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दिल्ली (Delhi) और गुरुग्राम में शराब की कीमतों को लेकर 'वॉर' (War) छिड़ गया है. दिल्ली में शराब बिक्री पर दोबारा छूट के बाद अब गुरुग्राम के व्यापारियों ने भी शराब पर छूट देनी शुरू कर दी है. व्यापारियों का कहना है कि दिल्ली में छूट से गुरुग्राम के शराब व्यापार में 60 फीसदी की गिरावट आई है.
दरअसल, दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में नई आबकारी नीति के तहत 849 खुदरा बिक्री दुकानों को लाइसेंस जारी किए थे. इसके तहत लाइसेंस धारी दुकानें शराब की MRP पर 25 फीसदी तक का डिस्काउंट दे सकती थीं.
दिल्ली सरकार ने इस डिस्काउंट को फरवरी महीने में कोरोना महामरी के बढ़ते मामलों की वजह से बंद कर दिया था. क्योंकि, निजी दुकानों द्वारा दी जा रही छूट और 'एक खरीदो, एक मुफ्त पाओ' जैसी स्कीम की वजह से कई दुकानों के बाहर भीड़ लगने लगी थी. जिसके बाद सरकार ने शराब बिक्री पर छूट देने पर रोक लगा दी थी.
लेकिन, फिर दिल्ली सरकार ने अप्रैल महीने से शराब बिक्री पर छूट को मंजूरी दे दी है. हालांकि, आबकारी आयुक्त के ऑर्डर में कहा गया है कि सार्वजनिक हित को देखते हुए सरकार डिस्काउंट को किसी भी समय वापस लेने का अधिकार अपने पास रखती है. सरकार पर डिस्काउंट देने के निर्णय को जारी रखने के लिए कोई बाध्यता नहीं होगी.
दिल्ली सरकार द्वारा शराब पर दोबारा छूट दिए जाने के बाद गुरुग्राम के शराब व्यापारियों पर शामत आ गई है. उनका कहना है कि दिल्ली में फिर से छूट के बाद उन्हें मजबूरन में दाम घटाने पड़ रहे हैं. अब ग्राहकों को लुभाने के लिए बिना मुनाफे के ही शराब बेचनी पड़ रही है.
गुरुग्राम के शराब व्यापारियों का कहना है कि अगर स्टॉक नहीं लिया तो आबकारी विभाग की तरफ से लाखों रुपयों की पैनल्टी लगा दी जाएगी. स्टॉक निकालने के लिए बिना मुनाफा ही शराब बेच रहे हैं.
जब दिल्ली सरकार आबकारी नीति 2021-22 लेकर आई थी, तो उस पर कई गंभीर आरोप लगे थे. आबकारी नीति का विरोध करने वालों का कहना था कि इससे शराब की बिक्री में एकाधिकार हो जाएगा. जिस पर दिल्ली सरकार का कहना था कि नई आबकारी नीति 2021-22 भ्रष्टाचार को कम करने में सहायक होने के साथ-साथ इससे शराब के कारोबार में पादर्शिता और उचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा.
दिल्ली के राजस्व प्राप्ति में शराब का बड़ा योगदान है. दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-22 के तहत 10 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था. साल 2019-20 में दिल्ली सरकार को शराब से 5400 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था.
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