे की वजह क्या है?

राज्यों में वक्त-वक्त पर नए जिले बनाए जाते रहे हैं. अगर आम तौर पर देखा जाए तो, यह कहा जाता है कि छोटी यूनिट शासन को आसान बना देंगी और सरकार व प्रशासन को उनके करीब लाकर और उन्हें आसान बनाकर लोगों को फायदा देंगी.

कभी-कभी नया जिला बनाने का फैसला स्थानीय मांगो के बाद भी लिया जाता है.

पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने राज्य में 13 नए जिले बनाए. रेड्डी ने कहा था कि विकेंद्रीकरण और छोटी प्रशासनिक इकाइयां बेहतर शासन का निर्माण करती हैं. कहा जा रहा है कि इसी तरह की वजहें पश्मिच बंगाल की सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसले के पीछे भी हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 23 जिलों में से हर जिले में लगभग 40 लाख लोग निवास करते हैं.

अगर यह आंकड़ा आंध्र प्रदेश में देखा जाए तो, 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में जिलों की संख्या बढ़ाए जाने से पहले आंध्र प्रदेश में केवल 13 जिले थे, हर जिले में लगभग 20 लाख लोग निवास करते थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में, दक्षिण 24-परगना जिला लगभग 10,000 वर्ग किमी में फैला है और उत्तर 24-परगना का क्षेत्रफल लगभग 4,000 वर्ग किमी है, जिसकी आबादी 80 लाख से अधिक है.

जिलों से संबंधित ऐसे फैसले कौन लेता है?

जिलों को बनाने या खत्म करने या उनकी सीमाओं को बदलने का फैसला कौन करता है?

जिलों को बनाने या इनके बॉर्डर में बदलाव करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास होता है. सरकार विधानसभा में एक कानून पारित कर सकती है या केवल एक आदेश जारी कर सकती है और इसे राजपत्र में अधिसूचित कर सकती है. इस मामले में केंद्र का कोई दखल नहीं होता है.

बता दें कि जब किसी जिले या रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के बारे में सोचा जाता है, तो ऐसे फैसले लेने में केंद्र सरकार की भूमिका होती है. NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टीफिकेट) जारी होने से पहले राज्य सरकारों के द्वारा केंद्र सरकार के कई विभागों को सिफारिश भेजनी होती है.

क्या भारतीय राज्य बहुत सारे नए जिले बना रहे हैं?

भारत में जिलों की संख्या कई सालों से लगातार बढ़ रही है. 2001 की जनगणना में देश में कुल 593 जिले दर्ज किए गए, जो 2011 में 640 हो गए. मौजूदा वक्त में भारत में 775 से अधिक जिले हैं.

उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यह देश का ऐसा राज्य है, जहां सबसे अधिक 75 जिले हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है, जहां कुल 52 हैं.

इसके अलावा अगर कम जिलों के राज्य की बात की जाए तो, गोवा में केवल 2 जिले हैं.

बता दें कि किसी भी राज्य में जिलों की संख्या उस राज्य के लोकसभा सीटों पर फर्क नहीं डालती है. पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सांसद हैं, लेकिन 7 नए जिलों के जुड़ने के बाद भी यहां पर केवल 30 जिले ही होंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 02 Aug 2022,01:40 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT