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झारखंड (Jharkhand Political Crisis) में सियासी तूफान मचा हुआ है. हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के नेतृत्व वाले गठबंधन को डर है कि बीजेपी उसके विधायकों का 'शिकार' कर सकती है. लिहाजा विधायकों को सुरक्षित करने में गठबंधन जुट गया है और इस का जिम्मा खुद हेमंत सोरेन ने संभाला है. गठबंधन को लगता है कि सोरेन की विधायकी गई तो बीजेपी मौके का फायदा उठाकर विधायकों को तोड़ सकती है.
शनिवार सुबह जेएमएम और कांग्रेस के विधायकों की बैठक सीएम सोरेन के आवास पर हुई. खास बात ये है कि इस बैठक में विधायक अपना सामान लेकर पहुंचे. बैठक के बाद विधायक तीन बसों में सोरेन के आवास से निकले. इनमें से एक बस में खुद सोरेन सवार थे. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया कि इन विधायकों को छत्तीसगढ़ ले जाया जा रहा है. लेकिन सारे विधायक जमा नहीं हुए.
हालांकि हमारे सूत्र बताते हैं कि विधायकों को छत्तीसगढ़ नहीं बल्कि खूंटी के लतरातू डैम स्थित रिजॉर्ट में ले जाया गया है.
इस बीच झारखंड बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक भी चल रही है.
आंकड़ों की बात करें तो 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में इस वक्त झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के पास 30, कांग्रेस के पास 18, आरजेडी के पास 1 विधायक हैं. यानी बहुमत के लिए जरूरी 41 में से आठ अधिक कुल 49 की संख्याबल है.
वहीं विपक्ष में बीजेपी के पास 26, आजसू के पास 2, एनसीपी एक, सीपीआईएमल 1, निर्दलीय 2 विधायक हैं.
जेवीएम को चुनाव में तीन सीटें हासिल हुई थी. उसके बाद बाबूलाल मरांडी ने पार्टी के मुखिया होने के नाते पार्टी को बीजेपी में विलय करा दिया. खुद भी बेजीपी में शामिल हो गए. लेकिन उनके बाकि दो विधायक प्रदीप यादव और बंधू तिर्की कांग्रेस में चले गए. केंद्रीय चुनाव आयोग ने जेवीएम के विलय को मान्यता दे दी है. लेकिन झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने इसे अब तक मान्यता नहीं दी है. तर्क ये दिया जा रहा है कि दो तिहाई विधायक तो कांग्रेस में चले गए, ऐसे में बीजेपी में विलय मान्य नहीं है. यही मामला विधानसभा अध्यक्ष के कोर्ट में फिलहाल चल रहा है. जिसमें आशंका है कि बहुत जल्द बाबूलाल मरांडी की भी विधायकी जाएगी. आजसू बीजेपी के साथ है.
क्योंकि सीएम सोरेन के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का केस चल रहा है. उनपर बीजेपी ने आरोप लगाया कि सीएम रहते उन्होंने अपने नाम खनन पट्टा लिया. इसकी जांच चुनाव आयोग के पास पहुंची. कहा जा रहा है कि आयोग ने जांच करके अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है और अब राज्यपाल ने ये रिपोर्ट दिल्ली में चुनाव आयोग को दे दी है.
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(इनपुट: आनंद दत्ता)
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