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World Wetlands Day: बंजर भूमि नहीं है वेटलैंड्स, जलवायु परिवर्तन कम करने में अहम

ये वेटलैंड्स हजारों पक्षियों और जल पाखियों, रेंगने वाले जलजीवों और मछलियों को जीवन देते हैं.

श्रमण झा
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>world wetlands day 2022</p></div>
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world wetlands day 2022

(फोटो: pixabay)

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पूरी दुनिया 2 फरवरी को विश्व वेटलैंड दिवस मनाती है, लेकिन यह पहला अवसर है जब World Wetlands Day, संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इसका श्रेय बीते अगस्त महासभा में पारित एक प्रस्ताव को जाता है. अंततः, पूरी दुनिया ने इस तथ्य (टैगलाइन) के महत्व को समझा कि 'वेटलैंड बंजर भूमि नहीं हैं.'

इसकी शुरुआत कैस्पियन सागर के तट पर बसे ईरान के एक छोटे पर्यटन प्रधान शहर रामसर से हुई. इसी शहर में सन 1971 में एक अंतरराष्ट्रीय संधि के रूप में वेटलैंड समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे. आगे चलकर सन 1997 से 2 फरवरी को विश्व वेटलैंड दिवस मनाया जाने लगा. इसकी शुरुआत रामसर से हुई, इसीलिए वेटलैंड की एक महत्वपूर्ण सूची का नाम इस शहर के नाम पर रामसर सूची रखा गया है, जो उचित है. इसमें अंतरराष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड के नाम दर्ज हैं. वैश्विक दृष्टि से, रामसर सूची में शामिल वेटलैंड का कुल क्षेत्रफल 2.5 करोड़ वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के भूभाग से कुछ ही कम है.

लेकिन सबसे पहले प्रश्न यह कि ये वेटलैंड क्या हैं? जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इन क्षेत्रों में मौसमी या फिर निरंतर वर्षा होती है. भूजल पूरे वर्ष लगभग भूतल स्तर पर होता है, इसलिए इन क्षेत्रों में जलीय पौधों का अधिक विकास होता है. पौधों और पशुओं की एक समृद्ध शृंखला से भरे आर्द्र भूखंडों की जैव विविधता अन्य सभी परितंत्रों (पारिस्थितिक तंत्रों) की जैव विविधता से अधिक समृद्ध है. और यही विशेषता इन्हें अनमोल बनाती है.

मन में एक लालच का पनपना स्वाभाविक है कि हम क्यों न वेटलैंड को सुखा कर अधिक ठोस, ‘लाभदायक’ बनाएं - खास कर उन शहरी परिवेशों में जिनमें हम रहते हैं, जहां भू संपदा उत्तरोत्तर कम होती जा रही है? एक विकल्प यह भी हो सकता है कि क्यों न इन्हें पानी से भरे किसी बड़े जलाशय, जैसे झील, में बदल दिया जाए? इसका उत्तर सामाजिक हित बनाम निजी लाभ के उस विचार में निहित है, जो रामसर समझौते में स्पष्टतः दर्ज है: "अखंड, प्राकृतिक रूप से सक्रिय वेटलैंड से समाज को मिलने वाली परितंत्र सेवाओं का आर्थिक महत्व अक्सर उक्त भूमि को ठोस और ‘अधिक मूल्यवान’ बनाने के अनुमानित लाभ से कहीं अधिक होता है - ऐसा इसलिए क्योंकि इनके अस्थायी उपयोग के लाभ समाज को नहीं बल्कि मुट्ठी भर लोगोंया निगमों को मिलते हैं."

परितंत्र सेवाओं में जल शोधन, भूजल पनुर्भरण, आंधी से बचाव, बाढ़ नियंत्रण आदि मुख्य हैं. यह बात अब सही सिद्ध हो चली है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने और पर्यावरण को स्वस्थ बनाए रखने में इनकी भूमिका अहम होती है.

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इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि रामसर सूची में प्रवेश के सबसे पहले मानकों में ही वेटलैंड के प्रतिनिधि, दुर्लभ अथवा विशिष्ट प्रकारों के स्थलों को स्थान दिया गया है, और अन्य आठ मानकों में जैविक विविधता का संरक्षण करने वाले अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्थलों को दर्ज किया गया है. इन मानकों में स्थायी जैव विविधता के समझौते के महत्व पर बल दिया गया है. रामसर सूची, जिस पर समस्त विश्व की निगरानी है, में शामिल होने के लिए इन मानदंडों के कारगर ढंग से प्रबंधन और उनकी पारिस्थितिक विशेषता को बनाए रखने का दायित्व भी आवश्यक है.

शहरों में रहने वाले हम में से ज्यादातर लोग वेटलैंड पर प्रायः विशेष ध्यान नहीं देते. प्रायः इसलिए कि वे बहुत दूर होते हैं - और बहुत उपयोगी या फिरएक अर्थ में किसी बड़े जलाशय की तरह सुंदर भी नहीं होते. रामसर सूची में शामिल लगभग पांच स्थल ऐसे हैं, जहां वाहन से नई दिल्ली से दो घंटों के भीतर पहुंचा जा सकता है! वास्तव में, भारत का हैदरपुर वेटलैंड इस सूची में शामिल होने वाला अब तक का अंतिम और 47वां वेटलैंड है. एक तरह से यह मानवीय प्रयास का एक फल है - गंगा के कछार (घाटी) में बांध (बराज) के निर्माण के कारण उत्पन्न. हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं पर स्थित, यह विविधतापूर्ण पर्यावास हजारों पक्षियों और जल पाखियों, रेंगने वाले जलजीवों और मछलियों को जीवन देता है, जिनमें से कुछ लुप्त प्राय जीवों की सूचियों में शामिल हैं. कुछ अन्य आर्द्र भूखंडों की तरह, यह भी जाड़े में आने वाले हमारे प्रवासी पक्षियों का एक पसंदीदा स्थल है.

दुनिया भर में वनों की होने वाली कमी को लेकर लोगों ने चिंता जाहिर करने के साथ-साथ इस पर गंभीरता से ध्यान दिया है. इस बात पर आम जनमानस का ध्यान अभी तक नहीं गया है कि हम वनों की तुलना में तिगुनी गति से वेटलैंड खो रहे हैं. वेटलैंड निश्चय ही महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र (परितंत्र) हैं और हमारे जीवन पर अलग-अलग रूपों में प्रभाव डालते हैं, जिन्हें अब हम अनुभव करते हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि कोलकाता महानगर को ज्यादातर मछलियां कहां से मिलती हैं? निस्संदेह पूर्वी कोलकाता के वेटलैंड से.

विश्व वेटलैंड दिवस, वेटलैंड के अति महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों (परितंत्रों) के हमारे ज्ञान पर विचार करने का एक आदर्श दिन है.

वर्ष 2022 का विश्व वेटलैंड दिवस खास क्यों है? इस दिवस का 25वां वार्षिक समारोह मनाने के अतिरिक्त, यह पहला अवसर है जब विश्व इसे संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मना रहा है, जिसका श्रेय पिछले अगस्त में पारित महासभा के प्रस्ताव को जाता है. आखिरकार, समस्त विश्व इस तथ्य को स्वीकार कर चुका है कि वेटलैंड बंजर भूमि नहीं हैं.

(लेखक श्रमण झा, WWF इंडिया से जुड़े एक्सपर्ट हैं.)

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