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2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने इस मामले में उन्हें निर्दोष करार दिया है. माया कोडनानी वो नाम है जो जब भी गुजरात दंगों की बात होती है, तो ये नाम सबसे पहले सामने आता है. आखिर कौन हैं माया कोडनानी?
माया कोडनानी का परिवार बंटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध में रहता था. उनके पिता आरएसएस से जुड़े हुए थे. बंटवारे के बाद उनका परिवार गुजरात आकर बस गया. माया कोडनानी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई बानसकंठा से की थी, ये स्कूल भी उनके पिता का था. उन्होंने बड़ौदा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. माया कोडनानी पेशे से गाइनकॉलजिस्ट हैं. नरोदा में माया का अपना मेटर्निटी हॉस्पिटल था.
माया कोडनानी ने अपनी राजनीति पारी की शुरुआत 1995 में अहमदाबाद के निकाय चुनाव से की थी. 1998 में वो वह नरोदा से विधायक चुनी गईं. अपनी भाषणों की वजह से वह बीजेपी में काफी लोकप्रिय हुईं. उन्हें बीजेपी के वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी का करीबी नेता माना जाता था.
साल 2002 में ही हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. साल 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया को जीत मिली. इस बार उन्हें गुजरात सरकार में मंत्री बनाया गया.
माया कोडनानी का नाम 2002 के गुजरात दंगों में सामने आया. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियों को जलाने की घटना के बाद 28 फरवरी को दंगे की आग की लपटें सबसे तेजी से नरोदा पाटिया में उठी थी. इस आग से नरोदा को सबसे बुरी तरह जलाया था. नरोदा पाटिया में सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था.
साल 2009 में नरोदा केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी ने गठित की. इसी एसआईटी ने माया को पूछताछ के लिए समन किया. बाद में उनकी गिरफ्तारी हुई, और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
अगस्त 2012 में स्पेशल कोर्ट ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षड्यंत्र रचने का दोषी पाया. इसके अलावा 32 अन्य को भी दोषी ठहराया गया. माया कोडनानी फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं. निचली अदालत ने उन्हें 'हिंसा का मास्टर माइंड' बताया था.
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