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दुनिया की सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप ने एक बड़ा खुलासा किया है. इस खुलासे के बाद व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वाले करोड़ों यूजर्स को अपने पर्सनल डेटा और बातचीत पर खतरा मंडराता दिख रहा है. व्हाट्सऐप ने एक इजरायली कंपनी पर जासूसी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि कंपनी के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर व्हाट्सऐप के जरिए पत्रकारों, वकीलों, दलित एक्टिविस्ट और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाट्सऐप ने इजरायल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ग्रुप पर जासूसी का ये आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि भारत में ऐसे कई लोगों पर इस कंपनी के एक सॉफ्टवेयर के जरिए नजर रखी जा रही थी. हालांकि व्हाट्सऐप ने अभी तक उन लोगों का नाम नहीं बताया है कि जिन पर नजर रखी जा रही थी.
व्हाट्सऐप के प्रवक्ता ने इस बड़ी जासूसी का खुलासा करते हुए कहा,
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने जासूसी साफ्टवेयर के मुद्दे पर WhatsApp से जवाब मांगा है. मंत्रालय ने WhatsApp से अपना जवाब चार नवंबर तक देने को कहा है.
बताया जा रहा है कि इसके लिए आरोपी कंपनी ने एक सॉफ्टवेयर पेगसिस का इस्तेमाल किया. इस सॉफ्टवेयर को किसी भी स्मार्टफोन पर इंस्टॉल किया जा सकता है. इससे सिर्फ एक व्हाट्सऐप मिस्ड कॉल की जाती है. सिर्फ इस मिस्ड कॉल से ही आपका मोबाइल फोन पूरी तरह दूसरे के कंट्रोल में चला जाता है. आपकी हर चैट, मैसेज, कॉन्टैक्ट, फोटोज और यहां तक कि आपके माइक्रोफोन को भी कंट्रोल किया जा सकता है.
व्हाट्सऐप ने इजरायली कंपनी के खिलाफ सेन फ्रांसिस्को की एक फेडरल कोर्ट में केस दर्ज किया है. लेकिन अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि भारतीय पत्रकारों और सोशल एक्टिविस्टों पर किसके इशारे पर नजर रखी जा रही थी. इस सवाल का जवाब पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इजरायल की इस कंपनी को किसने ऐसा करने के लिए कहा था.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मई 2019 तक दो हफ्ते तक पत्रकारों और दलित-सोशल एक्टिविस्टों को सर्विलांस पर रखा गया था. इन सभी के फोन पर लगातार नजर बनाई जा रही थी.
व्हाट्सऐप के इस आरोप और केस दर्ज करने के बाद एनएसओ की तरफ से सफाई दी गई है. एनएसओ की तरफ से कहा गया है कि हमारे सॉफ्टवेयर को पत्रकारों और एक्टिविस्टों पर निगरानी के लिए डिजाइन और लाइसेंस नहीं दिया गया है.
बताया गया है कि इससे पहले भी एनएसओ ने कई देशों के लोगों को पेगेसस के जरिए सर्विलांस में लेने का काम किया था. कनाडा की एक साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी सिटीजन लैब ने 2018 में खुलासा किया था कि भारत को मिलाकर कुल 45 देशों के खास लोगों पर नजर रखी जा रही थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में साल 2017 से लेकर 2018 तक ये सॉफ्टवेयर एक्टिव था.
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