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सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे बड़े राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में फैसला सुनाया है. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान बेंच ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया. फैसले के दौरान बाबरी विध्वंस और विवादित भूमि पर मस्जिद बनाने को लेकर भी सु्प्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विवादित जमीन पर बनाई गई मस्जिद मुस्लिम धर्म के रीति-रिवाज के मुताबिक नहीं बनाई गई थी. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिमों ने कभी भी मस्जिद को नहीं छोड़ा था. यहां 1949 तक हर शुक्रवार को नामज अदा की जाती थी. यहां पर अंतिम नमाज 16 दिसंबर 1949 को पढ़ी गई थी. इसीलिए यह साबित करता है कि यह अल्लाह की मस्जिद थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की रिपोर्ट के मुताबिक जो ढांचा ढहाया गया था उसके नीचे मंदिर मिलने के कुछ सबूत मिले थे. हालांकि एएसआई ये साबित नहीं कर पाया कि मंदिर को गिराकर उसकी जगह मस्जिद बनाई गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद मामले पर फैसला सुनाते हुए ये भी माना कि मस्जिद का निर्माण बाबर के शासनकाल में ही हुआ था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर बाकी ने बनाया था. मीर बाकी को बाबर का सेनापति कहा जाता है. जिसने बाबर के आदेश पर अयोध्या में मस्जिद का नर्माण कराया था.
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