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CAA प्रोटेस्ट में गिरफ्तार हुई महिलाओं के समर्थन में एक्टिविस्ट

देश भर की 1,100 से भी ज्यादा महिला एक्टिविस्ट ने शाहीन बाग की महिलाओं के प्रति एकजुटता दिखाई है,

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देश भर की 1,100 से भी ज्यादा वीमेन एक्टिविस्ट ने शाहीन बाग की महिलाओं के प्रति एकजुटता दिखाई है
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देश भर की 1,100 से भी ज्यादा वीमेन एक्टिविस्ट ने शाहीन बाग की महिलाओं के प्रति एकजुटता दिखाई है
(फोटो: PTI)

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देश भर की 1,100 से भी ज्यादा महिला एक्टिविस्ट ने शाहीन बाग की महिलाओं के प्रति एकजुटता दिखाई है, जिन्हें कथित तौर पर नागरिकता कानून का विरोध करने के लिए टारगेट किया गया है. मेधा पाटकर, फराह नकवी, अरुणा रॉय, शबनम हाशमी, कविता कृष्णन जैसे वुमन एक्टविस्ट ने महिलाओं का समर्थन किया और आरोप लगाया कि लॉकडाउन के बीच गृह मंत्रालय के इशारे पर दिल्ली पुलिस लोगों को परेशान कर रही है.


एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया कि, CAA प्रोटेस्ट को दिल्ली हिंसा से जोड़ने की कोशिश हो रही है, साथ ही साथ उन्होंने भड़काऊ बयान देने के लिए बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

‘महिलाएं हिंसा में शामिल नहीं’

बयान में कहा गया कि. "महिलाओं के खिलाफ झूठे मामले, मनमानी गिरफ्तारी, डिटेंशन और पूछताछ, साथ ही UAPA और देशद्रोह के आरोपों की निंदा करते हैं." बयान में तीन युवा मुस्लिम महिलाओं के मामलों पर प्रकाश डाला गया है जो शांतिपूर्ण प्रदर्शन में सबसे आगे थीं. बयान में कहा गया है कि ये महिलाएं हिंसा में शामिल नहीं थीं, जैसा कि दिल्ली पुलिस का आरोप है.

  • गुलफिसा, 25, एक युवा मुस्लिम महिला,जो सीलमपुर प्रोटेस्ट मे एक नेता बनकर उभरी. 9 अप्रैल को पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया, मगर किस अपराध में इसका अब तक कोई पता नहीं है. उसपर देशद्रोह का झूठा आरोप लगाकर न्यायिक हिरासत में लिया गया.
  • सफूरा जरगर-जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य 30 साल की सफूरा जरगर, को तीन महीने की गर्भवती होने के बावजूद गिरफ्तार किया गया, ऐसे समय में जब जेलों में भीड़भाड़ है और कोरोना को लेकर दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है.
  • ईशरत जहां, पूर्व नगर पार्षद, खुरेजी प्रोटेस्ट में एक्टिव थी, वो एक महीने से अधिक समय से जेल में हैं, और हिरासत में उसे यातना दी गई हैं. उसके साथ गिरफ्तार हुए खालिद सैफी जब जेल से बाहर आये तो उसके दोनों पैर और टूटे हुए थे, जो पुलिस हिरासत में यातना के प्रमाण थे.

हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि वे हजारों महिलाओं की भावना को सलाम करते हैं, जो देश भर में 200+ शाहीन बाग का हिस्सा थीं, जिन्होंने कई हमलों और नकारात्मक प्रचार के बावजूद, संवैधानिक मूल्यों और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने का झंडा बुलंद किया.

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