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केरल में जीका वायरस (Zika Virus) के कुल मामले बढ़कर 14 हो गए हैं. केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि राज्य में हाई-अलर्ट है और हालात पर नजर रखी जा रही है. कोरोना वायरस महामारी (Covid-19) के खतरे के बीच केरल में जीका वायरस के तौर पर चुनौती सामने आई है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने गुरुवार को बताया था कि राज्य में जीका वायरस के मामलों का पता चला है.
बता दें कि जीका वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए जटिलताएं पैदा कर सकता है.
जीका मुख्य रूप से एडीज प्रजातियों के संक्रमित मच्छर के काटने से होता है. ये वही प्रजाति है, जिसके काटने से डेंगू होता है. संक्रमित होने पर जीका वायरस आमतौर पर एक हफ्ते तक एक संक्रमित व्यक्ति के खून में रहता है. ये कोई जानलेवा बीमारी नहीं है. आमतौर पर 5 संक्रमित लोगों में से 1 में इसके लक्षण दिखते हैं.आम लक्षणों में बुखार, चकत्ते, जोड़ों में दर्द या आंखों का लाल होना शामिल है. आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 2 से 7 दिन बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं. ज्यादातर लोगों को इंफेक्शन के बाद भी भर्ती होने की जरूरत नहीं होती और इस वायरस के कारण मौत होने की आशंका न के बराबर होती है.
देश के बड़े पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स में से एक डॉ मैथ्यू वर्गीज का कहना है कि जीका को लेकर डर पैदा करने की अभी जरूरत नहीं है.
जीका को लेकर अभी डर इसलिए बना हुआ है क्योंकि दक्षिण और मध्य अमेरिका में पैदा होने वाले ऐसे नवजातों की संख्या बढ़ी है, जिनका सर छोटा होता है, इस कंडिशन को 'माइक्रोसिफेली' कहा जाता है.ऐसी आशंका जताई गई है कि जीका वायरस से संक्रमित गर्भवती महिलाएं असामान्य रूप से छोटे सिर वाले बच्चों को जन्म दे रही हैं, जिससे दुनियाभर में जीका को लेकर डर के हालत बन गए हैं.
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