वीडियो एडिटर- आशीष मैक्यून
पहली सालगिरह पर ऐसा तोहफा भगवान किसी को ना दे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके शुभचिंतक यही कह रहे होंगे.
जनता ने यूपी उपचुनाव में एनकाउंटर को स्टेट पॉलिसी के तौर पर चलाने वाली बीजेपी का राजनीतिक एनकाउंटर कर दिया. योगी का गढ़ समझी जाने वाली गोरखपुर सीट तो बीजेपी हारी ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की फूलपुर सीट भी गंवा दी.
आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक साल पहले यूपी की सत्ता संभालने वाले योगी हीरो से जीरो हो गए. क्विंट करेगा इस सवाल की पड़ताल.
अब 22 करोड़ की आबादी की अगुआई आसान काम तो है नहीं. लेकिन योगी जी जिस अंदाज में आए कि लगा- पूरे घर के बदल डालेंगे.
19 मार्च, 2017 को यूपी की कमान संभालते वक्त योगी का सबसे बड़ा चैलेंज था कानून व्यवस्था. इस दिशा में तीन कदम उठाए गए.
- एंटी-रोमियो स्कवॉयड
- बूचड़खानों पर रोक
- एनकाउंटर की खुली छूट
एंटी-रोमियो स्कवॉयड ने शुरुआत में खूब सुर्खियां बटोरीं लेकिन पुलिसवालों के लिए कोई ठोस दिशा-निर्देश नहीं बनाए गए. बेवजह लड़के-लड़कियों को परेशान करने की घटनाएं आम होने लगीं और आज एंटी-रोमियो स्कवॉयड का कुछ अता-पता नहीं है.
गोरक्षा के नाम पर...
यूपी में बीजेपी सरकार के आते ही बूचड़खानों पर लगी रोक को योगी जी ने घूम-घूम कर अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाया. इस कदम ने मुस्लिम समुदाय में खौफ पैदा कर दिया था.
गौरक्षा के नाम पर लोगों, जिनमें ज्यादातर मुसलमान होते थे, उनकी मार-पिटाई और हत्या तक की खबरें सामने आईं. आज यूपी के किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत वो बूढ़ी लावारिस गायें हैं जो रातों-रात आती हैं और खेत बरबाद करके चली जाती हैं.
यूपी में रहना है तो ‘योगी-योगी’ कहना है
योगी राज में पुलिस को एनकाउंटर की वो खुली छूट मिली कि उत्तर प्रदेश को लोग एनकाउंटर प्रदेश कहने लगे. कई मामलों में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे लेकिन योगी जी टस से मस नहीं हुए.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक
पिछले एक साल में यूपी पुलिस ने करीब 1200 एनकाउंटर में 40 आरोपियों को मार गिराया है. यानी हर महीने 100 एनकाउंटर और 3 से 4 ‘बदमाशों’ की मौत.
सांप्रदायिक सौहार्द का वादा?
कासगंज याद है आपको. 26 जनवरी को भड़के सांप्रदायिक हिंसा ने एक युवक की जान ले ली थी और इलाके में कई दिनों तक जन-जीवन ठप पड़ा रहा. बीजेपी का ‘भयमुक्त शासन’ का वादा हवा हो गया. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक
साल 2017 में सांप्रदायिक हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश देश का नंबर 1 राज्य रहा. कासगंज के अलावा यूपी में सांप्रदायिक हिंसा की 195 घटनाएं हुईं जिनमें 44 लोग मारे गए और 542 घायल हुए.
किसानों की नाराजगी
सही दाम ना मिलने से नाराज किसानों ने हजारों क्विंटल आलू आपके घर और असेंबली के बाहर सड़कों पर फेंक दिया. अक्टूबर, 2017 में गन्ने की कम कीमत से नाराज किसानों ने यूपी असेंबली के बाहर गन्ना जलाया था.
सरकार किसानों की कर्ज माफी को बड़ी उपलब्धि बताती है लेकिन ज्यातातर किसान इसका फायदा ना मिलने का दावा करते हैं.
यूपी की सेहत
सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला योगी आदित्यनाथ पर सिर मुंडाते ही ओलों की तरह पड़ा.
हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर के मुताबिक पिछले एक साल में जापानी एन्सेफलाइटिस से होने वाली मौत की संख्या बढ़ी है. हालांकि उत्तर प्रदेश में डेंगू से मौत और चिकनगुनिया के मामलों में काफी कमी आई है.
नौजवान निराश
हाल में हुए इन्वेस्टर समिट में सीएम योगी ने अगले तीन साल में 40 लाख नौकरियां जुटाने का वादा किया. उम्मीद दै कि इनमें उन्होंने पकौड़ा तलने वालों को शामिल नहीं किया होगा. वो शिक्षा में 1.37 लाख और पुलिस विभाग में 1.62 लाख खाली पद भरने की बात कह रहे हैं
ख्वाबों के पत्तल, वादों की खिचड़ी
योगी जी, माना कि आप स्टार प्रचारक हैं. अपके भगवा चोले में ‘हिंदुत्व’ और ‘राष्ट्रवाद’ का वो अक्स झलकता है जो बीजेपी का डीएनए है. लेकिन एनकाउंटर को लेकर बनी आपकी ‘सिंघम’ छवि क्या युवाओं की बेचैनी को शांत कर पाएगी? क्या हिंदू-मुस्लिम विवाद में उलझकर किसान अपनी दिक्कतें भुला देंगे?
जवाब है नहीं... उपचुनावों में लोगों ने संदेश दे दिया है. इस संदेश को चेतावनी समझिएगा क्योंकि 2019 के आमचुनाव में भी ज्यादा वक्त नहीं बचा. और वो कहते हैं ना.. केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से ही होकर गुजरता है.
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