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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 15 जनवरी से कुंभ शुरू हो रहा है. यूनेस्को की तरफ से 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' के रूप में मान्यता प्राप्त कुंभ मेले की तैयारियां इन दिनों जोरों पर है. कुंभ के लिए शहर में कई जगहों को खूब सजाया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार के कुंभ मेले में 40,000 एलईडी लाइटें लगाई गई हैं. इसके साथ ही 1.22 लाख शौचालय, 22 पॉन्टून पुल और 250 किलोमीटर की नई सड़कें बनाई गई हैं. देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए लेजर शो का आयोजन भी किया जाएगा.
कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए उत्तर प्रदेश टूरिज्म मिनिस्ट्री ने ‘कुंभ पथ’ के पूरे रूट की जानकारी दी है. मेले की यात्रा के दौरान शंकर विमान मंडपम मंदिर से लेकर रामघाट तक का रूट बनाया गया है.
कुंभ 2019 के लिए यूपी टूरिज्म ने लोगों से अपील की है कि वे जरूरत की चीजें ही साथ लाएं, ताकि उनकी यात्रा आसान और आरामदायक रहे.
इस बार के कुंभ मेले में 12 जनवरी से 4 मार्च तक नेत्र कुंभ का आयोजन किया गया है. बताया जा रहा है कि इस नेत्र कुंभ में 10 लाख से ज्यादा लोगों को आंखों की निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. इसके साथ ही लोगों को नेत्र दान करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा.
प्रयागराज में कुंभ को ध्यान में रखते हुए कलाग्राम का भी निर्माण किया गया है. यहां महात्मा गांधी के जीवन को दर्शाने के लिए 'मोहनदास से महात्मा' प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है.
माना जाता है कि कुंभ में उसी अखाड़े का आधिपत्य होता है, जिनके पास नागाओं की संख्या ज्यादा होती है. बताया जाता है कि नागा साधु कुंभ की जान और शान होते हैं और उनकी एंट्री के बाद ही कुंभ में रौनक आती है. लेकिन प्रयागराज कुंभ में इस बार एक नया अध्याय जुड़ गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि 'किन्नरों' ने पहली बार अखाड़े के तौर पर, दूसरे अखाड़ों की तरह शाही पेशवाई के रूप में कुंभ में एंट्री की है.
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