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देश में लोकसभा चुनाव के दौरान 11 अप्रैल से 19 मई के दौरान चुनावी हिंसा की 129 घटनाएं हुईं. चुनाव के दौरान हिंसा की 117 घटनाएं सीधे चुनाव से जुड़ी थीं. हिंसा पर रिसर्च संगठन पोलिश प्रोजेक्ट इंक के Viloencelab प्रोजेक्ट के तहत जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक चुनावी हिंसा की सबसे ज्यादा घटनाएं पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के राज्यों में हुई हैं
Viloencelab के मैप में साफ दिख रहा है कि चुनावी हिंसा से जुड़ी सबसे ज्यादा वारदातें पश्चिम बंगाल के अलावा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्यों हुई. इनकी तुलना में उत्तर भारत के राज्यों में चुनावी हिंसा कम हुई.Viloencelab ने चुनावी हिंसा की घटनाओं के तहत राजनीतिक पार्टियों के आपसी टकराव, पत्रकारों पर हमलों और हिंसा की वारदातों को शामिल किया गया है. चुनाव के दौरान आतंकवादी हमलों और सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी घटनाओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है. यह स्टडी पोलिश प्रोजेक्ट इंक ने की है. पोलिश प्रोजेक्ट दुनिया के तमाम देश में चल रहे संघर्ष पर रिसर्च करता है. Viloencelab इसी के रिसर्च प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है.
चुनाव आयोग ने अमित शाह के रोड शो में हुई हिंसा के बाद 19 मई को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में प्रचार खत्म होने की डेडलाइन से कई घंटे पहले ही प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था. पश्चिम बंगाल में तृणमूल और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच तीखी झड़पें हुई थीं. इन्हीं झड़पों के दौरान पश्चिम बंगाल में ईश्वचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी गई थी. हालांकि पश्चिम बंगाल में चुनाव के दो हफ्ते गुजर जाने के बाद भी हिंसा जारी है.
4 जून को टीएमसी कार्यकर्ता की उत्तरी कोलकाता के दमदम में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. कार्यकर्ता का नाम निर्मल कुंडू है. तीन बाइक सवार हमलावरों ने उनके सिर में प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई. गोली लगने के बाद उन्हें तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया.
केरल और कर्नाटक में बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं. केरल में बीजेपी के कुछ कार्यकर्ताओं की हत्या पर पार्टी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी.
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