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जामिया हिंसा केस: शरजील, सफूरा समेत 9 आरोपियों को बरी करने का फैसला HC ने पलटा

Jamia violence Case:2019 में पुलिस और नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़की थी

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(फोटो: फेसबुक/शरजील इमाम)

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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) ने 2019 जामिया नगर हिंसा मामले में शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और 7 अन्य को बरी करने के आदेश को रद्द कर दिया. 2019 के जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तन्हा सहित 11 आरोपियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना आदेश सुनाया.

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़की थी.

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने अपने आदेश में कहा,

"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से इनकार नहीं किया गया है, यह न्यायालय अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक है और इस तरह से इस मुद्दे को तय करने की कोशिश की है. शांतिपूर्ण सभा का अधिकार प्रतिबंध के अधीन है. संपत्ति और शांति को नुकसान की रक्षा नहीं की जाती है."

हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से पलटते हुए शरजील इमाम, तन्हा और जरगर सहित ग्यारह आरोपियों में से नौ के खिलाफ दंगा और गैरकानूनी जमावड़े सहित अलग-अलग अपराधों के लिए आरोप तय किए हैं.

पिछली सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए, जबकि विभिन्न अधिवक्ताओं ने इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शाहजर रजा खान और चंदा यादव का प्रतिनिधित्व किया था..

निचली अदालत ने 4 फरवरी को सभी 11 अभियुक्तों को आरोप मुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगा करने के आरोप तय किए गए.
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23 मार्च को न्यायमूर्ति शर्मा की पीठ के समक्ष, जैन ने तर्क दिया था कि ट्रायल कोर्ट (साकेत कोर्ट) ने जांच एजेंसी के खिलाफ अपमानजनक और गंभीर पूर्वाग्रहपूर्ण टिप्पणियां की और अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया और कहा कि इसे रिकॉर्ड से हटा देना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में नाकामयाब रही, और इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाया. बेंच ने कहा था, निचली अदालत के न्यायाधीश ने कहा है कि आप अदालत में साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं ला पाए कि ये व्यक्ति उस भीड़ का हिस्सा थे जिसने अपराध किया था, उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब इतने लोग थे तो आपने कुछ को ही क्यों उठाया?

जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की ओर से, वकील तालिब मुस्तफा ने कहा था कि किसी भी चार्जशीट में इमाम के खिलाफ कोई वीडियो क्लिप या गवाह का एक भी बयान नहीं है

प्रतिवादी अनवर, रजा खान, कासिम और उमैर अहमद की ओर से पेश अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने कहा कि अभियुक्त केवल तमाशबीन थे और निचली अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त करने का सही आदेश पारित किया था.

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