Home News India भारतीय किसान क्रांति यात्रा: जानिए क्या हैं किसानों की 10 मांगें
भारतीय किसान क्रांति यात्रा: जानिए क्या हैं किसानों की 10 मांगें
केंद्र सरकार ने किसानों की ज्यादातर मांगों को मान लिया है, लेकिन वे सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं.
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केंद्र सरकार ने किसानों की ज्यादातर मांगों को मान लिया है, लेकिन वे सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं.
(फोटो: PTI)
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हरिद्वार से दिल्ली के लिए रवाना हुई भारतीय किसान क्रांति यात्रा दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गई है. गांधी जयंती के मौके पर दिल्ली में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना था. लिहाजा, किसानों को दिल्ली में दाखिल होने से रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात कर यूपी-दिल्ली बॉर्डर सील कर दिया गया. इन सबके बीच ये जानना जरूरी है कि किसान आखिर किन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
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फिलहाल केंद्र सरकार ने किसानों की ज्यादातर मांगों पर अपनी सहमति जता दी है. लेकिन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत के मुताबिक, किसान सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं. बीकेयू सरकार से आगे की बातचीत कर अपने अगले रुख पर फैसला करेगा. किसान क्रांति यात्रा में यूपी समेत उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत के अन्य राज्यों के किसान शामिल हैं.
किसानों की मांगों पर एक नजर
यूपी और पंजाब में गन्ने की फसल के बकाए भुगतान की मांग किसानों का सबसे बड़ा मुद्दा है. अगर 14 दिन तक पेमेंट न हो, तो उन्हें इस पर ब्याज मिले. ऐसा न करने वाले शुगर मिलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग.
स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू किए जाने की मांग. स्वामीनाथन कमेटी के फॉर्मूले के आधार पर किसानों की आय की लागत में कम से कम 50 प्रतिशत जोड़ कर मिले. साथ ही बाजार भाव के अनुपात में उनके फसलों की खरीद की गारंटी दी जाए.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव किया जाए. किसानों का आरोप है कि इस योजना का ज्यादातर लाभ फसल का बीमा करने वाली कंपनियों को मिला है. सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बीमा का लाभ किसानों को मिले. किसानों को होने वाले भुगतान को डिजिटल पेमेंट से जोड़ा जाए.
बिजली के दामों में कमी की जाए. यूपी के किसानों का कहना है कि बिजली के दाम बढ़ाए जाने से उन पर आर्थिक भार बढ़ गया है. किसानों की मांग है कि सरकार या तो बिजली का बिल कम करे या कम से कम 14 घंटे उन्हें बिजली मुहैया कराए.
पिछले 10 साल में आत्महत्या करने वाले लगभग 3 लाख किसानों के परिवार को मुआवजा मिले और उनके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाए.
एनजीटी के उस फैसले को हटाने की मांग, जिसमें 10 साल पुराने ट्रैक्टरों और दूसरे खेतिहर वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया है. बीकेयू का कहना है कि नए ट्रैक्टर खरीदने के लिए सरकार को मुआवजा देना चाहिए और एक राहत कोष की व्यवस्था भी करनी चाहिए. किसानों की मांग है कि डीजल और पेट्रोल के कीमतें लगातार बढ़ने से फसलों से होने वाला लाभ कम हो रहा है, इसलिए उनकी कीमतें घटाई जाएं.
किसानों को सरकारी नौकरियों की तरह 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन मिले.
राज्य सरकार की तर्ज पर केंद्र सरकार भी किसानों के कर्ज को माफ करे.
आवारा पशुओं से खेत में खड़ी फसलों का बचाव हो. सरकार इसकी समुचित व्यवस्था करे.
किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज मुक्त लोन मिले.