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लता मंगेशकर: बर्तन स्टैंड पर बैठकर मां को सुनाती थीं गाना, पहली बार मिले 300 रु

Lata Mangeshkar ने बताया था, कैसे की गाने की शुरुआत, पहली बार गाना रिकॉर्डिंग की कहानी

विकास कुमार
न्यूज
Published:
 एसडी बर्मन और लता मंगेशकर
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एसडी बर्मन और लता मंगेशकर
फोटो:Twitter/@chitralekhamag)

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लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) नहीं रहीं. वे कोरोना के साथ ही निमोनिया की वजह से बीमार थी. आईसीयू में एडमिट की गईं. लगभग एक महीने तक इलाज चला. मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. 28 दिसंबर 1929 को एमपी के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में करीब 30 हजार गाने गाए. करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में आवाज दी. 5 भाई बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और भाई भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में बताया था कि कैसे गाने की शुरुआत की थी.

'मैं बर्तन स्टैंड पर बैठकर मां को सुनाती थी गाना'

लता जी के पिता कलाकार और सिंगर थे. उन्होंने इंटरव्यू में बताया था, हमारे घर में सारा दिन संगीत चलता था. लोग पिता जी के पास संगीत सीखने के लिए आते थे. उनकी ड्रामा कंपनी थी. रियाज वगैरह होते थे. मैं हमेशा सुनती थी, लेकिन पिता जी के सामने नहीं गाती थी.

हमारे घर में बहुत बड़ा किचन था. उस किचन में बर्तन रखने का एक स्टैंड था. मैं उसपर चढ़कर बैठती थी और मां अगर कुछ बना रही है तो मैं उसको अपना गाना सुनाया करती थी. जोर-जोर से. मुझे सहगल साहब बहुत पसंद थे तो उनके गाने गाती थी. मेरी मां कहती थी. तू मेरा सिर मत खा. चली जा यहां से. तो मैं उसको सुनाया करती थी. तो इस तरह से मेरा गाना शुरू हुआ.

'जब पहली बार पिता जी ने मेरा गाना सुना तो..'

लता जी ने बताया, एक दिन पिता जी किसी को गाना सिखा रहे थे. शाम का वक्त था. पिता जी ने कहा कि तुम रियाज करो और मैं जाकर आता हूं. मैं गैलरी में खेल रही थी. मैं 5 साल की थी. मैं ये सब सुन रही थी. वो गा रहा था. उसने जो शुरू किया, मुझे अच्छा नहीं लगा. मैं अंदर गई और उसे गाकर बताया. पिता जी इतने में आ गए और उन्होंने सबकुछ सुना.

अगली सुबह पिता जी ने मां से कहा, घर में गवैया बैठा है और मैं बाहर के लोगों को गाना सिखा रहा हूं. दूसरे दिन उन्होंने मुझे सुबह 6 बजे ही उठाया और सिखाना शुरू किया.
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9 साल की उम्र में पहली बार प्रोग्राम में गाना गाया

लता जी ने बताया, मैं 9 साल की थी. कुछ लोग मेरे पिता जी के पास आए. हम लोग सोलापुर में थे. मैं खेल रही थी. तो उन्होंने आकर पिता जी से कहा कि आप का एक क्लासिकल प्रोग्राम करना चाहते थे. उनके जाने के बाद मैं बाबा के पास गई और कहा मैं भी आपके साथ गाना चाहती हूं. बाबा ने पूछा, कौन सा राग गाओगी. फिर रात का शो हुआ. पिता जी ने कहा कि तू पहले गा. मैंने गाया. लोगों को बहुत अच्छा लगा. फिर पिता जी गा रहे थे. मैं उनकी गोद में सिर रखकर सो गई. लता जी ने बताया-

पहला गाना 1942 मार्च में रिकॉर्ड हुआ. मराठी फिल्म थी. जो संगीत कर रहे थे वो मेरे पिता जी के साथ ड्रामा में काम कर चुके थे. वे पिताजी के पास आए और कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम्हारी बेटी मेरी फिल्म में काम करे. पिता जी ने कहा कि भूल जाओ. वह फिल्म में काम नहीं करेगी. फिर काफी बार कहने पर पिता जी मान गए. मैंने गाना गया. वह पहली बार रिकॉर्डिंग थी.

पिता जी के निधन के बाद मुश्किल में आ गया परिवार

लता जी ने बताया, पिता जी की मृत्यु के बाद दूसरा कोई साधन नहीं था कि मैं घर में पैसे कैसे लाऊं. क्योंकि हम लोग चार बहने और एक भाई. मैं सबसे बड़ी. मां बहुत परेशान हो गई थी. मेरे पास मास्टर विनायक आए थे. उन्होंने कहा कि तुम मेरी पिक्चर में काम करो. वो मराठी में बहुत मशहूर थे. उनका बहुत नाम था. तो उस फिल्म में मैंने काम किया, लेकिन उनका कुछ झगड़ा हुआ और उन्होंने कंपनी छोड़ दी लेकिन मैंने वहां काम किया. तीन महीने लगे और 300 रुपए मिले. दो तीन गाने थे. तो वहां से फिर मैं कोल्हापुर आई और मास्टर विनायक के पास नौकरी शुरू की.

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