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क्या है मुलायम का मन और कौन लिख रहा है एंटी-अखिलेश स्क्रिप्ट?

मुलायम सिंह यादव कांग्रेस-सपा गठबंधन पर नाराज हैं, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है?

अंशुल तिवारी
भारत
Updated:
मुलायम के करीबियों के मुताबिक, वह हमेशा बिना पढ़े बोलते रहे हैं (फोटोः PTI)
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मुलायम के करीबियों के मुताबिक, वह हमेशा बिना पढ़े बोलते रहे हैं (फोटोः PTI)
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मुलायम सिंह यादव कह रहे हैं - हमारे जो नेता हैं, जिनके टिकट कटे हैं, वो अब क्या करेंगे? उन्होंने पांच साल के लिए मौका गंवा दिया. मैं कांग्रेस के साथ समझौते के खिलाफ हूं. मैं समझौते के पक्ष में प्रचार नहीं करूंगा.

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सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने ये बयान राहुल गांधी और अखिलेश की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दिया है. हाल ही के दिनों में मुलायम के रुख में कई बार बदलाव देखा गया है. कभी वो बेटे अखिलेश का समर्थन करते दिखते हैं तो कभी विरोध. वे कभी कहते हैं कि सपा-कांग्रेस का गठबंधन ठीक है तो कभी कहते हैं कि गठबंधन की कोई जरूरत ही नहीं थी. कभी बोलते हैं कि समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करूंगा तो कभी कहते हैं कि प्रचार नहीं करूंगा.

मुलायम को नहीं पसंद आया कांग्रेस का साथ

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को कांग्रेस का साथ पसंद नहीं आया है. यही वजह रही कि गठबंधन के बाद हुई पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं दिखे. इतना ही नहीं शाम होते होते उन्होंने इस गठबंधन के खिलाफ बयान दे दिया.

सपा नेता नारद राय और अंबिका चौधरी के बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लेने के बाद से मुलायम बेहद आहत हैं. यही वजह है कि मुलायम ने कांग्रेस को दी गई 105 सीटों पर अपने करीबियों को चुनाव लड़ने को कहा है.

<b>ये गठबंधन पार्टी को खत्म कर देगा, मैं चुप नहीं रह सकता. हमारे कार्यकर्ता कांग्रेस की 105 सीटों पर पर्चा भरें और कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ें.</b>
<b>मुलायम सिंह यादव, संस्थापक, समाजवादी पार्टी</b>

कौन लिख रहा है मुलायम की स्क्रिप्ट?

मुलायम के रुख में लगातार बदलाव ने जितना हैरान किया है उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि मुलायम मीडिया से मुखातिब होते वक्त पेपर पर लिखा बयान पढ़ते हैं. मुलायम के करीबियों की मानें तो ये वाकई हैरान करने वाला है. क्योंकि मुलायम के भीतर ये बदलाव परिवार में घमासान छिड़ने के बाद ही आया है.

चाहे रामगोपाल यादव को पार्टी से निकालने का ऐलान हो या अखिलेश को बाहर करने की घोषणा, मुलायम इन बयानों को कागज पढ़कर ही बोलते नजर आए हैं.

देखिएः सपा-कांग्रेस गठबंधन को लेकर भी पढ़कर बोले मुलायम

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संस्थापक का पद स्वीकार, फिर किस बात से है इंकार

चुनाव आयोग से समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश को मिलने के बाद मुलायम ने पार्टी में संस्थापक का पद तो स्वीकार कर लिया. लेकिन शिवपाल को पार्टी में हासिए और करीबियों को किनारे किए जाने का गम मुलायम के मन से निकल नहीं रहा है. यही वजह है कि मुलायम न तो समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र समारोह में शामिल हुए और ना ही कांग्रेस-सपा गठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में.

पार्टी में पैदा हुए अखिलेश के विद्रोह के बाद से मुलायम के मन में अखिलेश को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. कभी वह अखिलेश का समर्थन करते हैं तो कभी विरोध.

अखिलेश की चाहत, कैंपेनिंग में आएं नेताजी

मुलायम सिंह यादव के चुनाव प्रचार से इंकार किए जाने को लेकर एसपी चीफ अखिलेश यादव ने कहा है कि वह चाहते हैं कि नेताजी प्रचार करें.

मैं चाहूंगा कि नेताजी कैंपेन में आएं. क्योंकि सरकार उन्हीं की बनने जा रही है. सरकार बनने के बाद अगर सबसे ज्यादा खुश कोई होगा तो वो नेताजी होंगे. मैं नेताजी से सहमत हूं. अगर हम अकेले चुनाव लड़ते तो 250 सीटें आतीं. कांग्रेस के साथ लड़ रहे हैं तो 300 से ज्यादा सीटें आएंगी.
<b>अखिलेश यादव, सुप्रीमो, समाजवादी पार्टी</b>

बहरहाल, पिता-पुत्र की कलह में अगला ट्विस्ट क्या होगा, ये कहना मुश्किल है. लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुलायम की नाराजगी क्षणिक है. और वह आने वाली 12 फरवरी से पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां के साथ मिलकर चुनाव प्रचार पर निकलेंगे.

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Published: 30 Jan 2017,03:09 PM IST

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