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"इश्क़ कीजे फिर समझिए.."निदा फाजली की बरसी पर पढ़िए उनकी कलम से निकले शानदार शेर

Nida Fazli ने उर्दू शायरी के अलावा हिंदी में शानदार दोहे भी लिखे.

मोहम्मद साकिब मज़ीद
साहित्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>Nida Fazli:&nbsp;"इश्क़ कीजे फिर समझिए.."निदा फाजली की बरसी पर पढ़िए उनकी कलम से निकले शानदार शेर</p></div>
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Nida Fazli: "इश्क़ कीजे फिर समझिए.."निदा फाजली की बरसी पर पढ़िए उनकी कलम से निकले शानदार शेर

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

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उर्दू शायर निदा फाजली (Nida Fazli) अपने शानदार कलाम के लिए पहचाने जाते हैं. उन्होंने उर्दू शायरी और गीतों के अलावा हिंदी में दोहे भी लिखे. उनका जन्म 12 अक्टूबर 1938 को दिल्ली (Delhi) में हुआ था. निदा फाजली की लेखनी में संतों जैसी सादगी, एक फकीर सी शान और शहद जैसी मिठास महसूस होती है. उन्होंने इश्क, जिंदगी की जद्दोजहद, ख्वाब और मां जैसे कई अहम पहलुओं पर शायरी की. निदा साहब का असली नाम मुक़तिदा हसन था. 8 फरवरी को उनकी पुण्य तिथि होती है. इस मौके पर पढ़िए निदा फाजली की कलम से निकले वो शानदार शेर, जो लोगों में काफी लोकप्रिय हैं.

Nida Fazli Shayari: बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ,याद आती है! चौका बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

Nida Fazli Shayari: होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है,

इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

Nida Fazli Shayari:हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी,

जिस को भी देखना हो कई बार देखना.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

Nida Fazli Shayari: बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो,

चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

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Nida Fazli Shayari: कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन,

फिर इस के ब'अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

Nida Fazli Shayari: कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है,

सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

Nida Fazli Shayari: उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा,

वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

Nida Fazli Shayari: एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक,

जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

Nida Fazli Shayari: गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया,

होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया.

(फोटो- साकिब/क्विंट हिंदी)

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