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मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर किसी भी मैसेज को फॉरवर्ड करना भी उसका समर्थन माना जाएगा. यानी कि किसी भी ‘फेक न्यूज’ वाले मैसेज को फॉरवर्ड करना भी अपराध है. हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान सोशल मीडिया खासतौर पर व्हाट्सएेप में फैलाए जा रही फेक पोस्ट पर अहम आदेश दिया.
लेकिन कोर्ट की इस टिप्पणी का शायद अब तक कोई असर नहीं हुआ है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर ‘फेक न्यूज’ के रूप में तमाम मैसेज तैर रहे हैं, जिनमें से कई मैसेज अफवाहों को जन्म दे रहे हैं जिससे देश भर में भीड़ के हमले के वजह से लोगों की जान जा रही है.
स्मार्टफोन क्या आपको वाकई स्मार्ट बना रहे हैं या सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस दौर में आप 'वेबकूफ' बन रहे हैं. सोशल मीडिया पर तैरती 'फेक न्यूज' से तो ऐसा ही लगता है. 'फेक न्यूज' न सिर्फ लोगों को भटका रही है बल्कि कई लोगों को इसकी वजह से जान भी गंवानी पड़ रही है.
रविवार एक जुलाई को महाराष्ट्र के धुले में भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी. लोगों को संदेह था कि ये लोग 'बच्चा चोर' हैं. और ये अफवाह फैली व्हाट्सएेप के जरिए. ये कोई पहला मामला नहीं है, जब सोशल मीडिया और खासतौर पर व्हाट्सएेप अफवाह फैलाने का जरिया बना और भीड़ ने घेर कर पांचों को पीट पीटकर मार डाला.
गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, असम और पश्चिमबंगाल समेत देश के कई अन्य राज्यों में इन दिनों वॉट्सऐप पर एक मेसेज खूब फॉरवर्ड किया जा रहा है. ‘जनहित’ में जारी किए गए इस मैसेज के जरिए सावधान रहने की अपील की गई है.
इस तरह के वॉट्सऐप संदेशों के जरिए ही अफवाहें जंगल में आग की तरह फैल रही हैं, जोकि इलाके में किसी अनजान शख्स के लिए जानलेवा साबित हो रही है.
एक आकड़े के मुताबिक, देश में करीब 20 करोड़ लोग वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए एक-दूसरे को भेजे जाने वाले कई मैसेज, फोटो और वीडियो फेक होते हैं. लेकिन बिना सोचे समझे उन्हें आगे शेयर कर देने के चलते ये देखते ही देखते वायरल हो जाते हैं.
वॉट्सऐप पर मौजूद फर्जी संदेश सिरदर्द बन चुके हैं. हिंदू-मुस्लिम, सवर्ण-दलित, गोरक्षा जैसे मुद्दों से संबंधित ‘फर्जी संदेश’ आग में घी का काम कर रहे हैं.
हाल के दिनों में सांप्रदायिकता, जातिवाद और बच्चा चोरी से जुड़े तमाम ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ‘फेक न्यूज’ से अफवाह फैली, जिनकी वजह से निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
फेक न्यूज फैलने के पीछे दो बड़ी वजहें मानी जा रहीं हैं. इनमें पहली वजह हाल के सालों में सस्ते दामों के चलते स्मार्टफोन की बढ़ती संख्या है, जबकि दूसरी वजह इंटरनेट डेटा के दामों में आने वाली कमी है.
स्मार्टफोन गांव-गांव तक पहुंच चुका है, लेकिन लोगों में जागरूकता की भारी कमी है. यही वजह है कि गांवों में रहने वाले ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर तैर रही लगभग हर बात पर भरोसा कर लेते हैं.
अगर आप फेसबुक और वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं तो आपका वास्ता फेक न्यूज से जरूर पड़ेगा. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि फेक न्यूज को कैसे पहचानें और वेबकूफ बनने से बचें.
फेक संदेश को ऐसे पहचानेंः वॉट्सऐप पर फेक संदेश की सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब इस तरह का कोई मैसेज “फॉरवर्ड” होता है, तो उसमें ना तो कोई तारीख लिखी होती है और ना किसी बड़े सोर्स का कोई हवाला होता है. ऐसे में फॉरवर्ड की जा रही खबर कब की है? सही है भी या नहीं? इस बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती. लेकिन अकसर वे इस तरह के लंबे मैसेज पढ़कर उन पर भरोसा कर लेते हैं.
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