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पुलिस समन के बाद आनंदबाजार पत्रिका के एडिटर का इस्तीफा 

चटर्जी ने इस्तीफा देने का फैसला 31 मई को किया था

इशाद्रिता लाहिड़ी
भारत
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चटर्जी ने इस्तीफा देने का फैसला 31 मई को किया था.
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चटर्जी ने इस्तीफा देने का फैसला 31 मई को किया था.
(प्रतीकात्मक फोटो: iStock) 

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मशहूर बंगाली अखबार आनंदबाजार पत्रिका के एडिटर अनिर्बान चटर्जी के इस्तीफा देने के बाद पश्चिम बंगाल में प्रेस फ्रीडम पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं. चटर्जी ने इस्तीफा देने का फैसला 31 मई को किया था. अखबार के 1 जून के एडिशन में बताया गया कि ईशानी दत्ता रे एक्टिंग एडिटर की तरह काम करेंगी.

चटर्जी के फैसले की खबर उन रिपोर्ट्स के बाद आई है, जिसमें बताया गया कि हाल ही में कोलकाता पुलिस ने चटर्जी को समन किया था. ये समन अखबार में उस आर्टिकल से संबंधित था, जिसमें एक कोरोना वायरस अस्पताल में स्टाफ को PPE किट की कमी की बात छापी गई थी.  

चटर्जी ने कहा, "आनंदबाजार पत्रिका के एडिटर पद से इस्तीफा देने का फैसला मैंने काफी पहले लिया था. मैं एक साल से भी ज्यादा समय से खुद को इस जिम्मेदारी से मुक्त करने की सोच रहा था, लेकिन कुछ मुद्दे थे जिन्हें सुलझाना था."

चटर्जी को पुलिस के समन की खबर तब सामने आई जब राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने 28 मई को ट्वीट कर बताया कि उन्होंने इस मामले में मुख्य सचिव से अपडेट मांगा है.

सूत्रों के मुताबिक, एडिटर के पास कोलकाता के हारे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन से नोटिस आया था कि उन्हें 25 मई को पूछताछ के लिए आना है.

चटर्जी ने इसके बाद पुलिस स्टेशन को लेटर लिख कर बताया कि वो खुद नहीं आ पाएंगे.

क्विंट के पास चटर्जी का वो लेटर है. चटर्जी ने लिखा था कि उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की हुई है और उन्हें कोरोना वायरस की वजह से पब्लिक प्लेस पर जाने की मनाही है. 
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पुलिस समन पर चटर्जी ने कहा था कि उनके ऑफिस का लीगल डिपार्टमेंट उसे देख रहा है और वो इससे आगे कुछ नहीं कहेंगे.

चटर्जी ने आनंदबाजार पत्रिका के एडिटर का पद चार साल पहले संभाला था. अखबार के सूत्रों ने क्विंट को बताया कि चटर्जी और ABP ग्रुप के बीच सैलरी और स्टाफ में कटौती को लेकर कुछ मतभेद थे. अखबार ABP ग्रुप का ही हिस्सा है.

चटर्जी के इस्तीफे पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

चटर्जी के इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी है. कई लोगों ने इसे बोलने की आजादी पर हमला बताया.

सीपीएम नेता सुर्ज्या कांत मिश्रा ने भी इस मामले पर ट्वीट किया. बीजेपी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.

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