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उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में एक शख्स ने 22 साल की अपनी पत्नी को उसके पांच साल के बेटे के सामने जिंदा जला दिया. उस महिला की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने ट्रिपल तलाक काननू के तहत अपने पति के खिलाफ शिकायत की थी. ये घटना 16 अगस्त की है.
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 इसी साल 25 जुलाई को लोकसभा से पास हुआ है. उसके बाद पांच दिन तक बहस के बाद राज्यसभा से पारित हुआ.
पीड़िता के पिता ने दावा किया है कि उनकी बेटी को 6 अगस्त को उसके पति नफीस ने फोन पर 'ट्रिपल तलाक' दे दिया था. वो मुंबई में काम करता है. पीड़िता उसी दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करने गई. वहां से उसे वापस भेज दिया गया और उससे अपने पति के मुंबई से लौटने का इंतजार करने को कहा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दंपति को पुलिस ने पिछले हफ्ते पुलिस स्टेशन बुलाया था, लेकिन नफीस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने दोनों को साथ रहने के लिए कहा. फिर अगले दिन पीड़िता और नफीस के बीच काफी गरमागरमी हो गई. बात इतनी बढ़ गई कि नफीस और उसके घरवालों ने पीड़िता को पीटा और केरोसिन डालकर उसे आग लगा दी. पुलिस के मुताबिक, पीड़िता की पांच साल की नाबालिग बेटी के सामने ये पूरी घटना घटित हुई.
तीन तलाक को अपराध माना गया है लेकिन इसके बावजूद कानून लागू होने से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के मामलों में कमी नहीं आई है. हालिया हफ्तों में राज्य में ऐसे मामलों में तेजी आई है.
नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया, "तीन तलाक के मामलों में तेजी आई है, जो आश्चर्यचकित करने वाला है, क्योंकि इस मामले को लेकर पहले से ही कानून लागू है. हमें इसके पीछे कोई खास कारण नहीं दिख रहा, सिवाय इसके कि इस समुदाय के पुरुष प्रतिशोधवश ऐसा कर रहे हैं."
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