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क्विंट को ये बात कहते वक्त झारखंड के लोहरदगा जिले से आई डग्गा-नगाड़ा टीम के कप्तान दुर्गा माहली के हाथ अपने नगाड़े पर और तेज चलने लगे थे.
12 मई, 2018 को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की शादी का जश्न शबाब पर है, लेकिन खास बात ये है कि आने वालों में ज्यादातर लोगों में शादी के उत्साह से ज्यादा लालू से मिलने की चाहत दिखती है.
इन 14 आदिवासी कलाकारों को आरजेडी के एक नेता (जिनका नाम इन्हें नहीं पता) ने एडवांस में 15 हजार रुपये दिए हैं. लेकिन लोहरदगा से पटना तक अपने टेंपू में आने, खाने-पीने और नए कपड़े सिलवाने में इनके 40 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं. इसके बावजूद इच्छा ईनाम से ज्यादा लालू से मिलने की है.
ये आदिवासी नगाड़े से ही अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. शादी-ब्याह, समारोह में शिरकत के लिए ये लोग भूटान, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा तक का सफर करते हैं. 'सूखे-सीजन' यानी जब शादी-ब्याह ना हो तो ये लोग सामाजिक संदेश और सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वाले नुक्कड़-नाटकों से पेट पालते हैं.
तेज प्रताप की शादी के लिए इन लोगों ने खासतौर पर अपने सफेद धोती-कुर्ता सिलवाए हैं ताकि वीआईपी शादी की शान में गुस्ताखी ना हो.
हैरानी की बात ये है कि अपने जीवन-स्तर में सुधार के लिए इन लोगों की लालू या दूसरे नेताओं से ना तो कोई मांग है, ना उम्मीद. बस हाथ जोड़कर एक ही दरख्वासत है- लालू जी मिल लें.
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