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बस एक मिस्ड कॉल और फोन हैक, WhatsApp से शिकार हुए भारतीय पत्रकार

भारतीय पत्रकारों और दलित-सोशल एक्टिविस्टों के व्हाट्सऐप पर रखी गई नजर

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भारतीय पत्रकारों और दलित-सोशल एक्टिविस्टों के व्हाट्सऐप पर रखी गई नजर
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भारतीय पत्रकारों और दलित-सोशल एक्टिविस्टों के व्हाट्सऐप पर रखी गई नजर
(फोटो: iStock)

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दुनिया की सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप ने एक बड़ा खुलासा किया है. इस खुलासे के बाद व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वाले करोड़ों यूजर्स को अपने पर्सनल डेटा और बातचीत पर खतरा मंडराता दिख रहा है. व्हाट्सऐप ने एक इजरायली कंपनी पर जासूसी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि कंपनी के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर व्हाट्सऐप के जरिए पत्रकारों, वकीलों, दलित एक्टिविस्ट और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाट्सऐप ने इजरायल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ग्रुप पर जासूसी का ये आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि भारत में ऐसे कई लोगों पर इस कंपनी के एक सॉफ्टवेयर के जरिए नजर रखी जा रही थी. हालांकि व्हाट्सऐप ने अभी तक उन लोगों का नाम नहीं बताया है कि जिन पर नजर रखी जा रही थी.

व्हाट्सऐप के प्रवक्ता ने इस बड़ी जासूसी का खुलासा करते हुए कहा,

“जिन लोगों पर व्हाट्सऐप के जरिए निगरानी रखी जा रही थी, उनसे पर्सनली कॉन्टैक्ट किया गया है और बताया गया है कि उनकी सभी जानकारियां लीक हो रही हैं. इसके तहत कई भारतीय पत्रकार और ह्यूमन राइट एक्विटिविस्टों को टारगेट किया गया है. मैं उनकी पूरी जानकारी और नंबर शेयर नहीं कर सकता हूं.”

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने जासूसी साफ्टवेयर के मुद्दे पर WhatsApp से जवाब मांगा है. मंत्रालय ने WhatsApp से अपना जवाब चार नवंबर तक देने को कहा है.

सिर्फ एक मिस्ड कॉल और पूरी जानकारी लीक

बताया जा रहा है कि इसके लिए आरोपी कंपनी ने एक सॉफ्टवेयर पेगसिस का इस्तेमाल किया. इस सॉफ्टवेयर को किसी भी स्मार्टफोन पर इंस्टॉल किया जा सकता है. इससे सिर्फ एक व्हाट्सऐप मिस्ड कॉल की जाती है. सिर्फ इस मिस्ड कॉल से ही आपका मोबाइल फोन पूरी तरह दूसरे के कंट्रोल में चला जाता है. आपकी हर चैट, मैसेज, कॉन्टैक्ट, फोटोज और यहां तक कि आपके माइक्रोफोन को भी कंट्रोल किया जा सकता है.

भारतीयों पर जासूसी के इस बड़े खुलासे में करीब 20 से ज्यादा लोगों के नाम सामने आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि भारत के करीब दो दर्जन लोगों को सर्विलांस में लिया गया था. वहीं इस सॉफ्टवेयर के जरिए कुल 1400 लोगों की निगरानी हुई थी. हालांकि जिन लोगों को व्हाट्सऐप की तरफ से ऐसी जानकारी दी गई है, अब वो लोग खुद सामने आकर इसका खुलासा कर सकते हैं.
इसी सॉफ्टवेयर के जरिए सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी को ट्रैक किया गया, फिर बाद में उनकी हत्या की गई. इस हत्याकांड में सऊदी शासकों का नाम सामने आ रहा है. 
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किसके इशारे पर हुआ काम?

व्हाट्सऐप ने इजरायली कंपनी के खिलाफ सेन फ्रांसिस्को की एक फेडरल कोर्ट में केस दर्ज किया है. लेकिन अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि भारतीय पत्रकारों और सोशल एक्टिविस्टों पर किसके इशारे पर नजर रखी जा रही थी. इस सवाल का जवाब पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इजरायल की इस कंपनी को किसने ऐसा करने के लिए कहा था.

पूरी दुनिया में व्हॉट्सऐप का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या लगभग डेढ़ अरब है. वहीं भारत में करीब 40 करोड़ लोग व्हॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मई 2019 तक दो हफ्ते तक पत्रकारों और दलित-सोशल एक्टिविस्टों को सर्विलांस पर रखा गया था. इन सभी के फोन पर लगातार नजर बनाई जा रही थी.

व्हाट्सऐप के इस आरोप और केस दर्ज करने के बाद एनएसओ की तरफ से सफाई दी गई है. एनएसओ की तरफ से कहा गया है कि हमारे सॉफ्टवेयर को पत्रकारों और एक्टिविस्टों पर निगरानी के लिए डिजाइन और लाइसेंस नहीं दिया गया है.

एनएसओ का दावा है कि पेगसस को सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है. हम अपने प्रोडक्ट को केवल लाइसेंस प्राप्त और वैध सरकारी एजेंसियों को ही देते हैं.

45 देशों के ऑपरेटर्स का सर्विलांस

बताया गया है कि इससे पहले भी एनएसओ ने कई देशों के लोगों को पेगेसस के जरिए सर्विलांस में लेने का काम किया था. कनाडा की एक साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी सिटीजन लैब ने 2018 में खुलासा किया था कि भारत को मिलाकर कुल 45 देशों के खास लोगों पर नजर रखी जा रही थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में साल 2017 से लेकर 2018 तक ये सॉफ्टवेयर एक्टिव था.

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Published: 31 Oct 2019,02:36 PM IST

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