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योगी@1: पुलिसिया कहर से आप संसद में रो पड़े थे,लेकिन ये कहां रोएं?

एनकाउंटर पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

विक्रांत दुबे
भारत
Published:
योगी राज में हुए एनकाउंटर पर उठ रहे हैं सवाल
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योगी राज में हुए एनकाउंटर पर उठ रहे हैं सवाल
(फोटोः Altered By Quint)

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पता नहीं, योगी जी को वो दिन याद होगा या नहीं, जब वो संसद में उत्तर प्रदेश पुलिस पर फर्जी मुकदमा ठोकने का आरोप लगा कर रो पड़े थे. उस वक्त यूपी में राज मुलायम सिंह का था. आज वही पुलिस उनके राज में धड़ाधड़ एनकाउंटर कर रही है. कई एनकाउंटरों पर फर्जी होने का आरोप लगा और कई एनकाउंटर तो फर्जी साबित भी हो गए. लेकिन हैरत की बात है कि आज उसी पुलिस को लेकर योगी जी का नजरिया बड़ी तेजी से बदल गया है.

अब सवाल ये है कि यूपी पुलिस के फर्जीवाड़े का दर्द तो उन्होंने संसद में बयां कर दिया था. लेकिन नोएडा के जिम ट्रेनर और उन जैसे फर्जी एनकाउंटरों में मारे गये लोगों के परिजनों का दर्द कौन सुने और किसे सुनाए?

11 महीनें में 1350 एनकाउंटर

अपराध पर अंकुश लगाने के लिए यूपी में बीते 11 महीनें में ताबड़तोड़ 1350 एनकाउंटर हुए, यानी हर दिन औसतन 4 एनकाउंटर और महीने में 100 से भी ज्यादा. इस दौरान 3091 इनामी बदमाश गिफ्तार हुए, जबकि 43 अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया गया.

पुलिस ने दावा किया कि मरने वालों बदमाशों में 50 फीसदी इनामी अपराधी थे, जिनकी सालों से तलाश थी. मायावती के दौर में यूपी में मुठभेड़ में बदमाशों को मारने का चलन बंद हो गया था, जो योगी राज में शुरू हुआ.

मुठभेड़ की आड़ में नोएडा के जिम ट्रेनर को निजी दुश्मनी में बदमाश करार देकर पुलिस ने मार दिया. जब ये मामला खुला, तो एक के बाद एक मारे गये 14 मामलों में पुलिस की कहानी फर्जी जैसी दिखी. इनमें अकेले आजमगढ़ के तीन मामले हैं.

1. आजमगढ़ः पुलिस ने जयहिंद को मुठभेड़ में मारा

पुलिस की स्क्रिप्ट

आजमगढ़ में 3 अगस्त 2017 को पुलिस ने मुठभेड़ में जयहिंद को मार गिराया. पुलिस के मुतबिक वो बाइक से भाग रहा था. रास्ते में पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, तो उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की तो उसके पैर और छाती में गोली लगी, मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी भी घायल हुआ. पुलिस के मुतबिक उस पर 10 से अधिक मुकदमे दर्ज थे और उस पर 15 हजार रुपये का इनाम था.

परिजन का आरोप

मारे गये जयहिंद के पिता शिवपूजन यादव का कहना है कि जयहिंद की तबीयत खराब थी और वे उसे डॉक्टर के यहां लेकर जा रहे थे. दोनों सड़क पर बस का इंतजार कर थे, तभी कुछ लोग सादे कपड़ों में आये और जयहिंद को उठाकर ले गए. कुछ घंटों के बाद मालूम हुआ कि बेटे को पुलिस ने मुठभेड़ में मार दिया है.

शिवपूजन भरी आंखों से बताते हैं कि जयहिंद को उनकी आंखों के सामने से उठाया गया. उन्‍हें समझ में नहीं आ रहा कि उनका बेटा इतना बड़ा अपराधी कब बन गया.

शिवपूजन ने कहा, ''उसे फर्जी मुकदमों में फंसाया गया और मुझे भी फंसाने की धमकी दी गयी. मेरा बेटा बीए की पढ़ाई कर रहा था और एक पार्ट टाइम नौकरी भी करता था.''

2.आजमगढ़ः पुलिस ने मुकेश राजभर को मुठभेड़ में मारा

पुलिस की स्क्रिप्ट

जयहिंद यादव की तरह ही पुलिस ने दो लोगों को बाइक पर आते देखा और रोकने की कोशिश की लेकिन बाइक सवारों ने पुलिस पर हमला बोला. इसमें कॉन्स्टेबल उदयभान को गोली लगी, जबकि जवाबी कार्रवाई में मुकेश राजभर मारा गया. पुलिस के मुताबिक, मुकेश राजभर जेल के सिपाही पर हमला करने के केस में वॉन्टेड था और उस पर 50 हजार रुपये का इनाम भी था.

परिजन का आरोप

आजमगढ़ से 50 किलोमीटर दूर पवई गांव के निवासी मुकेश के भाई सर्वेश का कहना है वो कानपुर के शिवप्रताप के यहां काम करता था. शिवप्रताप ने 26 जनवरी को बताया कि कुछ लोग मुकेश को सुबह एसयूवी से उठा कर ले गये. इसकी जानकारी कानपुर पुलिस को भी दी. लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई.

