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यमुना एक्सप्रेसवे या ‘मौत का राजमार्ग’, अब तक 8000 से ज्यादा मौतें

8 जुलाई को ही इस राजमार्ग पर एक भीषण दुर्घटना में 29 लोगों की मौत हो गई और 22 दूसरे लो जख्मी हो गए हैं.

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यमुना एक्सप्रेसवे या ‘मौत का राजमार्ग’, अब तक 8000 से ज्यादा मौतें
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यमुना एक्सप्रेसवे या ‘मौत का राजमार्ग’, अब तक 8000 से ज्यादा मौतें
(फोटो: पीटीआई)

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जिस यमुना एक्सप्रेसवे पर लड़ाकू विमान उतार कर इसे उत्तर प्रदेश की शान बताया जाता रहा है, वही एक्सप्रेसवे एक खूनी राजमार्ग के रूप में तब्दील हो चला है. राजमार्ग के उद्घाटन की तारीख नौ अगस्त, 2012 से लेकर 31 जनवरी, 2018 तक इस एक्सप्रेसवे पर करीब 5,000 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, और इन दुर्घटनाओं में 8,191 जिंदगियां खत्म हो चुकी हैं. ये जानकारी एक आरटीआई आवेदन के जरिए सामने आई है. ये जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब सोमवार को ही इस राजमार्ग पर एक भीषण दुर्घटना में 29 लोगों की मौत हो गई और 22 दूसरे लो जख्मी हो गए हैं.

अब तक 5000 एक्सीडेंट गैर सरकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से एक आरटीआई आवेदन के जरिए हासिल जानकारी के मुताबिक, राजमार्ग के चालू होने के समय से जनवरी 2018 तक इस पर घटी कुल 5,000 दुर्घटनाओं में 703 भीषण दुर्घटनाएं थीं और इनमें 2,000 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. सेव लाइव फाउंडेशन ने बताया,

यमुना एक्सप्रेसवे पर वर्ष 2012 में नौ अगस्त से लेकर साल के अंत तक कुल 275 दुर्घटनाएं घटी थीं, जिसमें 424 लोगों की जान चली गई थी, और 33 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, 87 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, 304 लोगों को हल्की चोटें आई थीं.

साल 2013 में 1463 मौतें

इसी तरह 2013 में इस राजमार्ग पर कुल 896 दुर्घटनाएं घटीं, जिनमें 1463 लोग काल के गाल में समा गए थे, 118 लोग अति गंभीर रूप रूप से घायल हुए, 356 लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जबकि 989 लोगों को हल्की चोटें आई थीं. साल 2014 में कुल 771 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1462 लोग मारे गए, जबकि 127 लोग अति गंभीर रूप से घायल हुए, 371 गंभीर रूप से घायल हुए, और 964 लोगों को हल्की चोटें आईं थीं.

साल 2015 में 1535 मौतें

साल 2015 में दुर्घटनाओं की संख्या बढ़कर 919 हो गई, जिनमें 1535 लोगों की मौत हुई थी, और 143 लोग अति गंभीर रूप से घायल हो गए थे, 403 गंभीर रूप में घायल हुए थे, जबकि 989 लोगों को हल्की चोटें आईं थीं.

साल 2016 में 1657 मौतें

इसी तरह, 2016 में दुर्घटनाओं की संख्या और बढ़ गई. कुल 1219 दुर्घटनाओं में 1657 लोग मारे गए थे, और 133 लोग अति गंभीर रूप से घायल हुए, 421 गंभीर रूप से घायल हो गए, तथा 1103 लोगों को हल्की चोटें आई थीं.

साल 2017 में 1572मौतें

आंकड़े के मुताबिक, 2017 में हालांकि दुर्घटनाओं में थोड़ी कमी आई, मगर मृतकों की संख्या बढ़ गई. कुल 763 दुर्घटनाओं में 1572 लोग मारे गए, और 145 लोग अति गंभीर रूप से घायल हुए, 407 लोग गंभीर रूप से घायल हुए, और 1020 लोगों को हल्की चोटें आईं थीं.

साल 2018 के जनवरी महीने में कुल 37 दुर्घटनाएं घटीं, जिनमें 78 लोग मारे गए, और चार लोग अति गंभीर रूप से घायल हुए, जबकि 20 लोग गंभीर रूप से घायल हुए, और 54 लोगों को हल्की चोटें आई थीं.

दुर्घटनाओं के इस पूरे आंकड़े को देखा जाए तो इस राजमार्ग के उद्घाटन के बाद से दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है. सिर्फ 2014 और 2017 में वृद्धि के क्रम थोड़ा कम रहा है.

8 जुलाई को हुआ बड़ा हादसा

बता दें कि इस यमुना एक्सप्रेसवे पर दुर्घटनाओं का सिलसिला लगातार जारी है. आगरा के थाना एत्मादपुर में सोमवार तड़के एक बस दुर्घटना में उसमें सवार 29 यात्रियों की मौत हो गई, और 22 अन्य घायल हो गए. इस मुद्दे को एसपी नेता रामगोपाल यादव ने राज्यसभा में उठाया, जिसके जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यमुना एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आता है, और उन्होंने प्रदेश सरकार से दुर्घटनाएं रोकने के उपाय करने के लिए कहा है.

165 किमी लंबा है ये राजमार्ग

6 लेन का यमुना एक्सप्रेसवे ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ता है. 165 किमी लंबे इस राजमार्ग के निर्माण पर 128.39 अरब रुपये की लागत आई थी. राजमार्ग का उद्घाटन नौ अगस्त, 2012 को उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था. भारतीय वायुसेना ने 21 मई, 2015 को इस राजमार्ग पर राया गांव के पास फ्रांस निर्मित दॉसो मिराज-2000 लड़ाकू विमान उतारा था, जो किसी राजमार्ग पर किसी लड़ाकू विमान के उतारे जाने की पहली घटना थी. अखिलेश यादव इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताते रहे हैं.

(इनपुट: IANS)

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