Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कल के 9 मिनट बिजली विभाग के लिए क्यों बहुत बड़े चैलेंज हैं?

कल के 9 मिनट बिजली विभाग के लिए क्यों बहुत बड़े चैलेंज हैं?

बिजली सप्लायर्स के लिए नौ मिनट के दौरान डिमांडऔर सप्लाई में तालमेल बिठाना सबसे अहम

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
5 अप्रैल को रात नौ बजे सबसे बड़ीचुनौती से जूझेगा बिजली विभाग
i
5 अप्रैल को रात नौ बजे सबसे बड़ीचुनौती से जूझेगा बिजली विभाग
(फोटो : द क्विंट)

advertisement

  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए लोगों को 5 अप्रैल की रात नौ बजे घर की बत्तियां बुझा कर दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने को कहा है. पूरे देश में लोग नौ मिनट तक घर की बत्तियां बुझा कर रखेंगे. लेकिन बिजली उत्पादन, वितरण कंपनियां और राज्यों में बिजली पहुंचाने में लगी कंपनियों के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

बिजली वितरण कंपनियों के लिए बहुत बड़ा चैलेंज

पावर सेक्टर के एक सीनियर एक्जीक्यूटिव ने मनीकंट्रोल.कॉम को बताया कि यह किसी चलती कार में अचानक ब्रेक लगाने जैसा होगा या फिर फ्लोर पर एक्सलरेटर दबाने जैसा. यह पता नहीं कि कार कैसा बिहेव करेगी. इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि उनके पास इस नौ मिनट को प्लान करने के लिए वक्त है. यह एक चैलेंज है और अभूतपूर्व चैलेंज है. लेकिन इसे पूरा करना संभव है. इसे समझने के लिए घरों तक बिजली पहुंचने की प्रक्रिया समझनी होगी.

घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए तीन स्टेकहोल्डर जिम्मेदार होते हैं- बिजली उत्पादन कंपनियां ( टाटा पावर या एनटीपीसी जैसी कंपनियां), राज्यों की वितरण कंपनियां और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर यानी SLDC. SLDC ही बिजली की डिमांड और सप्लाई में तालमेल बिठाते हैं.

सप्लाई और डिमांड का तालमेल

एसएलडीसी बिजली उत्पादन कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच को-ऑर्डिनेशन का काम करते हैं. ये तय करते हैं कि ग्रिड में कितनी सप्लाई चाहिए. एक दिन 15-15 मिनट के 96 टाइम ब्लॉक में बांटा जाता है और राज्य के SLDC हर ब्लॉक की डिमांड और सप्लाई का शेड्यूल तैयार करते हैं. SLDC का रोल काफी अहम है. उसे यह सुनिश्चित करना होता है कि पावर ग्रिड में बिजली की फ्रीक्वेंसी 48.5 से 51.5 हर्ट्ज के बीच होनी चाहिए. अगर फ्रीक्वेंसी ज्यादा या कम हो तो ब्लैकआउट हो सकता है, जैसा कि 2012 में पूरे देश में हुआ था. यह दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैकआउट था और 60 करोड़ की आबादी अचानक बिजली से महरूम हो गई थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
पांच अप्रैल को रात अचानक नौ मिनट के लिए अचानक लाइट ऑफ कर देने से सप्लाई एक दम ऊपर होने और फ्रीक्वेंसी गड़बड़ होने का खतरा है. हालांकि बिजली सेक्टर के सीनियर इंजीनियर्स का कहना है कि इसकी प्लानिंग के लिए उनके पास वक्त है.रविवार यानी पांच अप्रैल के रात नौ बजे इन्हें कैपिसिटी यूटिलाइजेशन को न्यूनतम स्तर पर रखना होगा.

नौ मिनट बेहद अहम

ये नौ मिनट बेहद अहम और चुनौती भरे हैं.क्योंकि यह 15 मिनट का टाइम ब्लॉक नहीं है. और बिजली सप्लाई का जो अत्याधुनिक सिस्टम है उसे इतने कम समय में re-cofigured नहीं किया जा सकता.पांच अप्रैल को लोग सिर्फ अपने घरों की लाइट्स ऑफ करेंगे. पंखे और फ्रिज और एयरकंडीशनर जैसे दूसरे उपकरण नहीं. इससे सप्लाई और डिमांड में बहुत अंतर नहीं आएगा. स्ट्रीट लाइट और दूसरी सार्वजनिक जगहों की लाइट्स जलती रहेंगी. इससे बिजली डिमांड में नौ-दस फीसदी का उतार-चढ़ाव रहेगा. इस वक्त इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई को एडजस्ट करना आसान नहीं होगा.

यह एक चुनौती है.10वें मिनट की चुनौती सबसे बड़ी होगी जब हर कोई अपने घर की लाइट बंद करनी होगी. अचानक आई इस मांग में तेज उछाल को हम पूरी कर पाएंगे. यह एक बड़ा सवाल है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 04 Apr 2020,09:15 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT