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भारत और अमेरिका के बीच 27 अक्टूबर को बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) साइन किया गया. ये एग्रीमेंट दोनों देशों के बीच हुई ‘2+2’ मिनिस्टीरियल स्तर की बातचीत के दौरान साइन किया गया. BECA भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है.
BECA क्या है और ये भारत के लिए जरूरी क्यों है? आइए समझते हैं.
BECA का मतलब होता है बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट. ये समझौता भारत को बेहद सटीक जियो-स्पैटियल (भू-स्थानिक) डेटा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इंटेलिजेंस तक पहुंच देगा. आसान भाषा में कहें तो संवेदनशील और क्लासीफाइड जानकारी को अब दोनों देश एक-दूसरे के साथ साझा कर पाएंगे.
BECA के तहत, दोनों देश मैप, नॉटिकल और एयरोनॉटिकल चार्ट, कमर्शियल और दूसरी तस्वीरें, सैटेलाइट इमेज, जियोफिजिकल, जियोमैगनेटिक और दूसरे डेटा को एक-दूसरे के साथ साझा कर सकते हैं. एग्रीमेंट अमेरिका को संवेदनशील सैटेलाइट और सेंसर डेटा साझा करने की भी अनुमति देगा.
इंटेलिजेंस शेयरिंग से भारत को रणनीतिक योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी. उदाहरण के लिए, इस जानकारी के साथ भारत हिंद महासागर में चाइनीज नेवल मूवमेंट को मॉनिटर कर सकेगा. या फिर सटीक यूएस सैटेलाइट भारत को पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश के मिलिट्री एसेट को सटीकता के साथ टारगेट करने की क्षमता देगी.
भारत और अमेरिका के बीच BECA चौथा और आखिरी फाउंडेशनल अंडरस्टैंडिंग है. दोनों देशों के बीच 2002 में जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट, 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट और 2018 में कम्युनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी एंड सेक्युटिट्य एग्रीमेंट साइन किए जा चुके हैं.
UPA सरकार ने शुरुआत में इसे ब्लॉक कर दिया था. सुरक्षा बलों ने डर जताया था कि इस एग्रीमेंट से भारत की क्लासिफाइड लैब्स और जानकारी की सुरक्षा को खतरा होगा. हालांकि, अब सरकार ने कहा है कि बाइलेटरल बातचीत में इन चिंताओं पर बात हो गई है.
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