दूसरे दिन पता चला कि पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया. सर्वेश के मुताबिक, कुछ दिनों पहले गांव के एक नेता की मोटरसाइकिल चोरी गयी थी, जिसमें उसे फर्जी तरीके से फंसाया गया. इस डर से लोगों ने उसे हटा दिया था, वो कानपुर में एक साल से काम कर रहा था.

योगी के मंत्री ने ही उठाए सवाल

आजमगढ़ में मुकेश के मुठभेड़ पर योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने खूब हंगामा काटा. और मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की.

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3.आजमगढ़: राम जी पासी को मुठभेड़ में मार गिराया

पुलिस की स्क्रिप्ट

14 सितम्बर 2017 को आजमगढ़ में ही पुलिस ने रामजी पासी को मुठभेड़ में ढेर किया. पुलिसिया स्क्रिप्ट के अनुसार मुखबिर से बदमाशों के गैंग की सूचना मिली थी. उसी सूचना के आधार पर पुलिस ने घेराबंदी की. इस बीच कुछ लोग आते दिखे, जब पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा तो फायरिंग शुरू हो गयी. फिर पुलिस ने जवाबी फायरिंग की, तो एक आदमी गिरा दिखाई दिया, जिसकी शिनाख्त राम जी पासी के रूप में हुई.

इस बीच मौका पाकर उसके दूसरे साथी भाग निकले. इस मुड़भेड़ में भी एक कॉन्स्टेबल जख्मी हुआ. पुलिस को मौके से एक पिस्टल और बाइक बरामद हुई. रामजी पर 50 हजार का इनामी था और पुलिस को उसकी एक साल से तलाश थी.

परिजन का आरोप

जियापुर ग्राम प्रधान देवेश सरोज, जो कि रामजी पासी के बड़े भाई हैं, उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया और कहा कि ये फर्जी एनकाउंटर है. सरोज ने आरोप लगाया कि पुलिस लगातार रामजी को मारने की धमकी देती थी, कचहरी में भी पुलिस ने तीन दिनों के भीतर रामजी को मारने की धमकी उसकी पत्नी के सामने दी थी. रामजी 2010 में बीडीसी सदस्य भी चुना गया था.

4.इटावाः पुलिस ने आदेश यादव को मुठभेड़ में किया ढेर

पुलिस की स्क्रिप्ट

आदेश यादव का एनकाउंटर 18 सितंबर को इटावा में किया गया था. पुलिस ने अपनी स्क्रिप्ट में बताया कि मुखबिर के सुराग पर पुलिस बदमाशों की तलाश में थी, इस बीच बाइक सवार दिखे, जिन्हें रोकने की कोशिश की गयी तो फायरिंय करने लगे.

इस पर पुलिस ने भी जवाबी फायर किया, जिसमें एक युवक मारा गया. उसकी शिनाख्त आदेश यादव के रूप में हुई. मुठभेड़ के दौरान 3 पुलिसकर्मी भी घायल हुए. पुलिस के अनुसार आदेश कुख्यात अपराधी था.

परिजन का आरोप

आदेश यादव की मां ने अपने बेटे के एनकाउंटर को फर्जी बताते हुये न्याय के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत की है.

5.बागपतः सुमित गुर्जर एनकाउंटर

पुलिस की स्क्रिप्ट

नोएडा पुलिस ने कहानी में बताया कि कैश वैन लूट और ड्राइवर की हत्या कर कुछ बदमाश भाग रहे थे. इनके साथ पुलिस की मुड़भेड़ हुई, जिसमें एक बदमाश मारा गया. शिनाख्त 50 हजार के इनामिया सुमित गुर्जर के रूप में हुई.

परिजन का आरोप

सुमित के पिता का कहना है कि 30 अक्टूबर की सुबह पुलिस बानिली से सुमित को उठा कर ले गई. पुलिसवालों ने उनके बेटे को इस तरह पीटा था कि उसकी पसली टूट गयी. ये बताते हुए वो रो पड़े.

पिता ने बताया कि सुमित का बागपत,शामली,सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था. फिर भी उसे मारा दिया गया. इसको लेकर बागपत में कई दिनों तक धरना प्रदर्शन हुआ.

एनकाउंटर पर क्यों उठ रहे हैं सवाल

  1. FIR का एक ही पैटर्न, जिसमें बदमाश बाइक पर जा रहे थे और पुलिस के रोकने पर उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में बदमाश मारे गए.
  2. पुलिस इन संदिग्ध मुठभेड़ों में साथियों को पकड़ने में नाकाम रही और साथी भागने में सफल रहे.
  3. अमूमन सभी एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों को ही गोली लगती है और कुछ ही घंटों में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाते हैं.
  4. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ज्यादातर को गोली सीधे सर पर लगी है. मतलब यूपी पुलिस की दूर की निशानेबाजी भी अच्छी है.

वैसे ऐसा नहीं है कि मुठभेड़ों में सिर्फ बमदाश ही मारे गये हैं, मरने वालों में पुलिस भी हैं. लेकिन कहा जाता है ऐसी दुखद घटना तभी हुई, जब एनकाउंटर, एनकाउंटर की तरह हुए.

(इनपुट: मीडिया रिपोर्ट्स)

ये भी पढ़ें- योगी@1: योगी आदित्यनाथ की पहली सालगिरह पर BJP का पॉलिटिकल एनकाउंटर

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