जाकिर नाईक और UAPA, झारखंड में क्यों हो रही इनकी बात

डॉक्टर जाकिर नाइक की संस्था 'IRF' को यूएपीए की धारा 3ए के तहत 15 नवंबर 2021 से दोबारा प्रतिबंधित किया गया है.

आनंद दत्त
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>इस्लामिक रिसर्चर जाकिर नाईक</p></div>
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इस्लामिक रिसर्चर जाकिर नाईक

(फोटो: ट्विटर)

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इस्लाम धर्म के प्रचारक जाकिर नाईक (Zakir Naik) की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (Islamic Research Foundation) (आईआरएफ https://www.irfi.org/ ) को बैन कर दिया गया है. झारखंड (Jharkhand) में अगर उस संस्था की कोई गतिविधि देखने को मिलती है, तो इसमें शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही गई है. बीते साल 15 नवंबर को आईआरएफ (IRF) की गतिविधि को संदिग्ध और देश विरोधी (Anti-national) मानते हुए केंद्र सरकार ने इसपर पांच साल का प्रतिबंध लगाया था. इस प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगाई है.

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईआरएफ पर कार्रवाई का आदेश जारी करते हुए झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. पत्र मिलने के बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने सभी 24 जिलों के एसपी को इस संबंध में कार्रवाई का निर्देश दिया है.

इसमें कहा गया है कि इस संगठन की किसी भी गतिविधि में शामिल लोगों पर अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट, 1967 (यूएपीए https://www.mha.gov.in/sites/default/files/A1967-37.pdf ) के तहत कार्रवाई की जाए.

झारखंड पुलिस मुख्यालय का आदेश मिलने के बाद सभी जिलों के एसपी ने अपने जिले के थानेदारों को इस संबंध में पत्र लिखा है. जिसमें उनसे कहा गया है कि वह अपने इलाके में होनेवाले इस संस्था की किसी भी गतिविधि पर नजर रखेंगे और कुछ भी संदिग्ध मिलने पर उचित्त कार्रवाई करेंगे.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मिले पत्र में बताया गया है कि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के कारण आईआरएफ को यूएपीए की धारा 3ए के तहत 15 नवंबर 2021 से प्रतिबंधित किया गया था.

गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिबंधित किए जाने के बाद इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की गई थी.

इस कमेटी ने भी 9 मार्च 2022 को पर्याप्त कारण पाते हुए गृह मंत्रालय के फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी. इसके बाद यूएपीए के तहत आईआरएफ को 15 नवंबर 2021 की तारीख से पांच साल तक के लिए भारत में प्रतिबंधित किया गया है.

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साल 2016 से ही लगा हुआ है बैन

इससे पहले नवंबर 2016 में भी आईआरएफ पर केंद्र सरकार ने बैन लगा दिया था. यह बैन भी पांच साल के लिए लगाया गया था. इसकी अवधि खत्म होने से पहले ही बीते साल एक बार फिर से इसे पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस संस्था पर भारत में क्यों बैन लगा.

जानकारी के मुताबिक 1 जुलाई 2016 को बंग्लादेश की राजधानी ढ़ाका में एक बम विस्फोट हुआ था. इस घटना को पांच आतंकियों ने मिलकर अंजाम दिया था. इसमें कुल 29 लोग मारे गए थे. घटना के बाद पकड़े गए आतंकी ने कहा था कि उसने जाकिर नाईक की बातों से प्रभावित होकर हमले को अंजाम दिया था. इसके बाद भारत सरकार ने इस संस्था पर एक्शन लेते हुए इसे बैन कर दिया था. जिसके बाद जाकिर नाईक भारत छोड़कर मलेशिया रहने चले गए.

जाकिर नाईक का पूरा नाम जाकिर अब्दुल करीम नाईक है. मुंबई में पैदा हुए जाकिर नाईक को दुनियाभर में इस्लाम धर्मोपदेशक के तौर पर जाना जाता है.

वह पीस टीवी के संस्थापक भी हैं. हालांकि उनके टीवी को भारत के अलावा श्रीलंका, इंग्लैंड, बांग्लादेश, कनाडा जैसे देशों में बैन कर दिया गया है. एमबीबीएस डिग्रीधारी जाकिर नाईक कई बार पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना भी कर चुके हैं.

क्या आईआरएफ झारखंड में भी सक्रिय है?

पिछले दस साल से क्राइम कवर कर रहे पत्रकार अखिलेश सिंह कहते हैं, झारखंड में इस वक्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) नामक संगठन काफी सक्रिय है. बीते 10 जुलाई को पीएम मोदी झारखंड और बिहार के दौरे पर आए थे. इस दौरान उनपर हमले की साजिश में इसी संगठन के हाथ होने के आरोप पुलिस ने लगाए थे.

इस संगठन पर केवल झारखंड में बैन लगा हुआ है. इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में इस संगठन के 48 लोग चुनाव जीतकर आए हैं.

वो आगे कहते हैं, पीएफआई झारखंड के साहेबगंज, पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, गिरिडीह जैसे जिलों में अधिक एक्टिव है. बीते 9 जून को रांची में हुए दंगे में भी इसके हाथ होने की संभावना पुलिस जता रही है. हालांकि कुछ साल पहले तक झारखंड में इंडियन मुजाहिदिन और सिमी का स्लिपर सेल काफी सक्रिय था.

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