Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019आटे की कीमत में लगी 'आग' को बुझाने में जुटी सरकार, लेकिन ये नौबत आई ही क्यों?

आटे की कीमत में लगी 'आग' को बुझाने में जुटी सरकार, लेकिन ये नौबत आई ही क्यों?

Atta Ka Rate: एक साल में आटे की कीमत में 16% का इजाफा हुआ है.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>आटे की कीमत में लगी आग को बुझाने में जुटी सरकार.</p></div>
i

आटे की कीमत में लगी आग को बुझाने में जुटी सरकार.

(फोटो-क्विंट हिंदी)

advertisement

एक जमाना था जब कहा जाता था कि गरीब दाल-रोटी खाकर गुजारा कर रहा है, लेकिन अब लगता है इस पर भी आफत आ गई है. दाल तो पहले से ही गरीब की थाली से दूर हो गई थी, अब नमक रोटी पर आफत आ गई है. वजह है आटे की आसमान छूती कीमतें. इस आग को बुझाने के लिए अब सरकार को आगे आना पड़ा है. सरकार अब गेहूं के आटे की कीमतों को कम दामों (Wheat Rate) पर सप्लाई करने जा रही है. लेकिन सवाल ये है कि जब एक तरफ सरकार ''अमृतकाल का बजट'' पेश कर पीठ थपथपा रही है, उसी वक्त आम आदमी के आटे पर आफत क्यों आ गई है?

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि केंद्रीय भंडार और नाफेड जैसी सहकारी समितियां "भारत आटा" ब्रांड से 29.5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आटे की आपूर्ति करने पर सहमत हुई हैं.

एक साल में कितना महंगा हुआ गेहूं, आटा?

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक 3 फरवरी 2023 को एक किलो गेहूं की कीमत है 33 रुपए प्रति किलो. एक साल पहले 3 फरवरी 2022 को यही गेहूं 28 रुपये किलो मिल रहा था. यानी महज एक साल में गेहूं 16% महंगा हो गया. एक साल पहले गेहूं की थोक कीमत 2445 रुपये प्रति क्विंटल थी. एक बाद यानी 3 फरवरी 2023 को इसकी कीमत हो गई है 2993 रुपये प्रति क्विंटल. यानी इसमें 20 फीसदी का इजाफा हुआ है.

एक साल में गेहूं 16% महंगा हुआ.

(फोटो-क्विंट हिंदी)

जाहिर है कि गेहूं की कीमत बढ़ी है तो आटे की कीमत भी बढ़ेगी. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक 3 फरवरी 2023 को एक किलो आटे की कीमत है 38 रुपये प्रति किलो. एक साल पहले 3 फरवरी 2022 को यही आटा 32 रुपये किलो मिल रहा था. यानी महज एक साल में आटा 16% महंगा हो गया. एक साल पहले आटे की थोक कीमत 2557 रुपये प्रति क्विंटल थी. एक साल बाद यानी 3 फरवरी 2023 को इसकी कीमत हो गई है 3334 रुपये प्रति क्विंटल. यानी इसमें 26 फीसदी का इजाफा हुआ है.

एक साल में आटा 16% महंगा हुआ

(फोटो-क्विंट हिंदी)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

आटे में क्यों लगी आग?

उत्पादन में कमी

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिसंबर में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा, ''गेहूं सहित कृषि उपज की कीमतें बाजार में मांग और आपूर्ति की स्थिति अंतरराष्ट्रीय कीमतों आदि से निर्धारित होती हैं.''

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ''गेहूं का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 2021-22 में 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह गया है और 2020-21 में गेहूं की अखिल भारतीय उपज 3,521 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से घटकर 2021-22 में 3,507 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रह गई है.''

मंत्री ने बताया कि इस गिरावट का कारण उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मार्च और अप्रैल, 2022 के दौरान लू का चलना था.

उन्होंने कहा कि

वर्ष 2022-23 के अप्रैल-जून में गेहूं की खरीद वर्ष 2021-22 के 433.44 लाख टन के मुकाबले घटकर 187.92 लाख टन रह गई, क्योंकि इस दौरान गेहूं का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा था.

रूस-यूक्रेन युद्ध

जैसे पंजाब हरियाणा देश के गेहूं सप्लायर हैं उसी तरह दुनिया के लिए यूक्रेन बहुत बड़ा गेहूं सप्लायर है. जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो यूक्रेन से गेहूं का निर्यात बाधित हुआ. ऐसे में एक तो गेहूं की दुनिया के कई देशों को किल्लत हुई, दूसरे कई देशों ने गेहूं के विकल्प तलाशने शुरू किए. इन विकल्पों में से एक था भारत. पिछले साल कई प्राइवेट प्लेयर भारत के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत पर गेहूं खरीदने लगे और बाहर भेजने लगे. इससे सरकारी खरीदी में कमी आई. आखिर में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाकर गेहूं की कीमतों को काबू में रखने की कोशिश है.

जाहिर है ये तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हुईं और अब सरकार को कम कीमत पर गेहूं सप्लाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT