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महसूस हो सकता है, मस्जिद गिराने वालों को मिला मंदिरः योगेंद्र यादव

ऐसे फैसलों में हर किसी को खुश नहीं रखा जा सकता: योगेंद्र यादव

आकांक्षा कुमार
भारत
Published:
(फोटोः क्विंट हिंदी)
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(फोटोः क्विंट हिंदी)

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अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को स्वराज्य इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा है कि इस विवाद का निपटारा जरूरी था और सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है. योगेंद्र यादव ने साथ ही ये आशंका भी जताई कि कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है कि मस्जिद गिराने वालों के हाथ में ही कोर्ट ने जमीन दे दी. हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसे फैसलों में हर किसी को खुश नहीं रखा जा सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिन की सुनवाई के बाद अपने अंतिम फैसले में विवादित 2.77 एकड़ जमीन का मालिकाना हक रामलला को दिया, जिसपर आगे की कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है.

क्विंट हिंदी से बातचीत में योगेंद्र यादव ने इस फैसले पर कहा कि मामले का निपटारा होना जरूरी था क्योंकि इतने सालों तक इस विवाद से नफरत फैलती रही.

“दो बातें अहम हैं. पहला, ये मामला बंद हो. इससे बहुत जान जा चुकी है और बहुत नफरत फैली है. दूसरा, बंद ऐसे हो कि जिससे न कोई जीते और न कोई हारे. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसी ही कोशिश की है कि बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है.”
योगेंद्र यादव

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही, अपने फैसले में 1992 में बाबरी मस्जिद गिराने जाने को गैरकानूनी घोषित किया. योगेंद्र यादव ने कहा कि अब कोर्ट को इस गुनाह के अपराधियों को भी सजा देनी चाहिए, ताकि देश मंदिर-मस्जिद से आगे बढ़ सके.

हालांकि उन्होंने एक जरूरी बात की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बाबरी गिराए जाने को अपराध मानने के बावजूद फैसला हिंदुओं के पक्ष में दिए जाने से लोगों के मन में आशंका जरूर पैदा हो सकती है.

“कई लोगों को महसूस हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट मस्जिद को गिराए जाने को गलत बताता है लेकिन उन्हीं लोगों के हाथों में पकड़ा दिया और कहा कि(मंदिर) बना लीजिए. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की कोशिश की है और मध्यस्थता की कोशिश में कभी भी हर कोई खुश नहीं हो सकता.”
योगेंद्र यादव

क्विंट हिंदी से खास बातचीत में योगेंद्र यादव ने कांग्रेस समेत सभी सेक्युलर पार्टियों को फटाकरते हुए कहा कि उन्हें इससे जुड़े सवालों के जवाब की समझ ही नहीं रही.

“कांग्रेस का मानसिक दिवालियापन इस राजनीति में देख सकते हैं. राजीव गांधी के समय इसके दरवाजे खोले गए थे. कांग्रेस के पास इस सवाल का जवाब देने के लिए समझ नहीं है. पूरे देश की सेक्युलर राजनीति को इसकी समझ नहीं है.”
योगेंद्र यादव

उन्होंने साथ ही सलाह भी दी कि समझदारी से सेक्युलर राजनीति बनाई जा सकती है और उसके लिए इस मामले में समझदारी भरी प्रतिक्रिया की जरूरत है. उन्होंन साथ ही कहा कि पार्टियों को जनता को सेक्युलरिज्म की जरूरत के बारे में समझाना होगा और उनसे जुड़ना होगा.

योगेंद्र यादव ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस फैसले के बाद बीजेपी, जो इतने साल तक इस कार्ड को चलाती रही, वो अब इसका नहीं कर पाएगी और अब रोजी-रोटी के सवाल उठेंगे.

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